Ekadashi special 2024 : क्या आप जानते हैं एकादशी के दिन क्यों नहीं खाया जाता चावल
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. एकादशी व्रत के दिन अन्न का सेवन नहीं किया जाता है. इस दिन भूलकर भी चावल नहीं खाना चाहिए. माना जाता है कि एकादशी के दिन चावल खाना मांस खाने के समान माना जाता है. इसके पीछे एक पौराणिक मान्यता है.
सनातन धर्म में एकादशी तिथि (Ekadashi special २०२४) का बड़ा ही धार्मिक महत्व है। इस शुभ अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन व्रत करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। वहीँ इस दिन भूलकर भी चावल नहीं खाना चाहिए. माना जाता है कि एकादशी के दिन चावल खाना मांस खाने के समान माना जाता है.
एकादशी व्रत की शुरुआत सूर्योदय से होती है और इसके अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को समाप्त होता है। मान्यता है कि जो साधक एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करते हैं, उनके सभी दुखों का अंत होता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. एकादशी व्रत के दिन अन्न का सेवन नहीं किया जाता है. इस दिन भूलकर भी चावल नहीं खाना चाहिए. माना जाता है कि एकादशी के दिन चावल खाना मांस खाने के समान माना जाता है. इसके पीछे एक पौराणिक मान्यता है.
एकादशी के दिन चावल खाना महर्षि मेधा का रक्त और मांस खाने के बराबर
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां भागवती के क्रोध से भागते-भागते महर्षि मेधा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया था. इसके बाद उनके शरीर के अंश धरती में समा गए थे. माना जाता है कि उन अंशों के धरती में समाने की वजह से धरती से चावल के पौधे की उत्पत्ति हुई. यही कारण है कि चावल को पौधा नहीं बल्कि जीव माना जाता है.
माना जाता है कि जिस दिन महर्षि मेधा ने शरीर त्यागा था, उस दिन एकादशी थी. इसलिए ही एकादशी के दिन चावल खाना निषेध मना गया है. ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाना महर्षि मेधा का रक्त और मांस खाने के बराबर है. इस दिन चावल खाने से पाप लगता है और व्यक्ति अगले जन्म में सर्प के रूप में जन्म लेता है.
एकादशी के दिन चावल न खाने का वैज्ञानिक कारण
एकादशी के दिन चावल न खाने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है. इसके अनुसार, चावल में जल की मात्रा अधिक होती है और जल पर चंद्रमा का प्रभाव अधिक पड़ता है. चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है इससे मन विचलित होता है. मन के चंचल होने से व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है. इसलिए एकादशी के दिन चावल से बनी चीजें खाना वर्जित माना जाता है.