छतीसगढ़ के सबसे बड़े छठ घाट में आस्था का महापर्व, उगते सूर्य को अर्घ्य देने खाली पैर पहुँचे लोग
बिलासपुर। छतीसगढ़ के सबसे बड़े छठघाट बिलासपुर में आज छठ पर्व की धूम दिखी। यहां छठ घाट में हजारो श्रद्धालुओं ने उगते हुए सूरज को अर्घ्य दिया। आज छठ पर्व के चौथे दिन उगते सूरज को अर्घ्य देने की मान्यता है। जिसके लिए श्रद्धालु नंगे पांव चल कर छठ घाट तक पहुँचे थे। यहां प्रशासन ने सुरक्षा समेत चाक चौबंद व्यवस्था करते हुए अरपा नदी के तट को आकर्षक लाइटिंग से सजाया था।
न्यायधानी के तोरवा में अरपा नदी पर छठघाट बनाया गया है। यहां प्रतिवर्ष छठ पर्व पर सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान सूर्य व छठ मैय्या से परिवार की सुख समृद्धि की कामना करते हैं। छठ पर्व पूर्वांचल के लोगो का प्रमुख त्यौहार है। जिसमें एक दिन पूर्व श्रद्धालु डूबते सूर्य को तो वही दूसरे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस दिन नई नवेली सुहागिनें पुत्र रत्न की कामना लेकर सूर्य को अर्घ्य देती है। बीती शाम नदी में कमर भर पानी मे खडे होकर डूबते सूर्य को लोगो ने अर्घ्य दिया था।
आज आधी रात तीन बजे से ही श्रद्धालुओं के पहुँचने का सिलसिला छठघाट में शुरू हो गया था। लोग पूजा के लिए गन्ना व दौरा लेकर पहुँचे थे। इस दौरान व्रती सुपे पर फल,दूध व पूजन सामाग्री सजा कर पहुँचे थे। यहां लोग आधे कमर तक नदी के पानी में खड़े होकर सूर्योदय का इंतजार कर रहे थे। फिर जैसे ही सूर्योदय हुआ सूर्य देवता को जल व दूध से अर्घ्य दिया गया। और विधि विधान से सूर्य देवता व छठ मैय्या की पूजा अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की गई। फिर व्रतियों ने जल ग्रहण कर अपना उपवास तोड़ा। यहां जिन महिलाओं की मनोकामना पूरी हो चुकी थी वो घर से लोटते हुए छठघाट तक पहुँची थी। यहां घाट स्थित दौरा का पूजन के साथ ही सूर्य को अर्घ्य देने के साथ चार दिन का यह महोत्सव पूरा हुआ। इस दौरान घाट पर जगह जगह महिलाओं का समूह मंगलगीत भी गाता हुआ दिखाई दिया। बड़ी संख्या में नेताओ का हुजूम भी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं देने के लिए छठघाट पर पहुँचा था।
एसडीआरएफ़ की नाव नदी में पलटी:- घाट पर किसी अप्रिय स्थिति से निपटने व घाट की निगरानी के लिए एसडीआरएफ की टीम अरपा नदी में नाव के साथ तैनात थी। बताया जा रहा है कि नाव में क्षमता से ज्यादा जवान सवार थे जिस वजह से नाव अनबैलेंस होकर पलट गयी। हालांकि सभी जवान लाइफ जैकेट पहनें हुए थे। जिस वजह से कोई भी अनहोनी नही हुई और जवान खुद बोट को सीधा करके किनारे तक ले आये।