Devi Chitralekha Koun Hai दुनिया के सबसे कम उम्र की आध्यात्मिक संतों में है इनका नाम, जानिए कौन है और कब शुरू किया था कथावाचन
Devi Chitralekha Koun Haiदेवी चित्रलेखा भारत की सबसे कम उम्र की आध्यात्मिक संतों में से एक हैं। वह सत्संग गौ सेवा और अपने विचारों गायन से देश दुनिया के लोगों को आध्यात्म से जोड़ती आई है।
Devi Chitralekha Koun Hai
जया किशोरी की तरह ही देवी चित्रलेखा एक प्रसिद्ध कथावाचक है जो अभी मात्र २६ साल की है। कथावाचक चित्रलेखा युवा आध्यात्मिक संत हैं, देवी चित्रलेखा का जन्म 19 जनवरी 1997 को हरियाणा के ब्राह्मण परिवार में हुआ था,हरियाणा के पलवल में जन्मी चित्रलेखा भारत की सबसे कम उम्र की धार्मिक उपदेशकों में से एक हैं। ज्ञान के साथ-साथ उनकी सुंदरता भी चर्चा में रहती है। बता दें कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल से हुई थी। बचपन से ही इनकी रूचि भजन व उपदेश के साथ रही, इन्होने अपनी पढाई लिखाई एक पब्लिक स्कूल में की, बताया जाता है की जब यह 4 साल की थी तभी इन्होने बंगाली गुरू गिरधारी बाबा की संस्था से जुड़ीं और वहीँ यह ट्रेंनिग लेने लगी थी।उन्होंने मात्र 4 साल की उम्र से धर्मग्रंथों का अध्ययन शुरू कर दिया थ।महज 9 साल की उम्र में उन्होंने हिंदू धर्म का ज्ञान प्राप्त कर लिया था।
देवी चित्रलेखा के जन्म के समय ही हुई थी भविष्यवाणी
कहते हैं कि कथावाचक चित्रलेखा देवी ने बताया, जब मैं पैदा हुई तो कई संत और तपस्वी उनके घर आए। उन्हें यह लगता था कि इस बच्ची में कुछ खास है। एक संत ने कहा था, ‘यह एक चमत्कारी बच्ची है।. वह निकट भविष्य में दुनिया को एक महान प्रबुद्ध व्यक्ति के रूप में आश्चर्यचकित कर देगी। . चित्रलेखा ने बताया, उनके दादा राधा कृष्ण शर्मा और दादी किशनादेवी का झुकाव भी अध्यात्म की तरफ था। जब वह 4 साल की थीं, तब वह बंगाली संत श्रीश्री गिरधारी बाबा की संस्था से जुड़ गईं, जिसके बाद उनकी ट्रेनिंग शुरू हुई।
सेवा- सत्संग की मार्ग में इस तरह बढ़ी
6 साल में उनके माता-पिता बृज के नामी संत रमेश बाबा के सत्संग में पहुंचे।सत्संग खत्म होने के बाद रमेश बाबा ने उनको माइक थमाया, ताकि वह कुछ कह सकें. उन्होंने आधा घंटे अपने आध्यात्मिक विचार रखे, जिसको सुनकर वहां सभी लोग हैरान रह गए। इसके बाद वह विभिन्न समारोह में कथा और प्रवचन देने लगीं। इसके बाद वृंदावन के पास तपोवन में उनके गुरु ने उनकी पहली 7 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन कराया था।
उनके माता-पिता इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं थे कि देवी चित्रलेखा इतनी लंबी कथा कर पाएंगी या नहीं, लेकिन, उनके गुरु को उन पर पूरा विश्वास था। वक्त के साथ वह भारत की मशहूर कथावाचक बन गईं। विभिन्न धार्मिक टीवी चैनलों पर उनकी कथाओं का प्रसारण होने लगा। अकसर कथा और प्रवचनों के वक्त उनकी आंखें भर आती हैं। बता दें कि चित्रलेखा देवी कथा और प्रवचन के अलावा बेसहारा और घायल गायों की सेवा भी करती हैं, जिसमें करीब 450 गायों की सेवा की जाती है।
देवी चित्रलेखा जी एक आध्यात्मिक वक्ता तथा संगीत कलाकार हैं।और यह एक भगवत गीता उपदेशक भी हैं। इसके साथ ही देवी चित्रलेखा जी एक मोटिवेशनल स्पीकर भी है। देवी चित्रलेखा मात्र 4 साल की थी तब उनके पिताजी ने उन्हें गुरु गिरधारी बाबा जी के पास “गौड़ीय वैष्णववाद की शिक्षा” के लिए भेज दिया था और वे उनकी संस्था से जुड़ गई थी और कथा की ट्रेनिंग ली थी। देवी चित्रलेखा जब 6 साल की थी तब उन्होंने लोगों को उपदेश देना शुरू कर दिया था. और उन्होंने तभी से कथा करना शुरू कर दिया था। 2019 में चित्रलेखा जी को आध्यात्मिक तथा युवा उपनिदेशक के लिए “वर्ल्ड बुक रिकॉर्ड” से सम्मान दिया गया था. देवी चित्रलेखा जी भारत की पहली ऐसी कथावाचक है जिन्होंने सबसे कम उम्र में कथा करना शुरू किया. एक बार देवी चित्रकला ने सड़क पर एक गाय को घायल देखा तो उसका तुरंत उपचार करवाया और अपने जन्म स्थान पलवल में सन 2013 में “गौ सेवा धाम हॉस्पिटल “ की शुरुआत की. वहां पर गायों की देखभाल की जाती है। इससे पहले भी वे अमेरिका में कथा कर चुकी हैं
देवी चित्रलेखा शादीशुदा है
साल 2013 में उन्होंने हरियाणा के पलवल में गौ सेवा धाम अस्पताल की शुरुआत की थी, जहां घायल व बेसहारा गायों का इलाज होता है. 23 मई 2017 को उन्होंने हरियाणा के पलवल स्थित गौ सेवा धाम अस्पताल में शादी की थी. उनके पति का नाम माधव प्रभु है. उनको हारमोनियम बजाना बेहद पसंद है. उनका अपना यूट्यूब चैनल भी है, जिस पर कई मिलियन सब्सक्राइबर हैं. वह भारत के अलावा अमेरिका, अफ्रीका और इंग्लैंड में भी सत्संग कर चुकी हैं> श्री भगवत कथा और प्रवचन के लिए प्रसिद्ध देवी चित्रलेखा जी अभी तक अनेकों कथाएं और प्रवचन किये है, इनका भगवान् कृष्ण की कथाओं में ज्यादा प्रवचन होता है। इनकी कथाएं सुनने के लिए देश विदेश तक के लोग आते है, भक्ति और साधना में काफी लोकप्रिय है देवी चित्रलेखा जी। अपने प्रवचन में यह राधे कृष्णा और हरे कृष्णा का मंत्र लोगों को सिखाती है ताकि लोगों का जीवन भगवान् के काम में लगे, जिससे उनका जीवन सफल हो सके।