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क्या आप जानते हैं प्रभु यीशु की कहानी, क्रिसमस पर इस्तेमाल होने वाल तीन रंग का मतलब क्या है?

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क्या आप जानते हैं प्रभु यीशु की कहानी, क्रिसमस पर इस्तेमाल होने वाल तीन रंग का मतलब क्या है?
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By NPG News

Prabhu Yeshu Ki Kahani:; क्रिसमस के त्योहार की धूम दुनियाभर में रहती है। दुनिया के अधिकतर देशों में ये फेस्टिवल सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन लोग चर्च जाकर प्रेयर करते है। इसके अलावा क्रिसमस के दिन लोग अपने करीबियों को केक खिलाते हैं और तोहफे देते हैं। साथ ही इस दिन क्रिसमस ट्री भी सजाया जाता है। क्रिसमस ईसाई धर्म का सबसे बड़ा त्योहार होता है और इसे बड़ा दिन भी कहते है। आपको क्रिसमस से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बताते है...

क्रिसमस पर जीसस के जन्म की कथा

एक बार ईश्वर ने ग्रैबियल नामक अपना एक दूत मैरी नामक युवती के पास भेजा। ईश्वर के दूत ग्रैबियल ने मैरी को जाकर कहा कि उसे ईश्वर के पुत्र को जन्म देना है। यह बात सुनकर मैरी चौंक गई क्योंकि अभी तो वह कुंवारी थी, सो उसने ग्रैबियल से पूछा कि यह किस प्रकार संभव होगा? तो ग्रैबियल ने कहा कि ईश्वर सब ठीक करेगा। समय बीता और मैरी की शादी जोसेफ नाम के युवक के साथ हो गई। भगवान के दूत ग्रैबियल जोसेफ के सपने में आए और उससे कहा कि जल्द ही मैरी गर्भवती होगी और उसे उसका खास ध्यान रखना होगा क्योंकि उसकी होने वाली संतान कोई और नहीं स्वयं प्रभु यीशु हैं। उस समय जोसेफ और मैरी नाजरथ जोकि वर्तमान में इजराइल का एक भाग है, में रहा करते थे। उस समय नाजरथ रोमन साम्राज्य का एक हिस्सा हुआ करता था। एक बार किसी कारण से जोसेफ और मैरी बैथलेहम, जोकि इस समय फिलस्तीन में है, में किसी काम से गए, उन दिनों वहां बहुत से लोग आए हुए थे जिस कारण सभी धर्मशालाएं और शरणालय भरे हुए थे जिससे जोसेफ और मैरी को अपने लिए शरण नहीं मिल पाई। काफी थक−हारने के बाद उन दोनों को एक अस्तबल में जगह मिली और उसी स्थान पर आधी रात के बाद प्रभु यीशु का जन्म हुआ। अस्तबल के निकट कुछ गडरिए अपनी भेड़ें चरा रहे थे, वहां ईश्वर के दूत प्रकट हुए और उन गडरियों को प्रभु यीशु के जन्म लेने की जानकारी दी। गडरिए उस नवजात शिशु के पास गए और उसे नमन किया।

यीशु जब बड़े हुए तो उन्होंने पूरे गलीलिया में घूम−घूम कर उपदेश दिए और लोगों की हर बीमारी और दुर्बलताओं को दूर करने के प्रयास किए। धीरे−धीरे उनकी प्रसिद्धि चारों ओर फैलती गई। यीशु के सद्भावनापूर्ण कार्यों के कुछ दुश्मन भी थे जिन्होंने अंत में यीशु को काफी यातनाएं दीं और उन्हें क्रूस पर लटकाकर मार डाला। लेकिन यीशु जीवन पर्यन्त मानव कल्याण की दिशा में जुटे रहे, यही नहीं जब उन्हें कू्रस पर लटकाया जा रहा था, तब भी वह यही बोले कि 'हे पिता इन लोगों को क्षमा कर दीजिए क्योंकि यह लोग अज्ञानी हैं।' उसके बाद से ही ईसाई लोग 25 दिसम्बर यानि यीशु के जन्मदिवस को क्रिसमस के रूप में मनाते हैं।

क्रिसमस के तीन रंग का मतलब क्या है?

• क्रिसमस पर तीन रंगों का विशेष महत्व है। इन रंगों में लाल रंग, हरा रंग और सुनहरा यानि गोल्डन कलर का इस्तेमाल सबसे अधिक किया जाता है, लेकिन इन तीन ही रंगों का प्रयोग क्यों किया जाता है, इन रंगों के बारे में जीसस क्राइस्ट के तीन उपदेश हैं। जानते हैं कि तीन रंगों के बारे में जीसस ने कौन सी शिक्षा दी है।

• लाल रंग यह रंग यीशु के खून का प्रतीक है। इसके अलावा उनका दूसरों के प्रति बेपनाह प्यार भी लाल रंग को दर्शाता है। लाल रंग मानवता का पाठ ढ़ता है। यह खुशी भी प्रदान करता है।

• हरा रंग हरा रंग, प्रकृतिक से जुड़ा है, जो कि इतनी सर्दी में भी अपने रंग को बरकरार रखने में कामयाब रहता हैं। ईसाई धर्म में मानते हैं कि हरा रंग प्रभू यीशु के शाश्वत जीवन का प्रतीक है। यीशु को भले ही जबरदस्ती मार दिया गया हो लेकिन वह आज भी हमारे दिलों में जिंदा हैं और हमेशा रहेंगे भी। इसलिये हरे रंग का मतलब होता है जिंदगी।

• सुनहरे रंग सुनहरे रंग का अर्थ किसी को भेंट देना। यीशु के जन्म पर जो तीसरे राजा आए थे, उन्होंने भेंट में सोना दिया था। भगवान ने गरीब मरियम को अपने बेटे को जन्म देने के लिये चुना। मरियम और यूसुफ ने यीशु को बचाने के लिये सभी बाधाओं का सामना किया। यह बताता है कि हर कोई भगवान के सामने बराबर है। यह एक उपहार था, जिसे भगवान ने मानव जाति को दिया था।

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