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मातृत्व अवकाश पर गई महिला शिक्षाकर्मी को नहीं मिला 7 माह से वेतन…. 2 साल से लगा रही चक्कर…. परेशान महिला ने संविलियन अधिकार मंच से लगाई गुहार तो अपर संचालक के टेबल पर पहुंचा मामला !

मातृत्व अवकाश पर गई महिला शिक्षाकर्मी को नहीं मिला 7 माह से वेतन…. 2 साल से लगा रही चक्कर…. परेशान महिला ने संविलियन अधिकार मंच से लगाई गुहार तो अपर संचालक के टेबल पर पहुंचा मामला !
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By NPG News

रायपुर 18 अक्टूबर 2020। किसी कर्मचारी को एक या दो माह का वेतन न मिले तो उनके घर का बजट बिगड़ जाता है लेकिन नगर पंचायतों का हाल यह है कि अधिकारी मातृत्व अवकाश काल का 7-8 महीने का वेतन रोक दे रहे हैं और उसके बाद कर्मचारियों को इस तरीके से घुमाया जा रहा है मानो उन्होंने अवकाश लेकर कोई अपराध कर दिया हो , वह भी तब जब कर्मचारी बकायदा विधिवत तरीके से आवेदन देकर अवकाश पर जा रहे हैं और वापस आकर कार्यभार भी ग्रहण कर रहे हैं लेकिन जो वेतन उन्हें हर माह मिलना चाहिए उस पर अधिकारी कुंडली मारकर बैठ जा रहे हैं ।

संविलियन अधिकार मंच के प्रदेश संयोजक विवेक दुबे ऐसे प्रकरणों को लगातार विभाग के उच्च अधिकारियों तक पहुंचा रहे हैं और जैसे-जैसे खबरें प्रकाशित होते जा रही हैं वैसे वैसे नए नए मामले उनके पास पहुंचते जा रहे हैं । ताजा मामला जांजगीर जिले के नगर पंचायत सारागांव का है जहां बीडीएम शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला की व्याख्याता लता कंवर ने 6 अगस्त 2018 से 6 फरवरी 2019 तक छह माह का मातृत्व अवकाश लिया था वह विधिवत रूप से आवेदन देकर अवकाश पर गई थी और विधिवत रूप से उन्होंने कार्यभार भी ग्रहण किया था बावजूद इसके उनका वेतन रोक दिया गया और आज पर्यंत तक उनका वेतन भुगतान नहीं किया गया है इससे परेशान होकर उन्होंने अब संविलियन अधिकार मंच के प्रदेश संयोजक विवेक दुबे को समस्त दस्तावेजों के साथ अपनी समस्या बताई जिसके बाद उन्होंने पूरे मामले से नगरीय प्रशासन विभाग के अपर संचालक सौमिल रंजन चौबे को अवगत कराया है और उन्होंने मामले को संज्ञान में लेकर जांच की बात कही है ।

मातृत्व अवकाश का वेतन रोकना अमानवीय कृत्य – विवेक दुबे

सरकार द्वारा मानवता को ध्यान में रखते हुए छह माह का मातृत्व अवकाश दिया जाता है ताकि महिला कर्मचारी स्वास्थ्य शिशु को जन्म दे सके , ऐसे समय में जब उन्हें सबसे ज्यादा वेतन और देखभाल की जरूरत होती है वैसे समय में उनका वेतन रोक कर उन्हें मानसिक रूप से परेशान करना अमानवीय कार्य है , जबकि इस प्रकरण में कोई विशेष जांच की जरूरत भी नहीं है क्योंकि सब कुछ सामने होता है और कोई भी ऐसे मामले को छिपा भी नहीं सकता , डॉक्टर के सर्टिफिकेट के आधार पर यह अवकाश दिया जाता है और बाद में कर्मचारी शिशु का जन्म प्रमाण पत्र भी जमा करता है इसके बावजूद भी इस प्रकार के प्रकरण सामने आ रहे हैं यह हमें भी हैरान कर देने वाले हैं हमारी शासन और उच्च अधिकारियों से गुहार है कि ऐसा कृत्य करने वाले अधिकारियों पर दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई हो और फरियादी को तत्काल न्याय मिले । अपर संचालक सौमिल रंजन चौबे सर के सहयोग से हमें तत्काल न्याय भी मिल रहा है और हम इसके लिए उनके आभारी हैं ।

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