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Guru Nanak Jayanti 2025: जानिए क्यों मनाई जाती है गुरुनानक जयंती, क्या है इसका गौरवशाली इतिहास, जानें पूरा डिटेल

Guru Nanak Jayanti 2025: भारत देश में अनेक जाति धर्म के लोग निवास करते हैं। इन्हीं में सिख धर्म का एक विशिष्ट स्थान है और इस धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्मदिवस पूरे देश में अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। आइए जानते हैं क्यो मनाई जाती है गुरुनानक जयंती....

Guru Nanak Jayanti 2025: जानिए क्यों मनाई जाती है गुरुनानक जयंती, क्या है इसका गौरवशाली इतिहास, जानें पूरा डिटेल
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By Chirag Sahu

Guru Nanak Jayanti 2025: भारत देश में अनेक जाति धर्म के लोग निवास करते हैं। इन्हीं में सिख धर्म का एक विशिष्ट स्थान है और इस धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्मदिवस पूरे देश में अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। वर्ष 2025 में गुरु नानक देव जी की 556वीं जयंती है, जिसे गुरपुरब या प्रकाश उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन आता है जो सिख परंपराओं में अत्यंत पवित्र माना जाता है।

गुरु नानक देव जी का जन्म

गुरु नानक देव जी का जन्म सन 1469 में राय भोई की तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था जो आज पाकिस्तान में स्थित है और नानकाना साहिब के नाम से जाना जाता है। उनके पिता का नाम मेहता कालू चंद और माता का नाम त्रिप्ता देवी था। वे बचपन से ही प्रचलित सामाजिक व्यवस्था और जातिवाद पर सवाल उठाते थे।

उनका बचपन सामान्य बच्चों से बिल्कुल अलग था। जहां अन्य बच्चे खेलकूद में व्यस्त रहते थे वहीं बालक नानक को एकांत में बैठकर सोचना अधिक प्रिय था। हिंदू और इस्लामी विचारधाराओं के कुछ तत्वों को शामिल करते हुए उन्होंने सिख धर्म की स्थापना की, जो एक स्वतंत्र धर्म था।

गुरु नानक जयंती की परंपराएं

गुरु नानक जयंती का उत्सव तीन दिनों तक चलता है। मुख्य त्योहार से दो दिन पहले अखंड पाठ शुरू होता है जो गुरु ग्रंथ साहिब का 48 घंटे तक निरंतर पाठ है। इस अखंड पाठ को अत्यंत पवित्र व आध्यात्मिक माना जाता है। विभिन्न पाठक बारी-बारी से दो-दो घंटे के लिए पाठ करते हैं और यह प्रक्रिया बिना किसी रुकावट के जारी रहती है।

गुरु नानक जयंती से एक दिन पहले भव्य नगर कीर्तन निकाला जाता है। इस जुलूस में गुरु ग्रंथ साहिब को फूलों और झालरों से सजी एक सुंदर पालकी में सम्मान के साथ रखा जाता है और सड़कों पर ले जाया जाता है। इस दौरान पारंपरिक सिख मार्शल कलाकार तलवारों और ढालों के साथ प्रभावशाली प्रदर्शन करते हैं।

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