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Chhath Puja 2022: आखिर क्यों मनाया जाता है छठ पूजा और कैसे मनाया जाता है, जानें क्या है इसका इतिहास...पढ़े पूरी खबर

Chhath Puja 2022: आखिर क्यों मनाया जाता है छठ पूजा और कैसे मनाया जाता है, जानें क्या है इसका इतिहास...पढ़े पूरी खबर
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By NPG News

NPG डेस्क I हिंदुओं के सबसे बड़े पर्व दीपावली को पर्वों की माला माना जाता है। पांच दिन तक चलने वाला ये पर्व सिर्फ भैयादूज तक ही सीमित नही है बल्कि यह पर्व छठ तक चलता है। उत्तर प्रदेश और खासकर बिहार में मनाया जाने वाला ये पर्व बेहद अहम पर्व है जो पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है, छठ पूजा क्यों मनाया जाता है? क्या आप जानते हैं छठ पूजा क्या होती है और इसे कौन करते हैं? शायद आप लोगों पहले ही छठ पूजा के विषय में जानकारी हो। बहुतों का जवाब शायद हाँ हो, जो की जायज सी बात है। लेकिन अब सवाल उठता है की आप जानते हैं छठ पूजा क्यों मानते है? यदि नहीं तब आज का यह लेख आपके लिए काफी जानकारी भरा होने वाला है। पूरा पढ़े खबर...

छठ पूजा क्या है?:- छठ पूजा एक हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा मनाया जाने वाला एक बहुत बड़ा पर्व है। इस पर्व की धूम धाम बिहार में देखी जाती है। माना जाता है कि यह पर्व वैदिक काल से चला आ रहा है। छठ पूजा पर्व का उल्लेख रामायण एवं महाभारत में भी मिलता है अर्थात यह पर्व रामायण काल एवं महाभारत काल से चला आ रहा है। छठ पूजा में मुख्य रूप से सूर्य की उपासना की जाती है। लेकिन बाकी हिन्दू पर्वों की तरह इसमें मूर्ति पूजा शामिल नहीं है। बिहार में हिन्दू धर्मावलंबियों के अलावा इस्लाम एवं अन्य धर्म के लोग भी मनाते हैं। इस पर्व के पीछे कुछ पौराणिक मान्यताएं हैं और इससे जुड़ी बहुत सी कथाएं भी प्रचिलित हैं।

छठ पूजा का इतिहास:- छठ पूजा से जुड़ी हुई बहुत सी कहानियां प्रचिलित जो कि वैदिक काल, रामायण काल एवं महाभारत काल आदि से जुड़ी हुई है। इसीलिए छठ पूजा अर्थात सूर्य पूजा को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। आइए हम आपको छठ पूजा से जुड़ी हुई कुछ कहानियों से अवगत कराते हैं। महाभारत काल की मान्यता के अनुसार छठ पूजा की शुरुआत महाभारत काल से ही हुई थी। कर्ण सूर्य भगवान के पुत्र थे और भगवान सूर्य में परम भक्त भी थे। माना जाता है कि कर्ण प्रतिदिन कई कई घंटों तक आधी कमर तक पानी में खड़े रहकर सूर्य को अर्घ्य देते थे और भगवान सूर्य के आशीर्वाद से ही वे महान योद्धा बने थे।

छठ पूजा कब मनाया जाता है?:- छठ पूजा का पर्व वर्ष भर में दो बार आता है। छठ पूजा का पर्व का हिंदी कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है और दूसरा चैत्र माह की षष्ठी तिथि को आता है, लेकिन मुख्य रूप से कार्तिक मास की छठ पूजा का पर्व ही मनाया जाता है। छठ पूजा का पर्व हर वर्ष मनाया जाने वाला पर्व है। छठ पूजा का पर्व इस दिन मनाने के पीछे बहुत सी पौराणिक मान्यताएं हैं और इस दिन से जुड़ी हुई बहुत सी कथाएं भी प्रचिलित हैं। छठ पूजा पर्व के अनुष्ठान बहुत कठोर माने जाते हैं। इसमें निर्जल व्रत से लेकर पानी में खड़े होकर सूर्य अर्घ्य देना आदि कार्य शामिल हैं जो कि इस पर्व में उपासक को करना होता है। पर्यावरणविदों के अनुसार भी छठ पूजा के पर्व को प्रकृति के अनुकूल माना गया है।

छठ पूजा क्यों मानते है?:- छठ पूजा का पर्व घर परिवार के सभी सदस्यों की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य लाभ के लिए मनाया जाता है। इस दिन प्राकृतिक सौंदर्य एवं परिवार के कल्याण के लिए पूजा की जाती है। माना जाता है कि छठ पूजा करने से परिवार में सुख समृद्धि बानी रहती है एवं मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। कुछ महिलाएं पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए और पुत्र के कुशल मंगल रहने की कामना को लेकर इस दिन व्रत रखती हैं। वैंसे तो इस दिन स्त्री एवं पुरुष दोनों ही लगभग समान रूप से व्रत रखते हैं। पुरुष भी अपने मनवांछित फल प्राप्ति के लिये इस कठोर व्रत को रखते हैं। रोगी या फिर रोगी परिवारजन रोग से मुक्ति पाने के पाने के लिए छठ पूजा करते हैं।

छठ पूजा कैसे मनाया जाता है?:- छठ पूजा का पर्व मुख्य रूप से बिहार में मनाया जाता है। बिहार में इस पर्व को बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। छठ पूजा पर्व का प्रमुख हिस्सा छठ व्रत है। छठ व्रत में बिना अन्न जल ग्रहण करे रहना, सूर्य को कमर तक पानी में खड़े होकर अर्घ्य देना, एकांत में प्रसाद ग्रहण करना, साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना आदि कठोर नियम शामिल है। इस दिन सूर्य की दोनों पत्नियां उषा अर्थात सूर्योदय एवं प्रत्युषा अर्थात सूर्यास्त की पूजा भी की जाती है। बिहार में षष्ठी माता के लोकगीत बहुत प्रचिलित हैं। छठ पूजा की शुरुआत होती घरों एवं मंदिरों से छठ माता के लोकगीतों की गूंज सुनाई पड़ने लगती है। छठ पूजा बिहार की परम्परा बन चुकी है।

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