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Chhath Puja 2022: कब से शुरू है छठ पूजा, जानें तिथि, महत्व, पूजा विधि और सबकुछ...

Chhath Puja 2022: कब से शुरू है छठ पूजा, जानें तिथि, महत्व, पूजा विधि और सबकुछ...
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By NPG News

NPG DESK I छठ पूजा का पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस बार छठ के पर्व की शुरुआत 28 अक्टूबर से होगी और 31 अक्टूबर को इसका समापन होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार दिवाली के बाद छठ पूजा का त्योहार मनाया जाता है। दिवाली पर जहां मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है वहीं छठ पर्व सूर्यदेव और षष्ठी मैया को समर्पित होता है। चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व पूरे विधि-विधान के साथ मनाया जाता है। इन चार दिनों तक व्रत रखते हुए कई कठिन नियमों का पालन किया जाता है। छठ पूजा बिहार,बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड राज्य का मुख्य पर्व होता है। छठ पूजा का पर्व दिवाली के 6 दिनों बाद मनाया जाता है। इस सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं छठ महापर्व का तिथि, महत्व और खास बातें...

छठ पूजा 2022 की तिथियां

छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाय 28 अक्टूबर 2022, शुक्रवार

छठ पूजा का दूसरा दिन खरना 29 अक्टूबर 2022, शनिवार

छठ पूजा का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य 30 अक्टूबर 2022, रविवार

छठ पूजा का चौथा दिन उषा अर्घ्य 31 अक्टूबर 2022, सोमवार

छठ पूजा अर्घ्य मुहूर्त 2022

संध्या अर्घ्य सूर्यास्त का समय 30 अक्टूबर -शाम 05 बजकर 37 मिनट से

उषा अर्घ्य सूर्योदय का समय 31 अक्टूबर- सुबह 06 बजकर 31 मिनट तक

छठ पूजा का व्रत कितने दिन रखा जाता है

पहला दिन- नहाय खाय

इस दिन छठ पूजा की शुरुआत होती है. इस दिन को नहाय खाय के नाम से जाना जाता है. इस दिन व्रत करने से पहले एक बार ही खाना होता है. उसके बाद नदी में स्नान करना होता है. नहाय खाय 28 अक्टूबर को है.

दूसरा दिन- खरना

छठ का दूसरा दिन खरना कहलाता है. इस दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक महिलाओं का व्रत रहता है. शाम को सूर्यास्त के तुरंत बाद, व्रत तोड़ा जाता है. उसके बाद भोजन तैयार किया जाता है. उसके बाद भोग सूर्य को अर्पित किया जाता है. व्रत का तीसरा दिन दूसरे दिन के प्रसाद के ठीक बाद शुरू होता है. खरना 29 अक्टूबर को है.

तीसरा दिन- अर्घ्य

छठ पूजा का तीसरे दिन सबसे प्रमुख दिन माना जाता है. इस मौके पर शाम के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है और बांस की टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से अर्घ्य के सूप को सजाया जाता है. इसके बाद, व्रती अपने परिवार के साथ मिलकर सूर्यदेव को अर्घ्य देता हैं और इस दिन डूबते सूर्य की आराधना की जाती है. पहला अर्घ्य 30 अक्टूबर को है. इस दिन सूर्यास्त का समय सुबह 05 बजकर 37 मिनट रहेगा.

चौथा दिन- उषा अर्घ्य

यह अर्घ्य उगते हुए सूरज को दिया जाता है. इसे उषा अर्घ्य कहते हैं. 36 घंटे के व्रत के बाद ये अर्घ्य दिया जाता है. ये 31 अक्टूबर को छठ का आखिरी दिन होगा. इस दिन सूर्योदय का समय 06 बजकर 31 मिनट रहेगा.

छठ पूजन सामग्री और पूजा विधि

छठ भगवान सूर्य की आराधना और उपासना का महापर्व है। भगवान सूर्यदेव और छठ मैय्या का आशीर्वाद पाने के लिए विधि-विधान के साथ छठ पूजा करनी चाहिए। आइए जानते हैं छठ पूजा के लिए किन-किन सामग्री की जरूर होती है। बांस की 3 टोकरी, एक सूप, थाली, गिलास, दूध, नारियल, हल्दी,चावल, सिंदूर, दीपक, सब्जी, शकरकंद, गन्ना, पान,सुपारी , नींबू, शहद, फल,फूल, मिठाई,कपूर आदि। इसके अलावा पूजा के प्रसाद के लिए ठेकुआ, गुड-चावल से बना खीर, हलवा, मालपुआ और चावल के लड्डू।

छठ पूजा का धार्मिक महत्व

सूर्य उपासना का सबसे बड़ा और पवित्र त्योहार छठ पूजा माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार,हर वर्ष छठ पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से शुरू हो जाता है छठ पूजा चार दिवसीय पर्व और उत्सव है। छठ पर्व के चार दिनों के दौरान भगवान सूर्य और उनकी बहन मां उषा की पूजा-अर्चना,अर्घ्य और मनोकामनाएं मांगी जाती हैं। छठ पर्व पर भगवान सूर्य के साथ षष्ठी मैया की पूजा-अर्चना करने से भक्तों को दोनों का आशीर्वाद मिलता है। इन चार दिनों तक चलने वाले महापर्व पर व्रत,धार्मिक अनुष्ठान और मांगलिक कार्य किए जाते हैं। छठ पूजा के दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने की विशेष परंपरा निभाई जाती है। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जहां पर सूर्य देव की आराधना डूबते हुए सूर्य को समर्पित करते हुए की जाती है। इसलिए यह त्योहार बहुत ही खास होता है।

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