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Jyotirlinga And Shivling : क्या आप भी ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग को समझते हैं एक ?

Difference Between Jyotirlinga And Shivling : ज्यादातर लोगों को शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग के बीच का अंतर नहीं पता है।

Jyotirlinga And Shivling : क्या आप भी ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग को समझते हैं एक ?
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By Meenu

Difference Between Jyotirlinga And Shivling : हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग दोनों रूपों में की जाती है। ज्यादातर लोगों को शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग के बीच का अंतर नहीं पता है।

शिवलिंग पूरी दुनिया में हर जगह मिल जाएंगे लेकिन ज्योतिर्लिंग सिर्फ 12 हैं। आइए जानते हैं शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग में क्या अंत हैं…


शिवलिंग



शास्त्रों में शिवलिंग का अर्थ बताया गया है अनंत अर्थात जिसकी न तो कोई शुरुआत है और न ही अंत। शिवलिंग भगवान शिव और माता पार्वती के आदि-अनादि एकल रुप है। शिवलिंग पुरुष और प्रकृति की समानता का प्रतीक है, शिवलिंग बताता है कि न केवल पुरुष और न ही स्त्री दोनों का अलग-अलग इस संसार में कोई वर्चस्व नहीं है बल्कि दोनों समान हैं। शिवलिंग मानव द्वारा स्थापित किए गए हैं। इनमें से कुछ शिवलिंग मानव द्वारा निर्मित हैं तो कुछ स्वयंभू हैं और फिर उनको मंदिरों में स्थापित किया जाता है।

ज्योतिर्लिंग


ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के स्वयंभू का अवतार है। ज्योतिर्लिंग का अर्थ है भगवान शिव का ज्योति के रूप में प्रकट होना। ज्योतिर्लिंग मानव द्वारा निर्मित नहीं होते हैं बल्कि वे स्वयंभू होते हैं और उनको सृष्टि के कल्याण और गतिमान बनाए रखने के लिए स्थापित किए गए हैं। शिवलिंग कई हो सकते हैं लेकिन ज्योतिर्लिंग केवल 12 हैं और ये सभी भारत देश में स्थित हैं। कहा जाता है कि जहां-जहां ज्योतिर्लिंग हैं, वहां भगवान शिव ने स्वयं दर्शन दिए हैं और वहां एक ज्योति के रूप में उत्पन्न हुए थे। 12 ज्योतिर्लिंग की वजह से पृथ्वी का आधार बना हुआ है और इसी कारण वह अपनी धुरी पर घूम रही है। साथ ही इसी की वजह से पृथ्वी पर जीवन यापन बना हुआ है।

ज्योतिर्लिंग की कथा


ज्योतिर्लिंग को लेकर शिव पुराण में एक कथा भी है। शिव पुराण अनुसार, एकबार ब्रह्माजी और विष्णुजी में इस बात को लेकर विवाद हो गया था कि दोनों में सर्वश्रेष्ठ कौन है और दोनों ही अपने आपको श्रेष्ठ साबित करने पर डटे हुए थे। इस भ्रम को दूर करने के लिए भगवान शिव एक ज्योति स्तंभ के रूप में प्रकट हो गए थे, जिसकी न तो कोई शुरुआत थी और न ही कोई अंत था। ज्योतिर्लिंग में से आवाज आई दोनों में से से कोई भी ज्योतिर्लिंग का छोर नहीं देख पाया। उसके बाद तय हुआ कि ब्रह्माजी और विष्णुजी से श्रेष्ठ यह दिव्य ज्योति है। इसी ज्योति स्तंभ को ज्योतिर्लिंग कहा गया। वहीं लिंग का अर्थ प्रतीक है अर्थात भोलेनाथ का ज्योति के रूप में प्रकट होना और सृष्टि के निर्माण का प्रतिक। आइए जानते हैं उन 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में।

ज्योतिर्लिंग स्तुति मंत्र


सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं परमेश्वरम्॥

केदारं हिमवत्पृष्ठे डाकियां भीमशंकरम्। वाराणस्यांच विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे॥

वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारूकावने। सेतूबन्धे च रामेशं घुश्मेशंच शिवालये॥

द्वादशैतानि नामानि प्रातरूत्थाय यः पठेत्। सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥

यं यं काममपेक्ष्यैव पठिष्यन्ति नरोत्तमाः। तस्य तस्य फलप्राप्तिर्भविष्यति न संशयः॥




सोमेश्वर या सोमनाथ


यह प्रथम ज्योतिर्लिंग है, जो गुजरात में है। इसे प्रभास तीर्थ कहते हैं।

श्रीशैलम मल्लिकार्जुन


श्रीशैलम मल्लिकार्जुन द्वितीय ज्योतिर्लिंग है, यह आंध्र प्रदेश में श्रीशैल नामक पर्वत पर स्थित है। इसे दक्षिण का कैलाश भी माना गया है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग


महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग तृतीय ज्योतिर्लिंग है और यह मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। इसे प्राचीनकाल में अवंती भी कहा जाता था।

ओंकारेश्व ज्योतिर्लिंग


ओंकारेश्व चतुर्थ ज्योतिर्लिंग है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भी मध्य प्रदेश में है और यह नर्मदा नदी के तट पर स्थित है।

केदारेश्व ज्योतिर्लिंग


केदारेश्वर पंचम ज्योतिर्लिंग है, जो उत्तराखंड में हिमालय की चोटी पर स्थित है और यह केदारनाथ के नाम से विख्यात है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग


भीमाशंकर षष्ठम ज्योतिर्लिंग है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में भीमा नदी के पास सहयाद्रि पर्वत पर स्थित है। भीमा नदी इसी पर्वत से निकलती है।


विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग


विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग काशी में विराजमान है और यह सातंवा ज्योतिर्लिंग है। यह काशी विश्वानाथ के नाम से प्रसिद्ध है।

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग


त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग आठवां ज्योतिर्लिंग है और यह महाराष्ट्र के नासिक जिले में गोदावरी नदी के पास स्थित है।

वैघनाथ महादेव


वैघनाथ महादेव को बैजनाथ भी कहते हैं और यह नौवां ज्योतिर्लिंग है, जो झारखंड के देवघर में स्थापित है। इस स्थान को चिताभूमि भी कहा गया है.

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग


भगवान शिव का यह दसवां ज्योतिर्लिंग बड़ोदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के पास है। इस स्थान को दारूकावन भी कहा जाता है। इस ज्योतिर्लिंग को लेकर कई जगह विवाद है। कुछ लोग इसे दक्षिण हैदराबाद के औढ़ा ग्राम में स्थित मानते हैं।

रामेश्वर ज्योतिर्लिंग


भगवान शिव का एकदाशवें ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु में समुद्र के किनारे स्थित है। इस तीर्थ के सेतुबंध भी कहा जाता है।

घुष्मेश्व ज्योतिर्लिंग


भगवान शिव का द्वादशवें ज्योतिर्लिंग को घृष्णेश्वर या घुसृणेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के दौलताबाद में स्थित है।

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