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Aghor Peeth Baba Sambhav Ram: राजसी वैभव त्याग सन्यास ग्रहण करने वाले बाबा संभव राम हैं छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय के अध्यात्मिक गुरू

Aghor Peeth Baba Sambhav Ram: लाखों, करोड़ों लोगों के आस्था के केंद्र बाबा संभव राम...नरसिंहगढ़ इस्टेट के राजकुमार। पिता के साथ इलाहाबाद कुंभ गए थे। अघोरेश्वर भगवान राम राजकुमार को देखकर चौंके...लगा अघोरपीठ को संभालने के लिए उनकी खोज पूरी हो गई है। उन्होंने नरेश से जगत सेवा के लिए उनका प्रिय बेटा मांग लिया। राजा साहब ने भी हामी भरने में देर नहीं लगाई। आप समझ सकते हैं, एक पिता के लिए अपना बेटा देना, वो भी सन्यासी बनने के लिए...कितना कष्टप्रद फैसला रहा होगा। मगर नरसिंहगढ़ इस्टेट के राजा की भगवान राम में अटूट आस्था थी। बता दें, नरसिंहगढ़ इस्टेट के राजा सांसद और राज्यपाल रहे हैं।

Aghor Peeth Baba Sambhav Ram: राजसी वैभव त्याग सन्यास ग्रहण करने वाले बाबा संभव राम हैं छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय के अध्यात्मिक गुरू
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By Sanjeet Kumar

Aghor Peeth Baba Sambhav Ram: रायपुर। छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शपथ ग्रहण के बाद राजकाज संभाल लिया है। शपथ ग्रहण के मौके पर साधु-संतों का भी जमावड़ा लगा। सीएम विष्णु खुद भी बड़े धार्मिक प्रवृत्ति के हैं। पूजा-पाठ के बाद ही उनकी दिनचर्या प्रारंभ होती है। उनके जानने वाले बताते हैं, वे दौरे में किसी होटल में रुकें हों या फिर सरकारी रेस्ट हाउस में, पूजा-पाठ के बाद ही जलपान करते हैं। राज्य का मुखिया अगर इतना धार्मिक मिजाज के हैं, तो फिर सवाल उठते हैं...कोई उनका अध्यात्कि गुरू भी होगा। उत्सुकता सही है। अघोर पीठ के प्रमुख बाबा संभव राम उनके गुरू हैं। वैसे तो वाराणसी में अघोरपीठ का मुख्य आश्रम है। मगर देश के कई राज्यों में उनके आश्रम हैं। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिला, जहां के मुख्यमंत्री रहने वाले हैं, वहां के गम्हरिया और सोगड़ा में दो बड़े आश्रम हैं। सीएम विष्णु नियमित दोनों आश्रमों में जाते हैं और बाबा से आर्शीवाद ग्रहण करते हैं। आश्रम में कोई भी कार्यक्रम हो, मुख्यमंत्री वहां जाने से नहीं चूकते। चुनाव के दौरान प्रचार की अतिव्यस्तता के बावजूद 13 अक्टूबर को एक कार्यक्रम था, सीएम वहां मौजूद रहे। जशपुर के वरिष्ठ पत्रकार विकास पाण्डेय मानते हैं कि विष्णुदेव साय की बड़ी लीड से जीत के पीछे बाबा का आर्शीवाद रहा।


Aghor Peeth Baba Sambhav Ram: अब बताते हैं, सीएम विष्णुदेव साय के गुरू बाबा संभव राम के बारे में...

यशोवर्धन सिंह पिता भानुप्रकाश सिंह... मध्यप्रदेश के नरसिंहगढ़ राजघराने के राजकुमार। जन्म 15 मार्च 1961. जन्म स्थान इंदौर। शिक्षा डॉली कॉलेज इंदौर, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय। यशोवर्धन सिंह ही आगे चलकर गुरु पद संभव राम हुए। यह बात 1982 की है। तब अर्धकुंभ पड़ा था। मां गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के पवित्र संगम प्रयागराज में अघोरेश्वर भगवान राम अपने कैम्प में विराजमान थे। इसी बीच एक किशोर कैम्प में पहुंचे। उच्च ललाट, चौड़ा सीना, लंबी और बलिष्ट भुजाओं के साथ ओजपूर्ण चेहरा देखकर ही अनुमान लगाना आसान था कि ये न केवल संपन्न और सुसंस्कृत परिवार के हैं, बल्कि भविष्य में लाखों-करोड़ों लोगों के प्रेरणा के स्रोत बनेंगे। ये किशोर ही राजकुमार यशोवर्धन सिंह थे, जो अघोरेश्वर भगवान राम के पास आए और यहीं के होकर रह गए। वे अघोरेश्वर के साथ अर्ध कुंभ तक प्रयाग राज में ही ठहरे, फिर उनके साथ बनारस चले गए। मुड़िया दीक्षा संस्कार के बाद अघोरेश्वर भगवान राम ने उन्हें गुरुपद संभव राम नाम दिया।

Aghor Peeth Baba Sambhav Ram: राजसी ठाठ-बाट के साथ जीवन

गुरु पद संभव राम का जन्म 15 मार्च 1961 को मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था। नरसिंहगढ़ रियासत के भानु निवास में पहला साल बीता और 1962 में राजवंश भानु निवास पैलेस में रहने आ गया। यह भी एक बड़ा संयोग है कि भारत में आजादी के बाद अपने किले में रहने वाले परिवारों में इनका परिवार भी था। गुरु पद संभव राम परमार कुल के सम्राट विक्रमादित्य के क्षत्रीय राजवंश के हैं। इसी राजवंश में महाराज भर्तृहरि भी हुए, जिन्होंने हृदय परिवर्तन हुआ तो राजपाट छोड़कर सन्यासी बन गए।

अवधूत गुरुपद संभव राम के पिता नरसिंहगढ़ के महाराजा भानुप्रकाश सिंह थे। उनकी शिक्षा भी डॉली कॉलेज इंदौर में हुई। आगे की शिक्षा मेयो कॉलेज अजमेर में हुई थी। महाराज भानुप्रकाश सिंह का विवाह 1950 में बीकानेर के राजा गंगा सिंह की पौत्री और महाराज बिजल सिंह की पुत्री लक्ष्मी कुमार से हुआ था। इनके पांच पुत्र हुए। इनमें महाराज कुमार शिलादित्य सिंह, राज्यवर्धन सिंह, गिरिरत्न सिंह, भाग्यादित्य सिंह और यशोवर्धन सिंह।


Aghor Peeth Baba Sambhav Ram: अघोरेश्वर के सबसे प्रिय शिष्य

महाराज कुमार यशोवर्धन सिंह की 1982 में दीघा के बाद अघोरेश्वर भगवान राम ने गुरुपद संभव राम नाम दिया। इसके बाद उन्होंने कठोर तप और साधना शुरू की। अघोरेश्वर भगवान राम जब साधना की गूढ़ प्रक्रियाओं, जीवन के आदर्शों और सामाजिक आदर्शों के विषय में अपने शिष्यों, भक्तों को शिक्षा देते थे, तब गुरुपद संभव राम को कभी संभव, कभी संभव साधक, कभी सौगत उपासक, कभी मुड़िया साधु के नाम से पुकारते थे। गुरुपद संभव राम अघोरेश्वर भगवान राम के प्रिय शिष्यों में रहे। उनकी अपरिमित कृपा दृष्टि से ही अघोर दर्शन, परम्परा और दृष्टि से आपने ज्ञान के भंडार को परिपूरित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और अवधूत पद पर प्रतिष्ठित हुए।

Aghor Peeth Baba Sambhav Ram: टी कॉफी बोर्ड की शुरुआत

जशपुर के क्लाइमेट को देखते सर्वेश्वरी समूह के प्रमुख अघोरेश्वर बाबा संभव राम ने सोगड़ा आश्रम में सबसे पहले चाय और कॉफी लगाने की पहल की। उन्होंने इसके लिए आश्रम में प्रॉसेसिंग यूनिट भी लगवाई। आश्रम में लहलहाते टी और कॉफी की खेती की बात जशपुर से निकलकर बाहर जाने लगी. छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्य सचिव सुनील कुमार को इसका पता चला तो उन्होंने उस समय के डीएफओ को फोन करके निर्देश दिया कि आश्रम की तर्ज पर वन विभाग चाय और कॉफी की खेती को बढ़ावा दिया जाए, लेकिन सरकारी काम तो सरकारी ही होते हैं। आश्रम की ग्रीन टी की स्थिति यह है कि जो एक बार इसका सेवन कर लेता है, वह फिर दूसरी कंपनियां की ग्रीन टी पीना भूल जाता है। कुछ समय पहले सीएम भूपेश बघेल जशपुर के सोगड़ा आश्रम पहुंचे थे। उन्होंने मां काली की पूजा-अर्चना की. बाबा संभव राम से मुलाकात के बाद उन्होंने चाय और कॉफी की खेती को देखा और उससे वे बेहद प्रभावित हुए। आश्रम की ग्रीन टी उन्हें भी काफी अच्छी लगी, तब उन्होंने भरोसा दिया था कि वे चाय और कॉफी की खेती को बढ़ावा देने जरूर कुछ करेंगे और उन्होंने बोर्ड के गठन का ऐलान कर दिया.अवधूत गुरु पद संभव राम के मार्गदर्शन में जशपुर के वनवासियों को निशुल्क इको चूल्हा का वितरण किया जाता है, जिससे घरेलू उपयोग के लिए पेड़ों को नुकसान न हो।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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