Ayodhya Ram Mandir Live Aarti Today : अयोध्या से रामलला आरती लाइव : जागृति आरती से महकी धर्मनगरी, मंत्रोच्चार और शंखनाद के बीच जागे रघुनंदन
Ayodhya Ram Mandir Live Aarti Today : राम जन्मभूमि मंदिर में आज की सुबह एक अलौकिक आध्यात्मिक अनुभव के साथ शुरू हुई। जब सूर्य की पहली किरण ने सरयू के जल को छुआ, तब भव्य मंदिर के गर्भगृह में प्रभु श्री रामलला की जागृति आरती (मंगला आरती) संपन्न हुई।

Ayodhya Ram Mandir Live Aarti Today : अयोध्या से रामलला आरती लाइव : जागृति आरती से महकी धर्मनगरी, मंत्रोच्चार और शंखनाद के बीच जागे रघुनंदन
Ayodhya Ram Mandir Live Aarti Today : अयोध्या धाम : राम जन्मभूमि मंदिर में आज की सुबह एक अलौकिक आध्यात्मिक अनुभव के साथ शुरू हुई। जब सूर्य की पहली किरण ने सरयू के जल को छुआ, तब भव्य मंदिर के गर्भगृह में प्रभु श्री रामलला की जागृति आरती (मंगला आरती) संपन्न हुई। कड़ाके की ठंड के बीच भी हज़ारों श्रद्धालु अपने आराध्य की एक झलक पाने के लिए राम पथ पर डटे रहे।
Ayodhya Ram Mandir Live Aarti Today : ब्रह्म मुहूर्त में जागृति का दिव्य विधान सुबह की पहली आरती, जिसे जागृति आरती' कहा जाता है, प्रभु को निद्रा से जगाने के लिए की जाती है। आज तड़के पुजारियों ने वैदिक मंत्रोच्चार और विशेष भजनों के साथ प्रभु का आह्वान किया। इसके बाद बाल स्वरूप रामलला का दूध, दही और गंगाजल से अभिषेक किया गया। आज प्रभु को रेशमी पीले वस्त्रों और रत्नों से जड़ित स्वर्ण आभूषणों से सजाया गया, जिसे देखकर वहां मौजूद हर भक्त की आंखें श्रद्धा से नम हो गईं। पूरा वातावरण जय श्री राम के उद्घोष से गुंजायमान रहा।
Ayodhya Ram Mandir Live Aarti Today : रामलला की दिनचर्या: आरतियों का विशेष क्रम राम मंदिर में केवल जागृति ही नहीं, बल्कि दिन भर आरतियों का एक व्यवस्थित क्रम चलता है, जो प्रभु की राजसी सेवा को दर्शाता है:
श्रृंगार आरती: जागृति आरती के कुछ समय बाद प्रभु का पूर्ण श्रृंगार किया जाता है और फिर 'श्रृंगार आरती' होती है। इसमें प्रभु को दर्पण दिखाया जाता है और ताजे फूलों से मंदिर को महकाया जाता है।
भोग आरती: दोपहर के समय प्रभु को विशेष राजभोग (छप्पन भोग) अर्पित किया जाता है। इस दौरान होने वाली आरती में प्रभु के बाल स्वरूप को भोजन के लिए आमंत्रित किया जाता है।
संध्या आरती: सूर्यास्त के समय जब अयोध्या के घाट दीपों से जगमगाते हैं, तब मंदिर में संध्या आरती होती है। इसकी भव्यता देखने लायक होती है, जिसमें भारी संख्या में दर्शनार्थी शामिल होते हैं।
शयन आरती: रात को प्रभु को विश्राम कराने से पहले 'शयन आरती' की जाती है। इसमें मधुर स्वर में लोरी गाई जाती है और शांति का वातावरण बनाया जाता है ताकि बाल स्वरूप रामलला विश्राम कर सकें।
भक्तों की सुविधा और डिजिटल दर्शन
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार, आरतियों में शामिल होने के लिए अब विशेष पास की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, जो भक्त अयोध्या नहीं पहुंच पा रहे हैं, उनके लिए डिजिटल माध्यमों से लाइव प्रसारण की भी व्यवस्था की जा रही है। आज की आरती में विशेष बात यह रही कि मंदिर परिसर को देशी-विदेशी फूलों से सजाया गया था, जिसकी खुशबू पूरे परिसर में फैली रही।
श्री राम जन्मभूमि मंदिर का इतिहास केवल एक इमारत का निर्माण नहीं, बल्कि सदियों के संघर्ष, अटूट आस्था और कानूनी विजय की एक गाथा है। अयोध्या के इस पावन मंदिर का इतिहास पौराणिक काल से शुरू होकर आधुनिक भारत के सबसे बड़े कानूनी फैसले तक फैला हुआ है।
पौराणिक और प्राचीन जड़ें
मान्यता है कि अयोध्या में भगवान श्री राम का जन्म त्रेता युग में हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सबसे पहले भगवान राम के पुत्र कुश ने यहां मंदिर बनवाया था। बाद में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने अयोध्या की खोज की और यहां एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया, जिसमें 84 कसौटी के खंभे लगे थे। यह मंदिर सदियों तक भारतीय संस्कृति और आस्था का केंद्र बना रहा। मध्यकाल तक अयोध्या अपनी भव्यता के लिए विश्व प्रसिद्ध थी।
मध्यकालीन संघर्ष और विवाद का जन्म
16वीं शताब्दी में भारत में मुगल साम्राज्य की नींव पड़ी। इतिहास के पन्नों के अनुसार, 1528 में मुगल बादशाह बाबर के सेनापति मीर बाकी ने अयोध्या का रुख किया। बताया जाता है कि उसने वहां स्थित प्राचीन मंदिर को तोड़कर एक ढांचे का निर्माण कराया, जिसे 'बाबरी मस्जिद' के नाम से जाना गया। यहीं से इस स्थान को लेकर विवाद की शुरुआत हुई। हिंदू समुदाय ने कभी भी इस स्थान पर अपना दावा नहीं छोड़ा और निरंतर पूजा-अर्चना के लिए संघर्ष जारी रखा। मराठा काल और ब्रिटिश शासन के दौरान भी इस स्थान को लेकर कई बार हिंसक झड़पें हुईं।
कानूनी लड़ाई और ऐतिहासिक मोड़
आजाद भारत में यह मामला 1949 में तब सुर्खियों में आया जब विवादित ढांचे के अंदर भगवान राम की मूर्तियां प्रकट हुईं। इसके बाद प्रशासन ने परिसर पर ताला लगवा दिया। 1980 के दशक में विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने राम मंदिर निर्माण के लिए एक बड़ा जन-आंदोलन शुरू किया। 6 दिसंबर 1992 को एक बड़ी घटना हुई, जिसमें विवादित ढांचा ढहा दिया गया। इसके बाद यह मामला दशकों तक इलाहाबाद हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में चला। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की खुदाई में भी वहां प्राचीन मंदिर के अवशेष मिलने की पुष्टि हुई, जिसने हिंदुओं के पक्ष को मजबूती दी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला और नूतन इतिहास
9 नवंबर 2019 का दिन भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक सर्वसम्मत फैसले में विवादित भूमि को भगवान श्री राम की जन्मभूमि माना और वहां मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार को एक ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया। 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर का भूमि पूजन किया।
भव्य मंदिर का निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा
आज वहां नागर शैली में एक विशाल और भव्य मंदिर का निर्माण हो चुका है। 22 जनवरी 2024 को भव्य समारोह में रामलला की मूर्ति की 'प्राण प्रतिष्ठा' की गई। यह मंदिर बिना लोहे के इस्तेमाल के, केवल पत्थरों को जोड़कर बनाया गया है, जिसकी आयु हजारों वर्ष मानी जा रही है। यह न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि करोड़ों हिंदुओं के धैर्य और न्याय की जीत का प्रतीक है।
