Begin typing your search above and press return to search.

भूतेश्वर महादेव शिवलिंग: देश के सबसे विशाल इस शिवलिंग का निरंतर बढ़ रहा है आकार, आप भी जानिए श्रद्धा के आस्था केंद्र के बारे में

राजधानी रायपुर से 91 किमी और गरियाबंद के मुख्य चौक से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है भूतेश्वरनाथ मंदिर। किसी समय घने जंगल के बीच एंकात में पाए गए शिवलिंग की प्रसिद्ध अब दूर-दूर तक फैल चुकी है। उसी के अनुरूप यहां की व्यवस्थाएं भी बहुत बेहतर हो चुकी हैं। विशाल स्थल के बीचों-बीच एकदम खुले में विराजमान हैं यहां भूतेश्वरनाथ जी। इस प्राकृतिक शिवलिंग की ऊचांई लगभग 18 फ़ीट व चौड़ाई 20 फ़ीट है। और तो और शिवलिंग के नीचे प्राकृतिक रूप से निर्मित जल लहरी भी है। शिवलिंग पर अर्पित जल इसी जल लहरी से होकर प्रवाहित होता है। छत्तीसगढ़ में इन्हें अर्धनारीश्वर शिवलिंग के रूप में माना जाता है।

भूतेश्वर महादेव शिवलिंग: देश के सबसे विशाल इस शिवलिंग का निरंतर बढ़ रहा है आकार, आप भी जानिए श्रद्धा के आस्था केंद्र के बारे में
X
By NPG News

NPG ब्यूरो

Bhuteshwar Mahadev Shivling:; छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के मरौदा गांव में अद्भुत और भारत के साथ विश्व का भी सबसे विशाल प्राकृतिक शिवलिंग विराजमान है। अधिक हैरान करने वाली बात यह है कि शिवलिंग का आकार साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है। इन्हें 'भूतेश्वरनाथ' और स्थानीय तौर पर 'भर्कुरा महादेव' के नाम से पुकारा जाता है। इनकी ख्याति ऐसी फैली कि देश भर से लोग इनके दर्शनों को आने लगे हैं। महाशिवरात्रि पर यहां मेला भी लगता है। नंगे पांव पैदल चलकर भोले बाबा को जल चढ़ाने आने वाले कांवड़ियों और आम जनों के लिए यहां पर्याप्त बंदोबस्त भी किया गया है।


कहाँ स्थित हैं भूतेश्वर महादेव

राजधानी रायपुर से 91 किमी और गरियाबंद के मुख्य चौक से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है भूतेश्वरनाथ मंदिर। किसी समय घने जंगल के बीच एंकात में पाए गए शिवलिंग की प्रसिद्ध अब दूर-दूर तक फैल चुकी है। उसी के अनुरूप यहां की व्यवस्थाएं भी बहुत बेहतर हो चुकी हैं। विशाल स्थल के बीचों-बीच एकदम खुले में विराजमान हैं यहां भूतेश्वरनाथ जी। इस प्राकृतिक शिवलिंग की ऊचांई लगभग 18 फ़ीट व चौड़ाई 20 फ़ीट है। और तो और शिवलिंग के नीचे प्राकृतिक रूप से निर्मित जल लहरी भी है। शिवलिंग पर अर्पित जल इसी जल लहरी से होकर प्रवाहित होता है। छत्तीसगढ़ में इन्हें अर्धनारीश्वर शिवलिंग के रूप में माना जाता है।


भर्कुरा महादेव नाम कैसे पड़ा

स्थानीय लोग बताते हैं कि जब भी गांव के लोग इस ओर जंगल के करीब से होकर गुजरते तो उन्हें किसी बैल के हुँकारने की आवाज़ आती थी। परंतु यहां आकर तलाशने पर उन्हें कोई बैल नज़र नहीं आता था। समीप ही एक विशाल टीला था। आखिर लोगों में यह विश्वास पैदा हो गया कि हो न हो, इस टीले में भगवान शिव का वास है और यह बैल सरीखी आवाज़ उनके वाहन नंदी की है। तब धीरे-धीरे ग्रामीणों ने उक्त टीले को शिव का स्वरूप मानकर पूजा- अर्चना आरंभ कर दी। चूंकि बैल की आवाज़ को स्थानीय भाषा में भर्कुरा या भकुरना कहा जाता है इसलिए इस शिवलिंग का नाम भर्कुरा महादेव पड़ गया।


ऐसा है मंदिर का स्वरूप

मंदिर का विशाल प्रवेश द्वार है। द्वार के बाहर नंदी स्थापित हैं। शिवलिंग के समक्ष रेलिंग के भीतर कई त्रिशूल लगाए गए हैं जो शिवलिंग के स्वरूप को और निखार देते हैं। भूतेश्वर नाथ महादेव के पीछे सपरिवार भगवान शिव-माता पार्वती विराजित हैं। इस शिवलिंग में हल्की सी दरार भी है, इसलिए इसे अर्धनारीश्वर के रूप मे पूजा जाता हैं।


शिवलिंग के समीप एक गुफा भी है जिसमें तपस्वी साधू के चित्र को देखते हुए मान्यता है कि यहाँ पर किसी साधु ने भोले बाबा के लिए तपस्या की थी। मंदिर के आसपास बहुत सी दुकानें भी हैं। सावन मास और महाशिवरात्रि पर लगने वाले तीन दिवसीय मेले के दौरान यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।


पहुंचना है आसान

कोई 50-60 बरस पहले घने जंगल के बीच इस स्थान तक पहुंचना खतरनाक था लेकिन अब दर्शन के लिए यहां पहुंचना बहुत आसान हो गया है। श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए शासन-प्रशासन ने समुचित व्यवस्था कर दी है। मार्ग एकदम स्पष्ट है और सड़क अच्छी। कांवड़ियों और आगंतुकों के लिए यहां अच्छी व्यवस्थाएं भी हैं।


अगर आप भी निरंतर बढ़ते इस विशालतम प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन करना चाहते हैं तो आप छत्तीसगढ़ के महासमुंद रेलवे स्टेशन पर उतर सकते हैं जो यहां से करीब 50 किमी दूर है। वहीं प्लेन से आप रायपुर एयरपोर्ट पर उतर सकते है। आगे बस या कैब से भूतेश्वर महादेव पहुंचना बहुत आसान है।



Next Story