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Dhanteras Puja 2025 : धनतेरस पर इस पूजा से कभी नहीं होगी अकाल मृत्यु और खर्च के बाद भी कम नहीं होगा धन

Dhanteras Puja 2025 : इस तरह करें भगवान धनवंतरी, कुबेर और यम देव की पूजा, मिलेगा अक्षय जीवन और अपार धन.

Dhanteras Puja 2025 : धनतेरस पर इस पूजा से कभी नहीं होगी अकाल मृत्यु और खर्च के बाद भी कम नहीं होगा धन
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By Meenu Tiwari

Dhanteras Puja 2025 : 18 अक्टूबर को धनतेरस है. और धनतेरस पर उत्तम स्वास्थ्य और ऐश्वर्य दोनों योग होंगे. को भगवान विष्णु का अंश अवतार भी बताया गया है। इसीलिये धनतेरस के दिन प्रात:काल धनवंतरी के पूजन के पूर्व यदि विष्णु सहस्रनाम का पठन या श्रवण किया जाये तो पूजन का पूर्ण फल मिलेगा।


आम की लकडी के पाटे पर हल्दी से स्वास्तिक बनाये। स्वास्तिक के मध्य एक बडी पूजा सुपारी को गुलाब जल से स्वच्छ कर भगवान धनवंतरी के रूप में स्थापित कर पूजन करें। चान्दी के पात्र या किसी भी अन्य पात्र में चावल से बने खीर का भोग लगायें। तुलसी का पत्र अर्पित करें। कपूर की आरती कर इस मंत्र से रोग नाश हेतु प्रार्थना करें।


सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं, अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।

गूढं निगूढं औषध्यरूपम् धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामिनित्यं।।


एक नारियल पर कुंकुम से स्वास्तिक बनाकर उसी नारियल पर चावल और पुष्प रखकर रोगनाश और प्रगति के लिये इस मंत्र का यथाशक्ति जाप करें :


मंत्र : ऊँ रं रूद्र रोगनाशाय धन्वन्तर्ये फट्।।

यम दीप दान से जीवन होगा सुलभ सुरक्षित



‘निर्णयामृत’ निर्णयसिन्धु’ और ‘स्कन्द पुराण’ तीनो में ही यम दीप दान का विस्तृत विवरण मिलता है। धनतेरस की सायं को किये जाने वाले यम दीप दान को लेकर एक प्रचलित लघु कथा है कि, यमराज ने अपने यम दूतों से किसी के प्राण हरते समय करुणा का भाव आने को लेकर जब प्रश्न किया तो यमदूतों ने एक राजा के युवा पुत्र के प्राण हरते समय उसकी पत्नि द्वारा किये विलाप से उत्पन्न हुए करुणा के भाव का उल्लेख किया। तब यमराज ने कहा कि धन त्रयोदशी के प्रदोष काल में जो भी दीप का दान करेगा उसकी अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जायेगा। यम दीपदान प्रदोषकाल में करना चाहिए । चारों दिशाओं की ओर मुख की हुई चार रूई की बत्तियां रख कर दिये को तिल के तेल से भर दें और साथ ही उसमें कुछ काले तिल भी डाल दें । प्रदोषकाल में इस प्रकार तैयार किए गए दीपक का रोली, अक्षत एवं पुष्प से पुजन करें । उसके पश्चात् घर के मुख्य दरवाजे के बाहर गेहूँ से ढेरी बनाकर उसके ऊपर दीपक को रख दें। दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए चार मुँह के दीपक को लाई की ढेरी के ऊपर रख दें -

मृत्युना पाश दण्डाभ्यां कालेन च मया सह ।

त्रयोदश्यां दीप दानात् सूर्यजः प्रीयता मिति ।।

अर्थात् त्रयोदशी को दीपदान करने से मृत्यु, पाश, दण्ड, काल और लक्ष्मी के साथ सूर्यनन्दन यम प्रसन्न हों ।

उक्त मन्त्र के उच्चारण के पश्चात् हाथ में पुष्प लेकर निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए यमदेव को दक्षिण दिशा में नमस्कार करें -

ॐ यमदेवाय नमः । नमस्कारं समर्पयामि ।।

अब पुष्प दीपक के समीप छोड़ दें और पुनः हाथ में एक बताशा लें तथा निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए उसे दीपक के समीप छोड़ दें -

ॐ यमदेवाय नमः । नैवेद्यं समर्पयामि ।।

अब हाथ में थोड़ा-सा जल लेकर आचमन के लिये निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए दीपक के समीप छोड़ें ॐ यमदेवाय नमः । आचमनार्थे जलं समर्पयामि ।।

अब पुनः यमदेव को ‘ॐ यमदेवाय नमः’ कहते हुए दक्षिण दिशा में नमस्कार करें ।

अक्षय लक्ष्मी की प्राप्ति के लिये करें कुबेर पूजन




एक पूजा सुपारी को इत्र में डुबोकर लाल कुंकुम से बने स्वस्तिक पर स्थापित करें। धूप, दीप, आरती इत्यादि से पूजन करें। भोग लगाकर इस मंत्र से कमल के फूल या किसी भी सुगन्धित पुष्प अर्पित करें:


ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रणवाय धनधान्यादि पतये धनधान्य समृद्धि में देहि देहि दापय दापय स्वाहा।


दीपावली के दिन पुन: इसी कुबेर का पूजन लक्ष्मी पूजा से पश्चात करें। अक्षय लक्ष्मी की प्राप्ति होगी।


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