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Aaj Kare Ramrakshastotra Path बहुत प्रभावकारी है ये स्तोत्र, दशहरा के दिन जरूर करें इसका पाठ होगा अप्रत्याशित लाभ

Aaj Kare Ramrakshastotra Path:विजयादशमी के पावन पर्व पर एक बार इस संपूर्ण पाठ को पढने से लाभ होता है। आपके जीवन में हर कष्ट दूर होगा । श्री राम रक्षा स्तोत्र अत्यंत चमत्कारी है। आप इसे अगर नियमित नहीं पढ़ सकते हैं...

Aaj Kare Ramrakshastotra Path बहुत प्रभावकारी है ये स्तोत्र, दशहरा के दिन जरूर करें इसका पाठ होगा अप्रत्याशित लाभ
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By Shanti Suman

Aaj Kare Ramrakshastotra Path : दशहरा के दिन श्रीरामरक्षा स्तोत्र का पाठ करने से हर मनोरथ पूर्ण होता है। राम की साधना-आराधना करने के लिए श्री राम रक्षा स्‍तोत्र का पाठ अत्यंत पुण्यदायक साबित होता है. श्री राम की महिमा का गुणगान करने वाले इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान श्री राम की शीघ्र ही कृपा मिलती है और जीवन से जुड़े बड़े से बड़े संकट दूर हो जाते हैं. इस स्तोत्र का पाठ करने पर भगवान श्री राम उसे सभी सुखों को प्रदान करते हुए अंत में बैकुण्ठ लोक प्रदान करते हैं. राम रक्षा स्तोत्र एक ऐसा अमोघ कवच है, जिसका पाठ करने वाले व्यक्ति का शत्रु उसका बाल भी बांका नहीं कर पाता है। विजयादशमी के पावन पर्व पर एक बार इस संपूर्ण पाठ को पढने से लाभ होता है। आपके जीवन में हर कष्ट दूर होगा । श्री राम रक्षा स्तोत्र अत्यंत चमत्कारी है। आप इसे अगर नियमित नहीं पढ़ सकते हैं तो सिर्फ दशहरे पर इसे पढ़ने से भी श्रीराम के आशीष मिलेंगे।

राम रक्षा स्तोत्र कैसे पढ़ा जाता है?

कहते हैं कि इसके नित्य पठन से हनुमानजी प्रसन्न होकर राम भक्तों की हर तरह से रक्षा करते हैं। विधिवत रूप से राम रक्षा स्त्रोत का 11 बार पाठ करने के दौरान एक कटोरी में सरसों के कुछ दानें लेकर उन्हें अंगुलियों से घुमाते रहने से वह सिद्ध हो जाते हैं। उक्त दानों को घर में उचित और पवित्र स्थान पर रख दें।

राम रक्षा मंत्र क्या है?

राम रक्षा मंत्र- ॥ ॐ ह्रीं श्रीं राम रामाय फट् ॥

राम रक्षा स्तोत्र का संस्कृत पाठ

विनियोगः

ॐ अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः। श्री सीतारामचंद्रो देवता । अनुष्टुप्‌ छंदः। सीता शक्तिः। श्रीमान हनुमान्‌ कीलकम्‌ । श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः।
अथ ध्यानम्‌:

ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्‌ । वामांकारूढसीतामुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं नानालंकार दीप्तं दधतमुरुजटामंडलं रामचंद्रम ।

चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्‌ ।

एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्‌ ॥1॥

ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्‌ ।

जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमंडितम्‌ ॥2॥

सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरांतकम्‌ ।

स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम्‌ ॥3॥

रामरक्षां पठेत्प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम्‌ ।

शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः ॥4॥

कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुती ।

घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः ॥5॥

जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवंदितः ।

स्कंधौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ॥6॥

करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित्‌ ।

मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः ॥7॥

सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः ।

उरू रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृत्‌ ॥8॥

जानुनी सेतुकृत्पातु जंघे दशमुखान्तकः ।

पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामोऽखिलं वपुः ॥9॥

एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत्‌ ।

स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत्‌ ॥10॥

पातालभूतलव्योमचारिणश्छद्मचारिणः ।

न दृष्टुमति शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः ॥11॥

रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति वा स्मरन्‌ ।

नरो न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥12॥

जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाऽभिरक्षितम्‌ ।

यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः ॥13॥

वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत्‌ ।

अव्याहताज्ञः सर्वत्र लभते जयमंगलम्‌ ॥14॥

आदिष्टवान्यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः ।

तथा लिखितवान्प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः ॥15॥

आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम्‌ ।

अभिरामस्रिलोकानां रामः श्रीमान्स नः प्रभुः ॥16॥

तरुणौ रूप सम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।

पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥17॥

फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।

पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥18॥

शरण्यौ सर्र्र्वसत्त्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम्‌ ।

रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ॥19॥

आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशावक्षयाशुगनिषंगसंगिनौ ।

रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम्‌ ॥20॥

सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।

गच्छन्मनोरथान्नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः ॥21॥

रामो दाशरथिः शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।

काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः ॥22॥

वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः ।

जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेयपराक्रमः ॥23॥

इत्येतानि जपन्नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयाऽन्वितः ।

अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः ॥24॥

रामं दूवार्दलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम्‌ ।

स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नराः ॥25॥

रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं

काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम्‌ ।

राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शान्तमूर्तिं

वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम्‌ ॥26॥

रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे ।

रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ॥27॥

श्रीराम राम रघुनन्दनराम राम

श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।

श्रीराम राम रणकर्कश राम राम

श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥28॥

श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि

श्रीरामचन्द्रचरणौ वचंसा गृणामि ।

श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि

श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥29॥

माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः

स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः ।

सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयलुर्नान्यं

जाने नैव जाने न जाने ॥30॥

दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे तु जनकात्मजा ।

पुरतो मारुतिर्यस्य तं वंदे रघुनन्दनम्‌ ॥31॥

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम ।

कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचंद्रं शरणं प्रपद्ये ॥32॥

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्‌ ।

वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥33॥

कूजन्तं राम रामेति मधुरं मधुराक्षरम्‌ ।

आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम्‌ ॥34॥

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्‌ ।

लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्‌ ॥35॥

भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम्‌ ।

तर्जनं यमदूतानां राम रामेति गर्जनम्‌ ॥36॥

रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रामेशं भजे

रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः ।

रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोऽस्म्यहं

रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥37॥

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।

सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥38॥

राम रक्षा स्त्रोत पढ़ने से क्या लाभ होता है?

  • जो इसका पाठ करता है वह दीर्घायु, सुखी, संततिवान, विजयी तथा विनयसंपन्न होता है. - इससे मंगल का कुप्रभाव समाप्त होता है. - मान्‍यता है कि इसके प्रभाव से व्यक्ति के चारों और सुरक्षा कवच बनता है, जिससे हर प्रकार की विपत्ति से रक्षा होती है. - इसके पाठ से भगवान राम के साथ पवनपुत्र हनुमान भी प्रसन्न होते हैं.
  • यदि आपको अक्सर वाहन के दुर्घटना ग्रस्त होने का खतरा बना रहता है या फिर आए दिन आपके वाहन का एक्सीडेंट होता रहता हो तो आपको इससे बचने के लिए शुभ मुहूर्त में यह रामरक्षास्तोत्र एक कागज पर लाल स्याही से लिखकर ताबीज में भर कर अपनी गाड़ी में अन्दर की ओर स्टेयरिंग पर या फिर सामने कहीं बांध लेना चाहिए। इस उपाय को करने पर वाहन से जुड़ी तमाम तरह की बाधाएं दूर हो जाएंगी और आपका सफर हमेशा सुहाना होगा।
  • यदि आपके बच्चे को अक्सर नजर लग जाती हो तो इससे बचने के लिए आप श्री राम रक्षा स्तोत्र से जुड़ा महाउपाय कर सकते हैं। बच्चे को नज़रदोष से बचाने के लिए शुभ मुहूर्त में सिद्ध किया हुआ रामरक्षास्तोत्र लाल स्याही से कागज पर लिखें और धूप-दीप देने के पश्चात् ताबीज में डालकर बच्चे को पहना दें।
  • यदि आपको अक्सर किसी भूत-प्रेत बाधा को लेकर भय बना रहता है तो आपके लिए श्री राम रक्षा स्तोत्र किसी वरदान से कम नहीं है। किसी भी प्रकार की उपरी बाधा से बचने के लिए आपको इस दिव्य मंत्र के जाप द्वारा अभिमंत्रित किया हुा जल स्वयं पीना चाहिए और उसके बाद पीड़ित व्यक्ति को इस पवित्र जल से अभिमंत्रित करना चाहिए।
  • यदि आपको लगता है कि आपके घर में कलह ने प्रवेश कर लिया और आपके यहां आए दिन किसी न किसी बात को लेकर झगड़ा होता रहता है तो आपको किसी भी पूर्णिमा या फिर प्रदोष के दिन श्री राम रक्षा स्तोत्र का 11 पाठ के माध्यम से अभिमंत्रित किए हुए जल में थोड़ा सा गोमूत्र मिलाकर पूरे घर में छिड़कना चाहिए।
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