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ज्ञानवापी मसले पर आज सुनवाई: कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा बोले - जो बाबा चाहेंगे, वही फैसला होगा; भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहिए

ज्ञानवापी मसले पर आज सुनवाई: कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा बोले - जो बाबा चाहेंगे, वही फैसला होगा; भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहिए
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By NPG News

रायपुर। अंतरराष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने ज्ञानवापी मामले में कहा कि जो बाबा (भगवान शिव) चाहेंगे, वही होगा। बता दें कि आज ज्ञानवापी मामले में सुप्रीम कोर्ट के साथ ही, वाराणसी के कोर्ट में सुनवाई है। सबकी नजर कोर्ट के फैसले पर है।

राजधानी में पत्रकारों से चर्चा करते हुए पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा, भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहिए। आज देखिए कि धर्म की चारों ओर से जड़ें खोदी जा रहीं हैं। हिंदी सिनेमा को साउथ की फिल्मों से सीख लेनी चाहिए जो भारतीय मूल्य और परंपराओं को अच्छे से पेश करते हैं। इस पूरे विश्व में केवल और केवल सनातन धर्म था। जहां की जमीन खोद लो, कंकड़-कंकड़ में शंकर मिलेंगे।

छत्तीसगढ़ माता कौशल्या की धरती है। यहां चंपेश्वर धाम है, जो शिवजी का उपवन है। यानी छत्तीसगढ़ का शिवजी और राम, दोनों से सीधा संबंध है। धर्मान्तरण पर पंडित मिश्रा ने कहा, जो धर्मान्तरण करवा रहे हैं, पहले उनके माता पिता से पूछें कि वो कौन से धर्म से थे? उनके दादा - परदादा कौन से धर्म के थे। धर्मान्तरण कराने वालों को कहा कि ये उनकी विपरीत बुद्धि है, उन्हें ऊपर से प्रेशर रहता है, उन्हें इतना माल दिया जाता है कि उन्हें धर्मान्तरण कराना पड़ता है।

शुरुआती समय संघर्ष में, हाल में मिली प्रसिद्धि

कथावाचक पंडित मिश्रा ने बताया कि उन्हें प्रसिद्धि हाल-फिलहाल में मिली है। उनका शुरुआती समय संघर्ष में बीता। बहन की शादी से जुड़ा किस्सा शेयर करते हुए उन्होंने कहा कि बहन की शादी के समय नगर में एक सेठ के यहां भी शादी हुई। तब मैंने अपने परिवार के साथ उनके पास जाकर गुजारिश की कि आप अपनी सजावट रहने दीजिए। मैं इसी में अपनी बहन की शादी करवा लूंगा। मैंने बस अपने कर्म पर भरोसा किया और भोलेनाथ पर विश्वास किया। हर व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने कर्म पर ध्यान दे और भगवान पर विश्वास रखे।

उन्होंने बताया कि शिव भक्ति को लेकर हाल के दिनों में ज्यादा उत्साह देखने मिलता है। एक समय ऐसा भी था जब मैंने शिवलिंग पर 3-4 दिनों तक वही बिल्व पत्र चढ़े देखा। फिर मैंने नित्य शिवलिंग की साफ-सफाई कर शिवजी की सेवा शुरू की। भक्ति भावना पहले से ही थी। समय के साथ मुझे इसका प्रतिसाद भी मिला।

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