Chhath Puja 2025: आखिर छठ पूजा में क्यों महिलाएं नाक से माथे तक लगाती है सिंदूर? क्या है इसके पीछे की पौराणिक मान्यता और महत्त्व
छठ पूजा 2025: यूपी और बिहार में मनाया जाने वाला छठ महापर्व जल्द ही आने वाला है। इस दिन महिलाये छठ मैया की पूजा अर्चना कर सूर्य देव को अर्घ्य देती है। साथ ही इस दिन नाक से माथे तक सिंदूर लगाने की भी परंपरा है, लेकिन इसके पीछे की वजह क्या होती है, किसी को नहीं पता..

Chhath Puja 2025
Chhath Puja Sindoor Vidhi: भारत समेत दुनिया के हर कोने में उत्तर भारतीयों द्वारा मनाया जाने वाला महापर्व छठ पूजा जल्द ही आने वाला है, जिसे लेकर उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों में काफी उत्सुकता है। इस साल छठ पूजा का त्यौहार 25 अक्टूबर से शुरू होकर 27 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। महिलाये इस दिन उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर उनकी उपासना करती है। इसके साथ ही छठ मैया से सुख-समृद्धि और शांति की कामना की जाती है।
महिलाएँ इस दिन तरह-तरह के फलों से भरे सूप में कई प्रकार की विशेष पूजा सामग्री रखती हैं और पूजा के अंत में सभी महिलाएँ एक-दूसरे को नाक से माथे तक सिंदूर लगाती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि महिलाएँ यह व्यवहार क्यों करती हैं? अगर नहीं, तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि ऐसा करने के पीछे क्या वजह होती है।
क्या है इसके पीछे की मान्यता?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बिहार में महिलाओं के लिए शादी के दौरान नाक से माथे तक सिंदूर लगाने की प्रथा रही है, जो कि एक महत्वपूर्ण रस्म मानी जाती है। हालाँकि, आम दिनों में महिलाएँ इसे नहीं लगा पातीं। वहीं, धार्मिक त्योहारों में इसे लगाना ज़रूरी हो जाता है, जिसके 'पाप' से बचने के लिए महिलाएँ त्योहारों में इसे पूरा नाक से माथे तक लगाती हैं। वहीं, यह मान्यता है कि, नाक से माथे तक सिंदूर लगाना परिवार में सुख-शांति और समृद्धि लाता है। इससे वैवाहिक जीवन खुशहाल होता है और ऐसा करने से जीवनसाथी की आयु लंबी होती है।
इसके लिए अधिकतर महिलाएँ नारंगी सिंदूर का प्रयोग करती हैं, जिसे लगाने की प्रथा पौराणिक काल से चली आ रही है। छठ पूजा के दिन ऐसा करने से छठ मैया खुश होती हैं और आशीर्वाद देती हैं। इसके अलावा, कहा जाता है कि ऐसा करने से पति के सम्मान में बढ़ोतरी होती है। विवाह के बाद नारंगी सिंदूर का उपयोग दुल्हन के ब्रह्मचर्य व्रत के समाप्त होने और गृहस्थ जीवन की शुरुआत होने का संकेत भी माना जाता है।
