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Garuda Puran:भूत- प्रेतात्मताओं के बारे में क्या कहता है गरुड़ पुराण, जानिए इसमें छिपे रहस्य और कथा

Garuda Puran Ka Gyan: जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो मृतक की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है। ऐसा करने से माता-पिता की आत्मा को शांति मिलती है।जानते हैं गरुड़ पुराण क्या कहता है..

Garuda Puran:भूत- प्रेतात्मताओं के बारे में क्या कहता है गरुड़ पुराण, जानिए इसमें छिपे रहस्य और कथा
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By Shanti Suman

Garuda Puran Ka Gyan : गरुड़ पुराण को हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है, जिसे मृत्यु के बाद की घटनाओं के बारे मे स्वयं भगवान विष्णु द्वारा बताया गया है।साथ ही इसमें पुनर्जन्म, कर्म, आत्मा, पाप-पुण्य, नीति-नियम और धर्म से जुड़ी बातें भी बताई गई हैं।

यही कारण है कि, सनातन धर्म में इस ग्रंथ का सबसे अधिक महत्व है और इसे 18 महापुराणों में एक माना गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा किसी न किसी योनि में प्रवेश करती है,इसमें 84 लाख योनियों का उल्लेख मिलता है, जिसमें पशु योनि, पक्षी योनि, वृक्ष योनि, कीड़े-मकौड़े की योनि और मनुष्य योनि आदि हैं। लेकिन आत्मा का प्रवेश किस योनि में होगा यह उसके द्वारा किए कर्मों पर निर्भर करता है। गरुड़ पुराण में प्रेत योनि का भी जिक्र मिलता है। जानते हैं क्या है प्रेत योनि और कैसी आत्माओं का होता है इस योनि में प्रवेश।

गरुड़ पुराण का सनातन धर्म में बहुत महत्व है। इस पुराण में जन्म से लेकर मृत्यु तक सब कुछ वर्णित है। गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु और पक्षीराज गरुड़ के बीच संवाद के बारे में बताया गया है। यह ग्रन्थ पाप-पुण्य, नियम-कायदे, आत्मा, पुनर्जन्म, मृत्यु एवं जन्म आदि की व्याख्या करता है। गरुड़ पुराण के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उस व्यक्ति की आत्मा मनुष्य योनि से प्रेत योनि में कैसे प्रवेश करती है।

गरुड़ पुराण प्रेत का रहस्य

  • जीवन में किए गए पापों का परिणाम भोगने के लिए आत्मा को मृत्यु के बाद प्रेत योनि मिलती है. साथ ही ऐसे लोग जिनकी मृत्यु जल में डूबकर, अग्नि में जलकर, वृक्ष से गिरकर आदि से हुई हो, ऐसे मनुष्यों की आत्मा प्रेत योनि में जाती है। प्रेत योनि में प्रवेश कर इन मृत आत्माओं को वायु-प्रधान-शरीर मिलता है।
  • जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो आत्मा उसके शरीर को छोड़ देती है। जब आत्मा शरीर छोड़ती है तो उसे भूख, प्यास, क्रोध, वासना और घृणा आदि का अनुभव होने लगता है। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि इस ब्रह्मांड में कुल 84 लाख योनियाँ हैं। इनमें पशु योनि, वृक्ष योनि, कीट योनि और मनुष्य योनि आदि हैं। ऐसा माना जाता है कि मृत्यु के बाद व्यक्ति की आत्मा की मंजिल उसके कर्मों पर निर्भर करती है।
  • गरुड़ पुराण के अनुसार बुरे कर्म वाले लोगों की आत्माएं मृत्युलोक में भटकती रहती हैं। जब किसी व्यक्ति की मृत्यु आत्महत्या, हत्या या किसी दुर्घटना आदि के कारण होती है, तो उस व्यक्ति की आत्मा स्वाभाविक रूप से शरीर नहीं छोड़ती है, तो आत्मा प्रेत योनि में चली जाती है।
  • गरुड़ पुराण में बताया गया है कि, प्रेतों के मन में हमेशा यह इच्छा बनी रहती है कि, जहां पर उनका धन है, उसके शरीर के पार्थिव परमाणु हैं, उनके शरीर संबंधी परिवार हैं वह वहीं रहें और अपने संबंधियों को भी अपनी तरह बनाएं।
  • सभी भौतिक पदार्थों का संचयन करने की सामर्थ्य वायु तत्त्व में रहती है। यही कारण है कि प्रेत वायु-शरीर प्रधान होने से जिस योनि की इच्छा करता है, वह उसे ग्रहण कर लेता है, लेकिन कुछ ही समय तक वह शरीर ठहर सकता है, पीछे सब पार्थिव परमाणु शीघ्र ही बिखर जाते हैं।
  • गरुड़ पुराण में यह भी कहा गया है कि, मृत्यु के बाद शास्त्रों के अनुसार जिनका अन्त्येष्टि संस्कार नहीं किया जाता, उसकी आत्मा भी कुछ दिनों के लिए प्रेत योनि को प्राप्त होती है। जब शास्त्रोक्त विधि से उसका प्रेत-संस्कार, दशगात्र विधान, षोडश श्राद्ध, सपिण्डन विधान किया जाता है, तब वह प्रेत-शरीर से मुक्त हो जाता है।
  • जब किसी व्यक्ति की अचानक या किसी दुर्घटना से मृत्यु हो जाती है तो उसकी आत्मा को शांति नहीं मिलती है। ऐसी अवस्था में आत्मा भूत-प्रेतों में भटकती रहती है। साथ ही जब किसी व्यक्ति की आत्मा स्वाभाविक रूप से उसके शरीर को नहीं छोड़ती तो आत्मा भी प्रेत योनि में भटकती रहती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कहा जाता है कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो मृतक की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है। ऐसा करने से माता-पिता की आत्मा को शांति मिलती है।

    गरूड़ पुराण की कथा

    गरूड़ पुराण में एक कथा है प्रेत योनि किसी को क्यों मिलती है. प्रेत योनि को भोगना कैसे पड़ता है। प्रेत योनि में आहार क्या होता है. प्रेत योनि से उद्धार कैसे होता है, आदि गरूड़ पुराण में मुख्य रूप से तो आत्मा के परलोक गमन और उसके फल निर्धारण की कथा ही है। किसी की स्मृति में उसके देहांत के बाद गरूड़ पुराण की कथा की परंपरा है। आप धैर्य से इस कथा को पढ़िएगा. गृहस्थों के लिए जानकारी की बातों से भरी पड़ी है कथा। प्रेत योनि के बारे में बहुत कुछ जान जाएंगे. कथा गरूड़ जी के एक प्रश्न से शुरू होती है।

    गरूड़ और भगवान श्रीकृष्ण के बीच संवाद के बीच ज्ञानचर्चा ही गरूड़ पुराण है। गरूड़ ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा- भगवन कोई ऐसी कथा सुनायें जो अद्भुत हो, ज्ञानप्रद हो और उसमें आपकी महिमा भी निहित हो। श्रीकृष्ण ने कहा- गरूड़ तुम्हारे अनुरोध पर मैं एक कथा सुनाता हूं. कथा बहुत रोचक और सामान्य धर्मकथाओं से अलग है. इसमें मेरी भी भूमिका है. इससे तुम्हें प्रेत योनि के बारे में बहुत कुछ जानने को मिलेगा. कथा को ध्यान से सुनना और समझना. मनुष्य अगर इसे समझ ले तो वह कभी प्रेत ही न हो।

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