Dhudmaras village in Bastar : "धुड़मारास"... छत्तीसगढ़ में केरल सा नजारा, बैम्बू राफ्टिंग और कायकिंग लवर के लिए बेस्ट ऑप्शन
Best Tourism Villages Dhudmaras : बस्तर का दिल कांगेर घाटी में बसा धुड़मारास घने जंगलों से घिरा हुआ हुआ एक गांव है. इसे छत्तीसगढ़ का केरल कहा जाये तो कम नहीं। गांव के बीच से बहती कांगेर नदी इसे मनमोहक बना देती है. यहाँ स्थानीय लोग अपने घरों को पर्यटकों के लिए उपलब्ध करवा रहे हैं, जिससे ग्रामीणों को रोजगार के साथ पर्यटकों को आदिवासी संस्कृति और खानपान से रूबरू होने का मौका मिल रहा है.

Dhudmaras village : "धुमड़ारास" है न कुछ यूनिक नाम... सबसे हटकर। पर आप इसके नाम पर मत जाइये. यह छत्तीसगढ़ की एक ऐसी जगह है, जो आपको केरल सा नजारा और सुकून देगी। धुड़मारास गांव Dhudmaras village कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के बीच बसा है. कांगेर नदी के किनारे बसा यह गांव अपनी हरियाली और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है.यहां के प्रमुख आकर्षण बैम्बू राफ्टिंग और कायकिंग हैं.
धुड़मारास प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक विविधता और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है. बस्तर के अदभुत आदिवासी जीवनशैली, पारम्परिक व्यंजन, हरियाली और जैव विविधता से समृद्ध यह गांव पर्यटकों के लिए एक आकर्षक ही नहीं बल्कि रोमांचक स्थल है. धुड़मारास गांव Dhudmaras village दुनिया भर के उन 20 गांवों में से एक है, जिसे सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव उन्नयन कार्यक्रम में भाग लेने के लिए चुना गया है। धुड़मारास को इसकी अनूठी सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक सुंदरता और सतत पर्यटन विकास की क्षमता के कारण चुना गया है।
बैम्बू राफ्टिंग और कायकिंग है प्रमुख आकर्षण
छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड की पीआरओ डॉ अनुराधा दुबे ने बताया की यहां के प्रमुख आकर्षण बैम्बू राफ्टिंग और कायकिंग हैं. इसके अलावा धुड़मारास के लोग अपनी मेहमाननवाजी के लिए भी फेमस हैं. पर्यटकों को स्थानीय घरों में ठहरने की सुविधा मिलती है, जहां वे बस्तर के पारंपरिक व्यंजन जैसे फरा, चावल-रोटी और लाल चींटी की चटनी का स्वाद ले सकते हैं.
कैसे पहुंचे धुड़मारास Dhudmaras village
जगदलपुर रेलवे स्टेशन से धुड़मारास तक पहुंचा जा सकता है. साथ ही धुड़मारास सड़क मार्ग से आसानी से जुड़ा हुआ है.
सड़क मार्ग से :
जगदलपुर से धुड़मारास तक बस या ऑटो-रिक्शा उपलब्ध है.
रेल मार्ग से :
जगदलपुर रेलवे स्टेशन से धुड़मारास तक बस या ऑटो-रिक्शा उपलब्ध है.
गांव के युवाओं ने बनाया है ईको पर्यटन विकास समिति
गांव के युवाओं की ईको पर्यटन विकास समिति कांगेर नदी में कयाकिंग और बम्बू राफ्टिंग की सुविधाएं पर्यटकों को उपलब्ध करवाती है, जिससे इस समिति को अच्छी आमदनी हो रही है। यह पर्यटन समिति अब अपनी आय से गांव में पर्यटकों के लिए प्रतीक्षालय और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं विकसित कर रहे हैं। यह गांव अब बस्तर के अन्य गांवों के लिए प्रेरणा बन गया है। यही वजह है कि कांगेर घाटी नेशनल पार्क के नागलसर और नेतानार में भी ईको-टूरिज्म को बढ़ावा मिल रहा है।
स्वागत द्वार पर "धुरवा डेरा"
धुड़मारास गांव Dhudmaras village में पहुंचते ही पर्यटकों को एक स्वागत द्वार दिखता है. जिसमें धुरवा डेरा लिखा गया है. धुरवा इस क्षेत्र में निवास करने वाली जनजाति है और डेरा उनके रहने के स्थान को कहा जाता है. इस डेरे के भीतर होम स्टे बनाया गया है. होम स्टे की दीवार बांस की चटाई और लाल ईंट से बनाई गई है. जहां स्थानीय लोगों के साथ देश-विदेश से पहुंचने वाले पर्यटक ठहरते हैं. पर्यटकों के लिए जंगलों में मिलने वाले व्यंजनों से भोजन तैयार करके परोसा जाता है. इसके साथ ही गांव के लोग आदिवासी नृत्य संगीत के जरिए भी पर्यटकों को मनोरंजन करते हैं.