Keshkal Ghati : पहाड़ों की रानी "केशकाल घाटी" ... जानें क्यों कहा जाता है तेलीन घाटी और बारा भांवर
Keshkal Ghati : क्या आप जानते हैं की छत्तीसगढ़ में पहाड़ों की रानी किसे कहा जाता है. यह जगह अपनी घुमावदार सड़कों, हरे-भरे जंगलों और अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जानी जाती है। हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी और सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय केशकाल घाटी की।
Keshkal Valley : छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के कोंडागांव जिले में स्थित केशकाल घाटी(Keshkal Valley) को यहाँ का प्रवेश द्वार कहा जाता है। केशकाल घाटी राष्ट्रीय राजमार्ग 30 पर कोण्डागांव-कांकेर के बीच स्थित है। साथ ही केशकाल घाटी रायपुर से लगभग 250 किलोमीटर दूर है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सर्पीली सड़कों के लिए प्रसिद्ध है. केशकाल घाटी के घने जंगल, खूबसूरत पहाड़ियां और घुमावदार सड़क महमोहक है। छत्तीसगढ़ राज्य में केशकाल घाटी को तेलीन घाटी और बारा भांवर मतलब बारह घुमावदार मोड़ के नाम से भी जाना जाता है।
प्राकृतिक सुंदरता के साथ हैवी ट्रैफिक, धूल-धक्कड़ और हादसों के लिए प्रसिद्द केशकाल घाटी की छवि अब पूरी तरह बदल चुकी है. केशकाल घाटी मार्ग के मरम्मत कार्य आरंभ होने के पहले जो लोग घाटी के उखड़े हुए सड़क और सड़क में बने बड़े-बड़े गड्ढों से हिचकोले खाते व धूल से सरोबर होकर गुजरते हुए कोसते थे, वो अब सुंदर सरपट सड़क से आरामदेह यात्रा करते खिले हुए रंग-बिरंगे सुंदर फूलों को एवं दिवालों पर बने मनमोहक चित्रों को निहारते गुजर रहे हैं. पूरा सोशल मीडिया हमारे केशकाल घाटी की खूबसूरत रील्स से भरा हुआ है. आप अगर साल भर बाद इस राह से गुजर रहे तो आप वाह-वाह करते प्रशंसा करते नहीं थकेंगे।
केशकाल घाटी का इतिहास
कोंडागांव जिले के एक पर्वत में स्थित केशकाल घाटी सर्पाकार सड़को के लिए काफी प्रसिद्द है। केशकाल घाटी (Keshkal Valley) का निर्माण कार्य सन् 1879 में शुरू हुआ था। लेकिन पहाड़ तोड़ कर रास्ता निकालने का काम सन् 1890 में पूरा हुआ। पहाड़ से रास्ता निकल जाने से बस्तर बाहरी दुनिया के संपर्क में आया। इस घाटी के निर्माण कार्य में लगभग 10 से 11 वर्ष लगे थे।
दरअसल, सन् 1890 में केशकाल गॉव का क्षेत्र पूरा जंगल झाड़ी से भरा हुआ था। वहां न तो कोई गाँव स्थित था और न ही कोई आबादी। बड़े-बड़े पहाड़ों के कारण आगे जाने का रास्ता पूरी तरह से अवरूद्ध था। इस पहाड़ को तोड़कर बीच से रास्ता निकालने का सोचा गया ताकि बस्तर राज्य का संपर्क बाहरी दुनिया से हो सके। जिसे सन् 1890 में पूर्ण किया गया।
तेलीन सती मंदिर यात्रियों के लिए आस्था का मंदिर
केशकाल घाटी के शुरुआत में ही एक मंदिर स्थित है। इस मंदिर को तेलीन सती मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। तेलीन सती मंदिर आने जाने वाले यात्रियों के लिए आस्था का मंदिर है। जो भी लोग यहां से गुजरते हैं यहाँ जरूर रुकते हैं।
केशकाल घाटी में कितने मोड़ है
बस्तर के प्रवेश द्वार यानि केशकाल घाटी (Keshkal Valley) में मुख्य रूप से 12 मोड़ हैं। इस घाटी की लम्बाई करीब 5 कि0मी0 है जिसे बारा भांवर मतलब बारह घुमावदार मोड़ भी कहते हैं। इस घाटी में बारह भांवर की चढ़ाई के बाद अंन्तिम उंचाई में सीता पंचवटी स्थित है।