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फीलगुड IAS पोस्टिंगः IAS की पोस्टिंग में सरकार ने अफसरों को अबकी फीलगुड का अहसास कराया, राठौर और तायल को छोड़ कलेक्टरी करके लौटे आईएएस को मिली बढ़ियां जगह, भीम सिंह की भी कलेक्टरी बची

फीलगुड IAS पोस्टिंगः IAS की पोस्टिंग में सरकार ने अफसरों को अबकी फीलगुड का अहसास कराया, राठौर और तायल को छोड़ कलेक्टरी करके लौटे आईएएस को मिली बढ़ियां जगह, भीम सिंह की भी कलेक्टरी बची
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By NPG News

रायपुर, 7 जून 2021। राज्य सरकार ने कल देर शाम आईएएस की बहुप्रतीतिक्षत लिस्ट जारी कर दी। लिस्ट जारी होने से पहिले पखवाड़े भर से अधिकारियों की सांसें रुकी हुई थीं…न जाने सरकार किसको उठाकर कहां पटके। लेकिन, दो अधिकारियों को छोड़ दें तो सरकार ने सबको फीलगुड का अहसास कराया है। रायगढ़ कलेक्टर भीम सिंह की भी रायपुर लौटने की बड़ी चर्चा थी। मगर सुपर पावर की बदौलत वे भी अपनी कलेक्टरी बचाने में कामयाब हो गए।
सिकरेट्री डाॅ0 कमलप्रीत सिंह समेत ढाई दर्जन आईएएस अधिकारियों की कल शाम नई पदस्थापनाएं की गई। इनमें कमलप्रीत सिंह के कद को सरकार ने थोड़ा कम किया। उनसे फूड और ट्रांसपोर्ट लेकर उन्हें डीपीआई और सिकरेट्री स्कूल शिक्षा का दायित्व सौंपा गया है। दूसरे, कोरिया कलेक्टर एसएन राठौर को सरकार ने एक जिले की कलेक्टरी कराके वापिस रायपुर बुला लिया। राठौर 2008 बैच के आईएएस हैं। विलंब से वे कलेक्टर बनें लेकिन वे अपना विकेट बचा नहीं पाए। राजधानी में भी उन्हें फर्म एंड सोसाइटी का डायरेक्टर तथा ओडीएफ का मिशन संचालक बनाया गया है। इसी तरह 2012 बैच के बेमेतरा कलेक्टर शिवअनंत तायल को सरकार ने मंडी बोर्ड का एमडी पोस्ट किया है।

राठौर और तायल को छोड़ दें कलेक्टरी की पारी खेलकर लौटे सभी अधिकारियों को राजधानी में अच्छी और प्रतिष्ठापूर्ण पोस्टिंग मिली है। 2007 बैच के जांजगीर कलेक्टर यशवंत कुमार को डायरेक्टर एग्रीकल्चर बनाया गया है। इसके साथ एमडी पर्यटन भी। ब्यूरोक्रेसी में डायरेक्टर एग्रीकल्चर अच्छी पोस्टिंग मानी जाती है। इसी तरह 2009 बैच की कोरबा कलेक्टर किरण कौशल को मार्कफेड का एमडी बनाया गया है। 20 हजार करोड़ से ज्यादा का सलाना कारोबार करने वाले मार्कफेड में बड़े-बड़े आईएएस एमडी रहे हैं। एक्स चीफ सिकरेट्री सुनिल कुमार मध्यप्रदेश के समय एडिशनल एमडी रहे। छत्तीसगढ़ में सीके खेतान, सुब्रत साहू, सुबोध सिंह, दिनेश श्रीवास्तव, भारतीदासन और अंकित आनंद जैसे आईएएस एमडी रहे हैं। किरण फूड और नाॅन की डायरेक्टर भी होंगी। धमतरी से राजधानी लौटे तीसरे कलेक्टर जयप्रकाश मौर्य को बेहद अच्छी पदास्थपना मिली है। वे डायरेक्टर माईनिंग के साथ ही एमडी माईनिंग कारपोरेशन के साथ ही डायरेक्टर टाउन एन कंट्री प्लानिंग बनाया गया है। टाउन एन कंट्री प्लानिंग बोले तो कालोनियों का एप्रूचल यहीं से होता है।

इस लिस्ट में सबका कुछ-न-कुछ प्लस हुआ है। छत्तीसगढ़ के सबसे सीनियर कलेक्टर एस भारतीदासन पर भरोसा जताते हुए सरकार ने न केवल मुख्यमंत्री का स्पेशल सिकरेट्री बनाया है बल्कि जनसंपर्क की जवाबदेही सौंपी है। 2006 बैच के आईएएस भारतीदासन ने रायपुर जैसे राजनीतिक तौर पर संवेदनशील जिले को भी बैलेंस ढंग से चलाया। दो साल की कलेक्टरी के दौरान वे सरकार का विश्वास जीतने में सफल रहे। इसका रिजल्ट उन्हें सीएम सचिवालय में इंट्री के रूप में मिला।

2005 बैच के राजनांदगांव कलेक्टर टीपी वर्मा को सरकार ने फूड और ट्रांसपोर्ट की पूरी जिम्मेदारी सौंप दी है। ट्रांसपोर्ट कमिश्नर हमेशा डायरेक्ट आईएएस ही बनते आए हैं। इस दृष्टि से टीपी मंत्रालय में भी मजबूत स्थिति में होंगे। 2007 बैच के हिमशिखर गुप्ता से भी कम महत्व के मंडी बोर्ड लेकर उन्हें रोड कारपोरेशन का एमडी बनाया गया है। वे रजिस्ट्रार बने रहेंगे। हिमशिखर की अहमियत भी इस पोस्टिंग से बढ़ी है।

2009 बैच के आईएएस सौरव कुमार को राजधानी रायपुर का कलेक्टर बनाया गया है। ऐसा दूसरी बार हुआ है कि रायपुर ननि के कमिश्नर को रायपुर में कलेक्टरी करने का अवसर मिला हो। सौरव से पहिले ओपी चौधरी रायपुर के ननि कमिश्नर और कलेक्टर रहे। सौरव का यह दूसरा जिला है। इससे पहिले वे दंतेवाड़ा के कलेक्टर रहे। सरकार ने उन्हें राजधानी में अवसर दिया है तो यह उनके लिए प्रतिष्ठा की बात होगी।

2010 बैच की आईएएस रानू साहू ने 2009 बैच की किरण कौशल को रिप्लेस किया है। रानू कांकेर और बालोद में कलेक्टर रह चुकी है। कोरबा जाना उनके लिए एचिवमेंट की बात होगी। 2011 बैच के जीतेंद्र शुक्ला और 2012 बैच के तारन प्रकाश सिन्हा को जांजगीर और राजनांदगांव जिला मिला है। नौ-नौ ब्लाॅक के दोनों बड़े जिले माने जाते हैं। जीतेंद्र में एजुकेशन में अच्छा काम किए। उसी तरह तारन ने ढाई साल जनसंपर्क आयुक्त रहते मीडिया को बेहतर ढंग से मैनेज किया। मुख्यमंत्री ने इसलिए उन्हें राजनांदगांव जैसे जिले की कमान सौंपी।
श्याम धावड़े को बलरामपुर से कोरिया और पीएस एल्मा को मुुंगेली से धमतरी का कलेक्टर बनना प्रमोशन ही समझा जाएगा। 2009 बैच के समीर विश्नोई से सरकार ने भले ही माईनिंग ले लिया हो लेकिन, उन्हें कमिश्नर जीएसटी का जिम्मा दिया गया है। 2013 बैच के इंद्रजीत चंद्रवाल और अजीत बसंत को भी आखिरकार कलेक्टरी मिल गई। चंद्रवाल को बलरामपुर और अजीत को मुंगेली भेजा गया है।

सबसे बढ़ियां जम्प 2015 बैच के प्रभात मलिक को मिला है। वे रायपुर स्मार्ट सिटी में एडिशन एमडी थे। सरकार ने उन्हें सौरव कुमार की जगह पर नगर निगम कमिश्नर और स्मार्ट सिटी का एमडी बना दिया है। रायपुर ननि कमिश्नर का पद छोटे जिलों की कलेक्टरी से ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसमें रिलेशंस अच्छे बन जाते हैं, जो आगे चलकर काम आते हैं। 2017 बैच के चंद्रकांत वर्मा को गरियाबंद जिपं सीईओ से रायपुर स्मार्ट सिटी में एडिशनल सीईओ बनाया गया है। चंद्रकांत को कोरोना ने जो जख्म दिया है, उसको देखते सरकार ने लाइट पोस्टिंग देकर ठीक किया है। पता चला है, परिवारिक परिस्थितियों को देखते उन्होंने खुद भी रायपुर लौटने की इच्छा जाहिर की थी।

हालांकि, 2014 बैच के एस जयवर्द्धने को दूसरी बार नगर निगम कमिश्नर बनना जरूर खटका होगा। उन्हें कोरबा से हटाकर रायगढ़ ननि का कमिश्नर बनाया गया है। कोरबा में मंत्री जयसिंह से उनकी नहीं बन पा रही थी। 2017 बैच के मयंक चतुर्वेदी को भी बढ़ियां एक्सपोजर मिला है। वे रायपुर जिला पंचायत के सीईओ बनाए गए हैं।

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