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Eid al-Adha 2024: बकरीद पर कुर्बानी की शुरुआत कैसे हुई? क्या है इसकी खासियत | Bakrid Kyu Manaya Jata Hai

Bakrid Kyu Manaya Jata Hai: बकरीद, जिसे ईद-उल-अज़हा भी कहा जाता है, इस्लाम धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार हज की समाप्ति के बाद मनाया जाता है और इसे कुर्बानी के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है। बकरीद इस्लामी कैलेंडर के 12वें महीने धू अल-हिज्जा के 10वें दिन मनाया जाता है।

Eid al-Adha 2024: बकरीद पर कुर्बानी की शुरुआत कैसे हुई? क्या है इसकी खासियत | Bakrid Kyu Manaya Jata Hai
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By Ragib Asim

Eid al-Adha 2024: बकरीद पर कुर्बानी की शुरुआत कैसे हुई? क्या है इसकी खासियत | Bakrid Kyu Manaya Jata Hai

बकरीद (ईद-उल-अज़हा) क्या है?

बकरीद, जिसे ईद-उल-अज़हा भी कहा जाता है, इस्लाम धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार हज की समाप्ति के बाद मनाया जाता है और इसे कुर्बानी के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है। बकरीद इस्लामी कैलेंडर के 12वें महीने धू अल-हिज्जा के 10वें दिन मनाया जाता है।

कुर्बानी की शुरुआत कैसे हुई?

बकरीद पर कुर्बानी (बलिदान) की प्रथा का आरंभ इस्लाम धर्म में हजरत इब्राहीम (अब्राहम) की एक महान बलिदान कथा से होता है। कहानी के अनुसार, अल्लाह ने हजरत इब्राहीम की परीक्षा लेने के लिए उन्हें उनके सबसे प्रिय बेटे इस्माइल को कुर्बान करने का आदेश दिया। इब्राहीम ने अल्लाह के आदेश का पालन करने के लिए अपने बेटे की कुर्बानी देने का निर्णय लिया। लेकिन अल्लाह ने उनकी निष्ठा और समर्पण को देखकर इस्माइल को बचा लिया और उसकी जगह एक मेमने की कुर्बानी दी गई। इस घटना की याद में ही हर साल बकरीद पर मुसलमान जानवरों (जैसे बकरी, भेड़, गाय) की कुर्बानी करते हैं।

बकरीद की खासियत क्या है?

  • धार्मिक समर्पण और निष्ठा: बकरीद का त्योहार हजरत इब्राहीम की धार्मिक निष्ठा और अल्लाह के प्रति उनकी समर्पण की याद दिलाता है। यह त्याग और बलिदान की भावना को बढ़ावा देता है।
  • समुदाय की सेवा: कुर्बानी का मांस तीन हिस्सों में बांटा जाता है - एक हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों को दिया जाता है, दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों और दोस्तों में बांटा जाता है, और तीसरा हिस्सा खुद के परिवार के लिए रखा जाता है। इस प्रकार, यह त्योहार सामाजिक समानता और भाईचारे का प्रतीक है।
  • धार्मिक प्रार्थना और एकता: बकरीद के दिन मुसलमान विशेष नमाज अदा करते हैं, जिसे ईद-उल-अज़हा की नमाज कहते हैं। यह सामूहिक प्रार्थना एकता और भाईचारे का प्रतीक है।
  • पवित्र यात्रा हज: बकरीद हज यात्रा के साथ भी जुड़ा हुआ है, जो इस्लाम धर्म के पांच स्तंभों में से एक है। हज यात्रा के दौरान किए गए अनुष्ठानों का विशेष महत्व होता है और यह मुस्लिम समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा है।

बकरीद एक महत्वपूर्ण इस्लामी त्योहार है जो त्याग, निष्ठा, और समाज सेवा का प्रतीक है। हजरत इब्राहीम की कुर्बानी की कथा से प्रेरित होकर, यह त्योहार मुसलमानों को धार्मिकता, समर्पण, और सामाजिक समानता के महत्व की याद दिलाता है। इस दिन की गई कुर्बानी गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करती है और पूरे मुस्लिम समुदाय को एकता के बंधन में बांधती है।



Ragib Asim

Ragib Asim पिछले 8 वर्षों से अधिक समय से मीडिया इंडस्ट्री में एक्टिव हैं। मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं, पढ़ाई-लिखाई दिल्ली से हुई है। क्राइम, पॉलिटिक्स और मनोरंजन रिपोर्टिंग के साथ ही नेशनल डेस्क पर भी काम करने का अनुभव है।

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