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Bhai Dooj Date:भाई दूज की तारीख को लेकर कन्फ्यूजन करें दूर, जानिए पूजा-विधि, तिलक लगाने का तरीका

Bhai Dooj Date:भाई दूज कब है भाई दूज के दिन बहनें भाई के लिए उनका मनपसंद भोजन भी तैयार करती हैं। वहीं भाई भी शगुन के रूप में बहन को उपहार भेंट देते हैं। लेकिन, अगर आपके भाई आपसे दूर हैं, तो निराश होने की आवश्यकता नहीं है।

Bhai Dooj Date:भाई दूज की तारीख को लेकर कन्फ्यूजन करें दूर, जानिए पूजा-विधि, तिलक लगाने का तरीका
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By Shanti Suman

Bhai Dooj Date: सनातन धर्म में भाई दूज एक महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है. जो भाई-बहन के प्यार और बंधन को मनाने का उत्सव है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक करती हैं और विशेष पूजा-अर्चना करती हैं। भाई दूज के पर्व को लेकर पूजा की सही विधि, शुभ मुहूर्त और तिलक लगाने की विधि क्या है...

भाई दूज की शुभ मुहूर्त

भाई दूज कार्तिक मास की शुक्ल द्वितीया तिथि 14 नवंबर 2023 को दोपहर 02:36 बजे से शुरू हो रही है,

इसका समापन 15 नवंबर 2023 को दोपहर 01:47 बजे होगा।
उदया तिथि के हिसाब से भाई-बहन का त्‍योहार भाई-दूज 15 नवंबर बुधवार को मनाया जाएगा।
भाई दूज पर वैसे तो राहुकाल को छोड़कर बहनें कभी भी भाई को तिलक कर सकती हैं।
अगर अतिशुभ समय की बात करें तो सुबह 06:44 से 09:24 बजे तक है. इस दिन राहुकाल दोपहर 12:03 से 01:24 बजे तक रहेगा।

भाई दूज पूजा की विधि

भाई दूज पूजा के लिए शुभ मुहूर्त में पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे कि दीपक, अगरबत्ती, कुमकुम, रोली, फूल, नारियल, फल और पूजा की थाली तैयार करें।व्रत की शुरुआत माता लक्ष्मी और गणेश की पूजा से करें. उन्हें श्रद्धाभाव से बुलाएं और आशीर्वाद प्राप्त करें।

भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं और साथ ही भगवान से भाई के जीवन में खुशहाली का आशीर्वाद मांगती हैं. इस दिन पूजा के ​दौरान मंत्र का भी जाप करें। ‘गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़ें।भाई की वंदना: भाई को अपनी बहन के द्वारा वंदना करें और उसे तिलक लगाएं। तिलक लगाने का तरीका:तिलक के लिए कुमकुम, रोली और चावल का उपयोग करें. इनमें से रंगों को ध्यानपूर्वक चुनें।

भाई दूज का ऐसे तिलक बनाए और तिलक ऐसे लगाएं


एक छोटी सी कटोरी में कुमकुम और रोली को मिलाएं और थोड़ा सा पानी जोड़ें ताकि एक गाढ़ा पेस्ट बने। भाई की माथे पर त्रिकोण या चंदन के रूप में तिलक लगाएं. इसके साथ ही, चंदन या कुमकुम की माला भाई के गले में सुसज्जित करें। तिलक लगाने के बाद भाई से आशीर्वाद लें ।

भाई दूज कथा जानिए किसने मनाया था पहली बार

माना जाता है कि इस भाई- बहन के इस प्यारे पर्व को पहली बार यमुना जी ने मनाया था. कहा जाता है कि यमुना जी ने अपने भाई को पहली बार टीका लगाकर इस अपने भाई यमराज की लंबी उम्र की कामना की थी।

यम और यमुना एक ऐसे भाई बहन थे जिनके बीच बहुत ही ज्यादा प्यार और स्नेह था. कहा जाता है कि एक दिन यम को अपनी बहन यमुना की बहुत याद आई तो वह यमुना के घर गए। अपने भाई के देख यमुना बहुत खुश हुई और उसने अपने भाई की पसंद की तरह-तरह के पकवान बनाए और अपने भाई का स्वागत किया। वहीं जब यम अपनी बहन से मिलने के वापस जानें लगे तो यमुना ने यम के माथे पर टीका लगाया और मिठाई खिलाई। जिसके बाद यम ने अपनी बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा। इस पर यमुना ने कहा कि भाई मेरे पास सबकुछ है। मेरी बस ये कामना है कि आप इसी तरह हर साल मुझसे मिलने आए. जिसके बाद यम ने यमुना से कहा कि ऐसा ही होगा।

यम ने कहा कि मैं हर साल तुमसे इसी तरह मिलने आउंगा और इस दिन सिर्फ मैं ही नहीं बल्कि हर भाई अपनी बहन से मिलने मिलने आएगा और तिलक लगवाएगा। जब बहन अपने भाई को तिलक लगाएगी तो उसके भाई की उम्र लंबी हो जाएगी। उसके जीवन में खुशियां ही खुशियां होंगी।

कहा जाता है कि जिस दिन मयम और यमुना ने इस पर्व की शुरुआत ही वह दिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि थी और बस इसी दिन से सभी बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और सुखमय जीवन की कामना करती है. इस दिन बहन अपने भाई को नालियल भी देती है इसको लेकर कहा जाता है कि जब यमयमुना के घर से विदा ले रहे थे तो यमुना ने भेट में नारियल दिया था. और तभी से यह प्रता बन गई और हर बहन अपने भाई को उपहार में नारियल देती है।

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