Akha Teej : अक्षय पुण्य की प्राप्ति दिलाता है "आखा तीज", आइये जानें इस दिन किनकी होती है पूजा, क्या है मान्यताएं और महत्व ?
यह तिथि हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को पड़ती है और इस दिन शुभ कार्यों के साथ सोने चांदी की खरीदारी को भी शुभ माना जाता है। इस साल अक्षय तृतीया 10 मई के दिन पड़ेगी।
हिंदू धर्म में मनाई जाने वाली प्रमुख तिथियों में से एक है अक्षय तृतीया की तिथि। अक्षय तृतीया को आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है और इस दिन कई प्रकार के मांगलिक कार्य किए जाते हैं।
यह तिथि हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को पड़ती है और इस दिन शुभ कार्यों के साथ सोने चांदी की खरीदारी को भी शुभ माना जाता है। इस साल अक्षय तृतीया 10 मई के दिन पड़ेगी। इस दिन विष्णु भगवान का पूजन मुख्य रूप से किया जाता है और ऐसा करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
भगवान विष्णु की पूजा
मान्यतानुसार अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और यह एक युगादि तिथि है यानी कि इस तिथि को कई युगों से मनाया जा रहा है। चूंकि विष्णु जी सारी सृष्टि के संरक्षक हैं इसलिए अक्षय तृतीया की तिथि के दिन उनका पूजन करना उन्हें विशेष रूप से सम्मानित करने के लिए होता है। पुराणों में इस बात का जिक्र है कि इस दिन को स्वयं भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त है, इसलिए इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु के लक्ष्मीनारायण रूप की पूजा करना और उन्हें प्रसन्न करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता यह भी है कि अक्षय तृतीया का दिन भगवान विष्णु द्वारा शासित होता है। इस दिन भगवान विष्णु के लक्ष्मीनारायण रूप के साथ उनकी पत्नी माता लक्ष्मी की भी एक साथ पूजा की जाती है। अक्षय तृतीया पर पूरे दिन हजारों भक्त उपवास करते हैं और ईश्वर को प्रसन्न करके मनोकामनाओं को सिद्ध करते हैं।
अक्षय तृतीया का महत्व
अक्षय शब्द का अर्थ है 'कभी कम न होने वाला', चूंकि यह त्योहार धन, समृद्धि और खुशी से जुड़ा है और इस दिन यही कामना की जाती है कि जीवन से धन और खुशियां कभी कम न हों, इसलिए इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। कई जगहों पर इसे 'आखा तीज' के रूप में भी जाना जाता है, जो हिंदुओं का वार्षिक वसंत त्योहार है। यह वैशाख महीने के तीसरे दिन मनाया जाता है। इस तिथि को कोई भी नया उद्योग शुरू करने के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है। अक्षय तृतीया का धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है इस दिन को भगवान विष्णु के दशावतार में से एक भगवान परशुराम के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है।
अक्षय तृतीया के दिन होती है परशुराम जयंती
चूंकि ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णुके अवतार परशुराम का अवतरण धरती पर हुआ था इसलिए सभी वैष्णव मंदिर अक्षय तृतीया के दिन को भगवान परशुराम के प्रकटन दिवस के रूप में भी मनाते हैं, जिन्हें विष्णु का छठा अवतार माना जाता है और इस दिन उनकी पूजा की जाती है।
इस दिन को सतयुग के बाद त्रेता युग का आरंभिक दिन माना जाता है। इस दिन से जुड़ी मान्यताओं में ऐसा माना जाता है कि यह एक ऐसा दिन है जब सुदामा ने भगवान कृष्ण को चावल अर्पित किया था और उन्होंने बदले में भरपूर धन और खुशी का आशीर्वाद दिया था। इसी दिन भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को अक्षय पात्र दिया जब पांडवों ने वनवास की शुरुआत की थी, जिससे उनके पास हमेशा प्रचुर मात्रा में भोजन रहे व उन्हें कभी भी अन्न की कमी न हो। वेद व्यास ने महाकाव्य महाभारत अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान गणपति के साथ लिखना शुरू किया था।
अक्षय तृतीया पर क्या कर सकते हैं
इस दिन सोना-चांदी खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। देवी लक्ष्मी (इन वस्तुओं में होता है देवी लक्ष्मी का वास) सोने और चांदी का प्रतीक हैं और ऐसा कहा जाता है कि यदि कोई इस दिन सोने और चांदी की खरीदारी करता है, तो देवी लक्ष्मी समृद्धि और धन का आशीर्वाद देती हैं। इस दिन शुरू किया गया कोई भी व्यवसाय फलित जरूर होता है। ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर गृह प्रवेश करने के लिए भी किसी मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती है। इस दिन गाय को भोजन कराने से व्यक्ति के सभी पाप और दोष मुक्त हो जाते हैं। अक्षय तृतीया पर उपवास, धार्मिक और आध्यात्मिक कार्य, दान, जप करना पवित्र माना जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने से आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।