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Akshaya Tritiya 2025 Kab Hai: जानिए कब है अक्षय तृतीया? पूजा, सोना खरीदने का मुहूर्त, महत्व सहित सारी जानकारी

Akshaya Tritiya 2025 Kab Hai: अक्षय तृतीया, जिसे अखातीज भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और पुण्यदायी दिन माना जाता है. यह वह दिन है जब बिना किसी मुहूर्त के भी कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, खरीदारी, निवेश, या नए कार्य की शुरुआत की जा सकती है. साल 2025 में अक्षय तृतीया 30 अप्रैल, बुधवार को मनाई जाएगी, क्योंकि इस दिन उदयातिथि का प्रभाव रहेगा. आइये जानते हैं(Akshaya Tritiya 2025 Kab Hai) कब है अक्षय तृतीया, अक्षय तृतीया का महत्व, शुभ मुहूर्त समेत सारी जानकारी.

जानिए कब है अक्षय तृतीया, पूजा और खरीदारी का मुहूर्त महत्व साहित सारी जानकारी
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By Anjali Vaishnav

Akshaya Tritiya 2025 Kab Hai: अक्षय तृतीया, जिसे अखातीज भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और पुण्यदायी दिन माना जाता है. यह वह दिन है जब बिना किसी मुहूर्त के भी कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, खरीदारी, निवेश, या नए कार्य की शुरुआत की जा सकती है. साल 2025 में अक्षय तृतीया 30 अप्रैल, बुधवार को मनाई जाएगी, क्योंकि इस दिन उदयातिथि का प्रभाव रहेगा. आइये जानते हैं(Akshaya Tritiya 2025 Kab Hai) कब है अक्षय तृतीया, अक्षय तृतीया का महत्व, शुभ मुहूर्त समेत सारी जानकारी.

कब है अक्षय तृतीया 29 या 30 अप्रैल?(Akshaya Tritiya 2025 Kab Hai)

हर साल की तरह इस साल भी अक्षय तृतीया को लेकर थोड़ा कन्फ्यूजन है कि अक्षय तृतीया 2025 में 29 अप्रैल को है या 30 को, तो आपको साफ बता दें कि इस बार अक्षय तृतीया 30 अप्रैल 2025, बुधवार को मनाई जाएगी. अब बात आती है इसकी तिथि की. हिंदू पंचांग के मुताबिक, वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अप्रैल को शाम 5:31 बजे से शुरू हो रही है जो 30 अप्रैल को दोपहर 2:12 बजे तक खत्म होगी. बता दें कि उदयातिथि को मान्यता दी जाती है, इसीलिए पूरे देश में अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को मनाई जाएगी.

पूजा और खरीदारी का शुभ समय

इस दिन को ‘अबूझ मुहूर्त’ माना जाता है यानी बिना किसी मुहूर्त के भी शुभ काम किए जा सकते हैं. फिर भी अगर आप एकदम सही समय पर पूजा करना या सोना खरीदना चाहते हैं, हम आपको बताते हैं शुभ मुहूर्त.

पूजा का शुभ मुहूर्त

अक्षय तृतीया के लिए पूजा का शुभ मुहूर्त 30 अप्रैल 2025 सुबह 5:41 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक जा का सबसे शुभ समय रहेगा.

सोना खरीदने का शुभ समय

सुबह 5:41 बजे से लेकर दोपहर 2:12 बजे तक का समय सोना खरीदने के लिए उत्तम है, अगर सोना नहीं खरीद पा रहे तो आप पीतल या मिट्टी के बर्तन, पीली सरसों, चने की दाल, या सत्तू भी खरीद सकते हैं. ये भी शुभ माने जाते हैं.

अक्षय तृतीया पूजा कैसे करें?

1. सुबह जल्दी उठें, स्नान करके साफ कपड़े पहनें.

2. घर के पूजा स्थान में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या फोटो रखें.

3. भगवान विष्णु को चंदन और माता लक्ष्मी को कुमकुम का तिलक करें.

4. विष्णु जी को पीले फूल, और लक्ष्मी जी को कमल के फूल चढ़ाएं.

5. जौ, गेहूं, गुड़, ककड़ी, सत्तू, चना आदि का भोग लगाएं.

6. लक्ष्मीनारायण कथा पढ़ें या सुनें.

7. आरती करें और अंत में जरूरतमंदों को दान दें, खासकर भोजन, वस्त्र और धन

अक्षय तृतीया का महत्व और क्यों मनाई जाती है?

1. इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी का जन्म हुआ था, इसलिए उनकी पूजा होती है.

2. राजा भागीरथ की तपस्या से मां गंगा इसी दिन धरती पर आई थीं, इसलिए गंगा स्नान को बेहद पवित्र माना जाता है।

3. खाना देने वाली देवी अन्नपूर्णा का भी इसी दिन जन्म हुआ था, इसलिए गरीबों को भोजन कराने और भंडारे करने की परंपरा है।

4. महर्षि वेदव्यास ने अक्षय तृतीया से ही महाभारत लिखना शुरू किया था, जिसमें श्रीमद्भगवद्गीता भी शामिल है.

5. बंगाल में व्यापारी गणेश-लक्ष्मी की पूजा कर इस दिन से नया खाता खोलते हैं, इसे वहां 'हलखता' कहा जाता है.

6. इसी दिन भगवान शंकर ने कुबेर को माता लक्ष्मी की पूजा करने को कहा था, तभी से यह परंपरा शुरू हुई.

7. पांडवों को अक्षय पात्र भी इसी दिन मिला था, जिसमें कभी भी भोजन खत्म नहीं होता था.

8. इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन-धान्य में बढ़ोतरी होती है और घर में बरकत बनी रहती है.

अक्षय का मतलब क्या है?

अक्षय का मतलब होता है "जो कभी खत्म न हो, इस दिन किया गया पुण्य, दान, पूजा, हवन और जाप कभी समाप्त नहीं होता, यह जीवन में अखंड सुख, समृद्धि और सौभाग्य लाता है.

• अगर आप इस दिन कोई नया बिजनेस, निवेश, सोना, जमीन, गाड़ी आदि लेना चाहते हैं तो बेझिझक लें.

• नई चीज़ों की शुरुआत के लिए ये दिन परफेक्ट है.

• ब्राह्मणों को भोजन कराने और गरीबों को दान देने से कई गुना पुण्य मिलता है.

अक्षय तृतीया 2025 का दिन बेहद खास है. चाहे आप पूजा करें, दान दें या कुछ खरीदारी, हर चीज का फल "अक्षय" यानी कभी खत्म न होने वाला होता है. इस दिन सकारात्मक ऊर्जा, धार्मिक आस्था और भक्ति का संगम होता है.

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