Why Lord Vishnu sleeps for 4 months : श्री हरी विष्णु जी गए योग निद्रा में, अब कौन चलाएगा पृथ्वी को...यहां जानें
chaturmas 2024 : पौराणिक मान्यता के अनुसार देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। पुराणों के अनुसार, राजा बलि की दयालुता व दानशीलता के भाव से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने बलि के आग्रह पर पाताल लोक जाने का निवेदन स्वीकार किया था।
Chaturmas 2024 : कल देवशयनी एकादशी थी. आज से चातुर्मास की शुरुआत हो गई है और भगवान विष्णु अगले चार महीनों के लिए अब योग निद्रा में रहेंगे. अगले चार माह विवाह, यज्ञोपवीत जैसे मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे। अब प्रश्न यह उठता है की भगवन के निद्रा में जानें के बाद इस धरती को कौन सम्हालेगा, तो जवाब है शिव.
विष्णु जी ने बलि को वरदान दिया कि वह हर साल आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक पाताल लोक में ही रहेंगे। इस अवधि में सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं। चातुर्मास में शिव व उनके परिवार की पूजा होती है। प्रबोधिनी एकादशी को श्रीविष्णु वापस सृष्टि का संचालन अपने हाथ लेंगे।
सृष्टि के संरक्षण व लक्ष्मीपति विष्णु अब कुछ समय के लिए योग निद्रा में रहेंगे। इन दिनों यानि सावन से कार्तिक मास तक सृष्टि के संचालन की जिम्मेदारी देवों के देव महादेव संभालेंगे। सावन भगवान नीलकंठ का सबसे प्रिय माह है। इस पवित्र माह में मांसाहारी भी मांसाहार तज कर भोलेनाथ की आराधना में लग जाते हैं। इच्छित वर की मनोकामना के साथ कुंवारियों का व्रत शुरू होता है तो गहन साधना के लिए संत भी चातुर्मास प्रवास करते हैं। भोले भंडारी को खुश करने के लिए युवा कांवड़ लाते हैं। यही वह मनभावन सावन है, जिससे त्योहारों और उत्सवों की शुरूआत होती है।
देवशयनी से देवउठनी एकादशी तक मिलता है जिम्मा
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि शिव पुराण के अनुसार आषाढ़ माह में हरिशयनी यानि देवशयनी एकादशी से कार्तिक माह की देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु योग निद्रा में होते हैं। इस दौरान सृष्टि संचालन की जिम्मेदारी भगवान शिव को मिलती है। सावन में उनकी विशेष आराधना करनी चाहिए। देवशयनी एकादशी से आने वाले 4 महीनों के लिए भगवान विष्णु शयनकाल में चले जाते हैं। इसके बाद कार्तिक मास की शुक्ल की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु जागते हैं। भगवान विष्णु के इस 4 माह के शयनकाल को चतुर्मास कहा जाता है। ऐसे में इस दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडल, जनेऊ आदि शुभग नहीं किए जाते है। क्या आप जानते हैं चार महीने के लिए क्यों शयनकाल में चले जाते हैं भगवान विष्णु।
भगवान विष्णु दुनिया को संभालने का काम अपने अवतारों को सौंपकर जाते हैं
भगवान विष्णु के चार माह के इस शयनकाल को बरसात का समय माना जाता है। इस दौरान पूरी दुनिया बाढ़ की समस्या से जूझ रही होती है। इस समय दुनिया में वार्षिक प्रलय आती है और दुनिया खुद को एक नए सिरे से तैयार कर रही होती है। साथ ही सूर्य इस दौरान दक्षिण की तरफ जाता है और कर्क राशि में प्रवेश करता है। कर्क राशि का चिह्न केकड़ा है। कहा जाता है कि केकड़ा सूर्य के प्रकाश को खा जाता है जिस कारण दिन छोटे होने लगते है। ऐसा भी माना जाता है कि इस समय दुनिया में अंधकार छा जाता है। इस उथल-पुथल को संभालने में भगवान विष्णु इतना थक जाते हैं कि वह 4 महीने की निद्रा में चले चले जाते हैं। इस दौरान भगवान विष्णु दुनिया को संभालने का सारा काम अपने अलग-अलग अवतारों को सौंपकर जाते हैं।
भगवान विष्णु आषाढ़ मास की एकादशी से कार्तिक मास की एकादशी तक निद्रा में रहते हैं। इन चार महीनों के दौरान पृथ्वी की उपजाऊ क्षमता कम हो जाती है। जितने दिन भगवान विष्णु निद्रा में रहते हैं, उतने दिन उनके अवतार सागर में संजीवनी बूटी तैयार करते हैं। ताकि धरती को फिर से उपजाऊ बनाया जा सके।