Balak ke Vikas ka kram: माता-पिता ज़रूर ध्यान दें! गर्भ से वृद्धावस्था तक इंसान कैसे बदलता है? जानिए किस उम्र में क्या सीखता है आपका बच्चा
Balak ke Vikas ka kram: मनुष्य के जीवन की यात्रा काफी अनोखी है जो माँ के गर्भ में शुरू होती है और जीवन के अंतिम पड़ाव तक जारी रहती है। इस बीच एक बालक अनेक विकास क्रमों से गुजरता है। प्रसिद्ध बाल मनोवैज्ञानिक हरलॉक ने इन्ही विकास क्रमों को 11 अलग-अलग अवस्थाओं में बांटा है।

Balak ke Vikas ka kram: मनुष्य के जीवन की यात्रा काफी अनोखी है जो माँ के गर्भ में शुरू होती है और जीवन के अंतिम पड़ाव तक जारी रहती है। इस बीच एक बालक अनेक विकास क्रमों से गुजरता है। प्रसिद्ध बाल मनोवैज्ञानिक हरलॉक ने इन्ही विकास क्रमों को 11 अलग-अलग अवस्थाओं में बांटा है। यह विभाजन माता-पिता, शिक्षकों और समाज के हर सदस्य के लिए बेहद जरूरी है ताकि वे हर उम्र के व्यक्ति की जरूरतों को समझ सकें। खासकर छोटे बालकों को समझना काफी मुश्किल होता है इसलिए इन मनोवैज्ञानिक अवस्थाओं को जानना आपके लिए बहुत जरूरी है।
1. Garbhavastha - गर्भावस्था
गर्भावस्था मानव जीवन का पहला और सबसे महत्वपूर्ण चरण है। गर्भाधान से लेकर 9 महीने तक भ्रूण का विकास होता है। इस दौरान सभी अंग बनते हैं, हड्डियां विकसित होती हैं और शरीर की प्रणालियां काम करना शुरू करती हैं। माँ का स्वास्थ्य और पोषण सीधे बच्चे के विकास को प्रभावित करता है। गर्भावस्था के दौरान ही बच्चे के दांत बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है हालांकि वे जन्म के बाद ही दिखाई देते हैं।
2. Shaishavavastha - शैशवावस्था
जन्म से लेकर 2 सप्ताह तक की अवधि शैशवावस्था कहलाती है। यह जीवन का सबसे कोमल समय होता है। नवजात शिशु पूरी तरह दूसरों पर निर्भर होता है। जन्म के समय बच्चे का वजन साढ़े तीन किलोग्राम तक रहता है और 6 महीने में दोगुना हो जाता है। शिशु का मस्तिष्क तेजी से विकसित होता है और दो साल में अपने वयस्क वजन का 75 प्रतिशत तक पहुंच जाता है।
3. Bachpanavastha - बचपनावस्था
2 सप्ताह से 2 साल तक बचपनावस्था चलती है। इस समय बच्चा रेंगना, बैठना, खड़ा होना और चलना सीखता है। भाषा का विकास शुरू होता है और बच्चा छोटे-छोटे शब्द बोलने लगता है। उसकी इंद्रियां तेजी से विकसित होती हैं और वह दुनिया को देखकर, सुनकर और छूकर समझता है।
4. Poorva Balyavastha - पूर्व बाल्यावस्था
2 से 6 साल की उम्र को पूर्व बाल्यावस्था कहते हैं। यह प्रश्न करने की उम्र है क्योंकि बच्चा लगातार सवाल पूछता है। इस उम्र में कल्पनाशक्ति विकसित होती है और बच्चा अनुकरण के माध्यम से सीखता है। वह अपने सामने देखे गए चीजों की नकल करता है। इस उम्र में भाषा का तेजी से विकास होता है और शब्दावली बढ़ती है।
5. Uttar Balyavastha - उत्तर बाल्यावस्था
6 से 12 साल तक की उम्र उत्तर बाल्यावस्था कहलाती है। यह बचपन की सबसे स्थिर अवधि है। इस समय बच्चे की औपचारिक शिक्षा शुरू होती है और बच्चा स्कूल में पढ़ना लिखना सीखना सीखता है। इस समय में दोस्ती और गैंग महत्वपूर्ण हो जाती है।
6. Vay Sandhi - वय संधि
वय संधि काल 12 से 14 साल की उम्र में आती है। यह बचपन और किशोरावस्था के बीच का पुल है। इस समय शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं और यौवन की शुरुआत होती है। शारीरिक बदलाव बच्चे को असहज कर सकते हैं इसलिए माता-पिता का समझदारीपूर्ण व्यवहार जरूरी है।
7. Poorva Kishoravastha - पूर्व किशोरावस्था
यह उम्र तूफान और तनाव का काल है। शरीर में तेजी से बदलाव होते हैं और भावनात्मक उतार-चढ़ाव रहता है। किशोर में अपनी आत्म पहचान और सम्मान को खोने का डर बना रहता है। इस समय बच्चा अपने ग्रुप का स्थायी सदस्य बन जाता है। बच्चे में रोमांटिक भावनाएं उत्पन्न होती हैं, यह 13 से 17 साल की उम्र तक रहता है।
8. Uttar Kishoravastha - उत्तर किशोरावस्था
बच्चा वयस्कता की स्थिति में पहुंच जाता है और अपनी जिम्मेदारियों को समझने लगता है। करियर और भविष्य की चिंता प्रमुख होती जाती है। यह अवस्था 18 से 21 साल में आती है और किशोर परिपक्व होने लगता है।
9. Praudhavastha - प्रौढ़ावस्था
यह करियर बनाने और परिवार बसाने का समय है। व्यक्ति आर्थिक रूप से स्वतंत्र होता है। विवाह के साथ-साथ पारिवारिक जिम्मेदारियां भी आती हैं। काम और परिवार के बीच संतुलन बनाना इस उम्र की चुनौती है। 21 से 40 साल की उम्र के बीच यह अवस्था आती है।
10. Madhyavastha - मध्यावस्था
यह जीवन का स्वर्णिम काल माना जाता है। इस समय व्यक्ति अपने अनुभव और विवेक के उच्चतम स्तर पर होता है। इस अवस्था में व्यक्ति की समाज में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शारीरिक बदलाव भी आने लगते हैं। 41 से 60 वर्ष की आयु मध्यावस्था कहलाती है।
11. Vridhavastha - वृद्धावस्था
इसे रिटायरमेंट की उम्र भी कहा जाता है। इस समय व्यक्ति की शारीरिक क्षमता सबसे कम होती है, क्रियाशीलता नगण्य हो जाती है। स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी सामने आती हैं। 60 साल के बाद इस अवस्था की शुरुआत हो जाती है, जो मृत्यु तक चलती है।
