DIWALI POOJAN 2025 : दीपावली पर यहाँ है आपके काम की खबर, कितने बजे कौन करें लक्ष्मी पूजन, मंत्र-विधि, राशि यहाँ है सब कुछ
DIWALI POOJAN 2025 : 100 वर्षों बाद बन रहा केंद्र और त्रिकोण योग के साथ हंस राज योग, समुद्र मंथन का कारण भी बनी लक्ष्मी जी'

DIWALI POOJAN 2025 : समुद्र मंथन से माँ लक्ष्मी अवतरित हुई, जिसका वरण भगवान विष्णु ने कर स्वर्ग को श्रीयुक्त किया। इस दीपावली को है,अत्यंत विशेष योग| चन्द्र प्रधान हस्त नक्षत्र के साथ हंस योग, भौमादित्य योग और गज लक्ष्मी योग में इस बार दीपावली मनाई जायेगी | साथ ही 100 वर्षों बाद बन रहा है, केंद्र और त्रिकोण योग भी है | सभी के लिए लाभ प्रद है|
पूजन मुहूर्त स्थिर लग्न के मुहूर्त :
वृषभ लग्न : सायंकाल 7.02 से 9.01 बजे तक (गृहस्थ लोगों के लिए )
कर्क लग्न : रात्री 11.14 से 1.28 बजे तक (सफलता के लिए)
सिंह लग्न : मध्य रात्रि 1.28 बजे से 3.39 बजे तक (व्यापारियों के लिए)
चौघडिया का मुहूर्त:
चर का चौघडिया: सायं 5.34 से रात्रि 7.08 बजे तक
लाभ का चौघडिया: रात्री 10.15 से रात्रि 11.48 बजे तक
निशिथ काल: रात्रि 8.14 से 10.52 बजे तक।
महानिशीथ काल: रात्रि 10.52 से 1.31 बजे तक।
इस मंत्र से प्राप्त होंगी स्थिर लक्ष्मी :
दीपावली की रात इस मंत्र का महा निशाकाल में अर्थात रत्रि 11.30 अब्जे से 1.30 बजे के मध्य 43 मिनट जाप करें। इस के पश्चात प्रतिदिन यथासम्भव इस मंत्र का जाप करें। माँलक्ष्मी की कृपा सदैव आप पर बनी रहेगी।
मंत्र
त्रैलोक्य पूजिते देवी कमले विष्णु वल्लभे।
यथा त्वमेचला कृष्णे, तथा भव मयी स्थिरा॥
कमला चंचला लक्ष्मीश्चला भूतिर्हरिप्रिया।
पद्मा पद्मालया सम्य गुच्चै: श्री: पद्मधारिणी।।
द्वादशैतानि नामानि लक्ष्मी संपूज्य य: पठेत्।
स्थिरा लक्ष्मीर्भवेत्तस्य पुत्र दारादि भि: सहो।
सदैव धन रूप में रहेंगी लक्ष्मी जी आप के साथ
दीपावली की रात इस मंत्र का महा निशाकाल में अर्थात रत्रि 10.52 अब्जे से 1.31 बजे के मध्य 43 मिनट जाप करें। इस के पश्चात प्रतिदिन यथासम्भव इस मंत्र का जाप करें। माँलक्ष्मी की कृपा सदैव आप पर बनी रहेगी।
मंत्र
त्रैलोक्य पूजिते देवी कमले विष्णु वल्लभे।
यथा त्वमेचला कृष्णे, तथा भव मयी स्थिरा॥
कमला चंचला लक्ष्मीश्चला भूतिर्हरिप्रिया।
पद्मा पद्मालया सम्य गुच्चै: श्री: पद्मधारिणी।। द्वादशैतानि नामानि लक्ष्मी संपूज्य य: पठेत्।
स्थिरा लक्ष्मीर्भवेत्तस्य पुत्र दारादि भि: सहो।।
ऐसे करें श्री यंत्र की स्थापना
हम सभी ‘श्री यंत्र’ को पहचानते तो है,और लगभग सभी के घर में होता भी है लेकिन यदि इसी श्री यंत्र को विधिपूर्वक स्थापित कर दिया जाये तो चमत्करिक प्रगति भी देता है। ताम्बे, चाँदी, सोने. स्फटिक या भोजपत्र पर अंकित श्री यंत्र को शुद्ध जल, गंगा जल और गुलाब जल से धो कर पूर्वाभिमुख होकर एक चाँदी या ताम्बे की थाली में रख लें। जिस स्थान पर श्री यंत्र को रखना हो उसे भी स्वच्छ कर लें। इस मंत्र का उच्चारण हाथ में कमल पुष्प और पीले चावल लेकर करें: ऊँ अस्य श्री महालक्ष्मी मंत्रस्य भृगु ऋषि: निचृद छन्द:, श्री महालक्ष्मी देवता, श्री बीजं ह्रीं शक्ति: ऐं कीलकं श्री महालक्ष्मी प्रित्यर्थे जपे विनियोग: कमल का पुष्प और पीला चावल श्री यंत्र पर अर्पित कर दें।
श्री सूक्त पढते हुए या इस मंत्र से श्री यंत्र पर पंचामृत अर्पित करें: मंत्र: “ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये अष्टचक्र प्रधानेश्वरी महा लक्ष्म्यै नम:”
पंचामृत से स्नान के पश्चात शुद्ध जल से स्नान कर के श्री यंत्र को शुद्ध किये गये स्थान पर स्थापित कर दें। भोग, आरती इत्यादि अर्पित करने के पश्चात मंत्र का 108 बार जाप करें। प्रतिदिन मंत्र का जाप अवश्य करें।
माँ लक्ष्मी के अंगों की पूजा कर समृद्धि पायें
माँ लक्ष्मी के अंगों को स्पर्श करते हुए माता जी के अंग पूजन करने से स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। एक पुष्प पर गुलाब का इत्र लगा लें और माँ लक्ष्मी की प्रतिमा को स्पर्श कर इन मंत्रों का उच्चारण करें :
- ऊँ चपलायै नमः (पैरों का पूजन करें)
- ऊँ चंचलायै नमः (पुन: पैरों का पूजन करें)
- ऊँ कमलायै नमः (कमर का पूजन करें)
- ऊँ कात्यायन्यै नमः (नाभि पूजन करें)
- ऊँ जगन्मात्रे नमः (पेट का पूजन करें)
- ऊँ विश्ववल्लभायै नमः (छाती का पूजन करें)
- ऊँ कमल वासिन्यै नमः (हाथों का पूजन करें)
- ऊँ पद्मा ननायै नमः (मुख पूजन करें)
- ऊँ कमल पत्राक्ष्यै नमः (नेत्रों का पूजन करें)
- ऊँ श्रियै नमः (सिर का पूजन करें)
- ऊँ महा लक्ष्म्यै नमः (सर्वांग पूजन करें)
सफलता हेतु करें अष्ट सिद्धि पूजन
किसी भी परिस्थिति में सिद्धि प्राप्त करने हेतु अर्थात सफल होने हेतु अष्ट सिद्धि का पूजन आवश्यक है। अष्ट सिद्धि का पूजन करने से व्यपर में सफलता प्राप्त होती है।
कुमकुम युक्त चावल देवी की प्रतिमा के पास आठ दिशाओं में छोडें।
- ऊँ अणिम्ने नमः पूर्व
- ऊँ महिम्ने नमः आग्नेय (दक्षिण पूर्व)
- ऊँ गरिम्णयै नमः दक्षिण
- ऊँ लघिम्ने नमः नैऋर्त्य (दक्षिण पश्चिम)
- ऊँ प्राप्तयै नमः पश्चिम
- ऊँ प्राकाम्यै नमः वायव्य (उत्तर पश्चिम
- ऊँ ईशितायै नमः उत्तर
- ऊँ वशितायै नमः ईशान (उत्तर पूर्व )
लक्ष्मी की मूर्ति की आठों दिशाओं में कुमकुम युक्त चावल एवं पुष्प लेकर आठों सिद्धियों का पूजन करें। इस पूजन से व्यापार में हो रही हानि और घर की अशांति दूर होगी .
- ॐ आदि लक्ष्मीयै नमः
- ॐ विद्या लक्ष्मीयै नमः
- ॐ सौभाग्य लक्ष्मीयै नमः ॐ अमृत लक्ष्मीयै नमः
- ॐ काम लक्ष्मीयै नमः
- ॐ सप्त लक्ष्मीयै नमः
- ॐ भोग लक्ष्मीयै नमः
- ॐ योग लक्ष्मीयै नमः
व्यापार में मिलेगी सफलता
घर की देहलीज पर स्वास्तिक बनाकर देहली विनायक के पूजन हेतु घर के द्वार पर शुभ लाभ लिखें। अपने खाते को लिखने वाली स्याही का माँ काली के रूप में पूजन “ह्रीं क्रीं काल्यै नम:” मंत्र से करें । लेखनी का पूजन माँ सरस्वती के रूप में ‘ऐं सरस्वत्यै नम:’मंत्र से करें। किसी थाली में केसर युक्त चन्दन व रोली से स्वास्तिक बना कर पाँच गांठें हल्दी, धनिया, कमल गठा, पीला चावल व दूर्वा रख कर सरस्वती का ध्यान करते हुए बही खाता का पूजन करें।
कुबेर जी ध्यान व पूजन करें तथा हल्दी, धनिया, कमल गट्टा, दूर्वा व पैसा तिजोरी में रखें तथा तराजू पर सिंदूर से स्वास्तिक बना कर मान सम्मान हेतु पूजन करें।
काली हल्दी से पाये स्थिर धन सम्पदा
काली हल्दी घर लाकर दैनिक पूजा के स्थान पर रख दें। यह जहाँ भी होती है, सहज ही वहाँ श्री-समृद्धि का आगमन होने लगता है। उसे नए कपड़े में अक्षत और चाँदी के टुकड़े अथवा किसी सिक्के के साथ रखकर गाँठ बाँध दें और धूप-दीप से पूजा करके गल्ले या लॉकर में रख दें तो आश्चर्यजनक अर्थ लाभ होने लगता है। व्यापारी वर्ग इसे गल्ले में रखें
विधि : लक्ष्मी पूजन दिन पूर्व की ओर मुख करके आसन पर बैठें। तत्पश्चात् इस हल्दी की गाँठ को धूप-दीप अर्पित कर नमस्कार कर पूजन करें। दूसरे दिन से प्रतिदिन उदय होते हुए सूर्य को नमस्कार करके, सामने आसन पर प्रतिष्ठित हल्दी की गाँठ को नमस्कार करते हुए माला से 108 बार इस मंत्र का जाप करना चाहिए- 'ऊँ ह्रीं सूर्याय नमः'। यदि महा लक्ष्मी अष्टकम या श्री सूक्त का भी पाठ कर लें तो लाभ अवश्य होगा|
राशी के अनुसार करें लक्ष्मी जी को प्रसन्न
मेष : पाँच गोमती चक्र गुलाब जल में रख कर श्री सूक्त या लक्ष्मी जी के मंत्र: ‘शंख्व चक्र गदा हस्ते श्रीं महा लक्ष्म्यै नम: ’ का जाप करें | वृष : केसर के दूध से लक्ष्मी जी का मंत्र, 'मांगल्यदास्तु श्रीं लक्ष्मी देव्यै नम:' से अभिषेक करें |
मिथुन : लक्ष्मी जी का पूजन कर के हरे फलों का भोग लगा कर पान अर्पित करें |
कर्क : लक्ष्मी जी का विधिवत पूजन कर के ‘ह्रीं ह्रीं त्रिपुरारेश्वरी लक्ष्मी देव्यै ह्रीं ह्रीं’ मंत्र का जाप करें |
सिंह : अनार के रस से भगवती लक्ष्मी जी का अभिषेक करें | मंत्र: ‘सूर्यां हिरण्य्मयीं लक्ष्मी देव्यै नम:’|
कन्या : गाय के दूध से खीर बनाकर लक्ष्मी जी को भोग लगायें | तुला: सायंकाल अष्ट लक्ष्मी का पूजन करें कुबेर का पूजन भी करें |
वृश्चिक : किसी गाय को सायंकाल पाँच केले खिला कर लक्ष्मी जी को लाल पुष्प अर्पित करें|
मकर : 'ह्रीं श्रीं’ हिरण्यवर्णा लक्ष्मी देव्यै नम:’ मंत्र से लक्ष्मी जी का अभिषेक करें|
कुंभ : लक्ष्मी जी का केसर दूध से अभिषेक कर के दवात की शीशी की पूजा करें |
मीन : लक्ष्मी पूजा कर पाँच कमल के गट्टॆ अर्पित करें | मंत्र: 'ह्रीं श्रीं ह्रीं ' का उच्चारण करते हुए हल्दी युक्त जल से अभिषेक करें|
