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हनुमान जी की इस आरती से कष्टों का होगा निवारण: शत्रुओं का भी होगा नाश; स्वयं आपकी रक्षा करेंगे बजरंगबली महाराज

Hanuman Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi: क्या आप पर भी टूट पड़ा है दुखों का पहाड़, तो घबराइए नहीं। कियोंकि अब स्वयं आपकी रक्षा करेंगे हनुमान जी महाराज।

हनुमान जी की इस आरती से कष्टों का होगा निवारण: शत्रुओं का भी होगा नाश; स्वयं आपकी रक्षा करेंगे बजरंगबली महाराज
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Hanuman Ji Ki आरती 

By Ashish Kumar Goswami

Hanuman Ji Ki Aarti: हनुमान जी को सनातन धर्म में सबसे बलशाली और बुद्धिमान देवता माना जाता है। कहा जाता है कि, इस कलयुग में सिर्फ हनुमान जी ही सभी देवताओं में जीवित हैं। उन्हें भगवान शिव का रूद्र अवतार माना जाता है, जो रामायण के समय भगवान श्री राम की मदद के लिए आए थे। हनुमान जी को अमरता का वरदान भी प्राप्त है और वे जीवन के दुख और संकट दूर करने वाले माने जाते हैं। इसलिए भक्तजन उन्हें पूरे दिल से पूजते हैं और उनकी आरती, मंत्र और हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। हनुमान आरती का विशेष महत्व है क्योंकि इसके द्वारा भक्तों को उनकी कृपा जल्दी मिलती है और सारे भय, दुख दूर होते हैं।

इन्होने की थी आरती की रचना

हनुमान आरती की रचना महान संत रामानंद जी ने की थी। उन्होंने हनुमान जी के प्रति प्रेम भक्ति का विशेष रूप से प्रचार किया। हनुमान जी की आरती पढ़ने से जीवन में नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और मनुष्य को भय और चिंता से मुक्ति मिलती है। इस आरती को भक्तों द्वारा पूरी श्रद्धा से गाया जाता है ताकि भगवान हनुमान उनकी रक्षा करें और जीवन में सुख-शांति बनाए रखें। आरती का मतलब अपने पूज्य देव की भक्ति में डूब जाना और उन्हें प्रसन्न करना होता है। आरती के दौरान मंत्र उच्चारण जरूरी नहीं होता, पर आरती करने मात्र से ही पूजा सिद्ध होती है और सकारात्मक ऊर्जा फैलती है।

हनुमान आरती करने का महत्व

हनुमान जी की आरती करने से कई लाभ होते हैं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और नकारात्मकताएं दूर हो जाती हैं। अगर किसी को डर या भय सताता है तो हनुमान जी की आरती करने से वह भय खत्म हो जाता है। नियमित आरती से मानसिक शांति मिलती है, परिवार में खुशहाली आती है और जीवन में समृद्धि बनी रहती है। इसके आलावा यह भी मान्यता है कि, आरती के दौरान भक्त के चारों ओर एक प्रकाशमय सुरक्षा कवच बन जाता है, जो नकारात्मक प्रभावों से बचाता है। इसके अलावा हनुमान जी की आरती से मनुष्य के अंदर सात्विक गुण बढ़ते हैं और तामसिक प्रवृत्तियां कम होती हैं। पूजा के दौरान अगर कोई गलती हो जाए तो उसकी पूर्ति भी आरती से हो जाती है, बस आरती के अंत में क्षमा मांग लेनी चाहिए।

हनुमान पूजन सामग्री

पूजा के लिए कुछ जरूरी सामग्रियों में लाल कपड़ा या लंगोट, जल से भरा कलश, पंचामृत, कंकु, जनेऊ, और गंगाजल होते हैं। इसके साथ ही सिंदूर, चांदी या सोने का वर्क, लाल फूल और माला भी चढ़ाई जाती है। पूजा में सुगंध के लिए इत्र, भुने चने, गुड़, बनारसी पान का बीड़ा, नारियल, केले, सरसो और चमेली का तेल भी इस्तेमाल होता है। दीपक जलाने के लिए घी चाहिए होता है और साथ में तुलसी के पत्ते, धूप, अगरबत्ती, कपूर भी रखे जाते हैं ताकि भगवान् हनुमान जी महाराज की कृपा आप पर बनी रहे।

हनुमान आरती की विधि

हनुमान जी की आरती करने का सही तरीका भी जानना जरूरी है। आरती के लिए तांबे, पीतल या चांदी की थाली सबसे अच्छी होती है। दीया ठोस धातु का या आटे से बना हो सकता है, जिसमें घी, कपूर और पांच रूई की बाती लगाएं। थाली में फूल, अक्षत, और प्रसाद के लिए बूंदी भी रख सकते हैं। आरती के लिए एक, पांच या सात दीयों का इस्तेमाल करें। आरती करते समय परिवार के सभी सदस्य उपस्थित हों, साफ़ सुथरे कपड़े पहनें, और शंख या घंटी की आवाज़ के साथ आरती करें। आरती के दौरान मन को भटकने न दें और आरती खत्म होने पर सभी सदस्य थाली के ऊपर हाथ फेरते हुए हिस्सा लें। हनुमान जी की आरती सुबह या शाम के समय ही करनी चाहिए।

हनुमान आरती के लाभ

हनुमान जी की आरती करने से आपको साहस, शक्ति और सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है। यह आरती आपके और आपके परिवार के लिए एक गहरा आध्यात्मिक संबंध और भक्ति का माध्यम बनती है। बाधाओं को पार पाने के लिए यह मानसिक शांति और आंतरिक शक्ति भी देती है। साथ ही यह आपकी जिंदगी में सकारात्मक ऊर्जा भरती है और नकारात्मक प्रभावों से दूर रखती है। हनुमान जी की आरती से आपकी इच्छाएं पूरी होती हैं और समग्र जीवन में कल्याण आता है। इसलिए हनुमान जी की आरती को अपनी रोज़मर्रा की पूजा में शामिल करना बहुत ही शुभ और फलदायक माना जाता है।

हनुमान जी की आरती

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।

अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।।

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुधि लाए।

लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

लंका जारि असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।आनि संजीवन प्राण उबारे।

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

पैठी पाताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखारे।

बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संत जन तारे।

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

सुर-नर-मुनि जन आरती उतारें। जय जय जय हनुमान उचारें।

कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।

जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

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