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Chattisgarhi Festival Bhojali 2024 : छत्तीसगढ़ में 'मितान' बनाने का नायाब तरीका, कान में लगाते भोजली, जानिए दोस्ती के इस त्यौहार के बारे में

Chattisgarhi Festival Bhojali 2024 : छत्तीसगढ़ में भोजली का त्यौहार सिर्फ मित्रता का ही उत्सव नहीं है, बल्कि नई फसल की कामना के लिए गांवों में यह त्योहार मनाया गया. जिले के ग्रामीण इलाकों में महिलाएं एक-दूसरे को भोजली का दूब भेंट कर जीवन भर मित्रता का धर्म निभाने का संकल्प लेती हैं.

Chattisgarhi Festival Bhojali 2024  :   छत्तीसगढ़ में मितान बनाने का नायाब तरीका, कान में लगाते भोजली, जानिए दोस्ती के इस त्यौहार के बारे में
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By Meenu

Chattisgarhi Festival Bhojali 2024 : छत्तीसगढ़ में भोजली पर्व बड़े ही धूम-धाम से मनाया जा रहा है. छत्तीसगढ़ का यह लोकपर्व भोजली रक्षाबंधन के दूसरे दिन यानी कि कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है. दरअसल, भोजली को घर में टोकरी में उगाने के लिए गेहूं के दाने को भिगोकर फिर बोया जाता है. सात से 9 दिन तक विधि-विधान से इसकी पूजा-अर्चना की जाती है.

भोजली का त्यौहार सिर्फ मित्रता का ही उत्सव नहीं है, बल्कि नई फसल की कामना के लिए गांवों में यह त्योहार मनाया गया. जिले के ग्रामीण इलाकों में महिलाएं एक-दूसरे को भोजली का दूब भेंट कर जीवन भर मित्रता का धर्म निभाने का संकल्प लेती हैं. भोजली त्यौहार के मौके पर महिलाएं और युवतियों ने भोजली की टोकरियां सिर पर रखकर तालाब किनारे पहुंची और विसर्जन किया गया. सभी पारंपरिक रस्मों के साथ तालाब में भोजली का विसर्जन किया गया.

कान में भोजली खोंस कर मितानी के अटूट बंधन में बंधने का पर्व भोजली तिहार 31 अगस्त को मनाया गया. छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक वैभव के प्रतीक भोजली पर्व की अपनी महत्ता है. जांजगीर के भीमा तालाब सहित जिले में महानदी, हसदेव, सोन नदियों में भोजली विसर्जन की परम्परा है. भोजली विसर्जन के बाद इसके ऊपरी हिस्से को बचा कर रख लिया जाता है. जिसे लोग एक-दूसरे के कानों में खोंच कर भोजली, गियां, मितान, सखी, महाप्रसाद, मितान, दीनापान बदते हैं.

ऐसे मनाते हैं भोजली का त्योहार

भोजली त्यौहार हर साल रक्षाबंधन त्यौहार के दूसरे दिन पड़ता है. भोजली त्यौहार मनाने के लिए नागपंचमी के दिन सुबह गेहूं और ज्वार को भिगोया जाता है. शाम को बांस के एक टोकरी में मिट्टी और खाद डाल कर उसमे गेहूं बीज को डाला जाता है. 5 दिन बाद भोजली बाहर निकल कर आता है और रक्षा बंधन के अगले दिन विसर्जन किया जाता है.




भोजली बड़ी तो फसल भी अच्छी

पहले के लोग कहते थे कि जितनी बड़ी भोजली रहेगी, उतना ही अच्छा फसल होगा. भोजली की टोकरी सिर पर लेकर लाईन लगाकर गीत गाते हुए गांव का चक्कर लगा कर तालाब या नदी के किनारे भोजली देवी का विसर्जन किया जाता है. विसर्जन करते वक्त भोजली में से कुछ बाली लेकर अपने भाई के कानो में लगा देते है जिससे भाई-बहन के रिश्तो में मित्रता भी बनी रहती है.

भोजली देवी से करते हैं ये प्रार्थना


छत्तीसगढ़ की एक बेटी अंगना तिवारी भोजली बोती हुई.

भोजली से हम किसी को दोस्त बनाने के लिए भी उसके कान में भोजली को लगाकर उसे दोस्त बना लेते है. कहा जाता है की भोजली से जो दोस्ती बनती वह कभी नहीं टूटती है. साथ ही त्यौहार के दिन भोजली देवी से विनती करते हैं कि जो भी हमारी फसल की बुवाई हुई है वह फसल अच्छी हो. भोजली देवी से बारिश होने की कामना करते हैं तो बारिश भी होती है और अच्छा फसल उगता है.

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