Baital Rani Ghati : बैताल रानी घाटी...ऊंचे पहाड़-लंबी सर्पीली सड़क और मनोरम दृश्य के साथ रानी के प्रेम का प्रतीक
बैताल रानी घाटी. छत्तीसगढ़ में यह नाम तो सुना ही होगा, जो अपनी मनमोहक सुन्दरता के साथ अनोखे नाम के लिए भी जानी जाती है. यह पहाड़ी लंबी सर्पीली सड़कों और मनोरम दृश्य के लिए प्रसिद्ध है। इस अंचल को बैतलरानी घाटी भी कहा जाता है.

Baital Rani Ghati CHATTISGARH : हमारे छत्तीसगढ़ की प्रकृति हर तरीके से समृद्ध है. जितना यह प्राकृतिक सौंदर्य, हरे भरे जंगल, जल प्रपात और पहाड़ों के लिए प्रसिद्ध है, वैसे ही इसे घाटियों के लिए भी जाना जाता है. छत्तीसगढ़ में चारों ओर जंगल, पहाड़, नदियां और खूबसूरत घाटियां हैं. जितनी यहाँ की घाटियां अद्भुत सुन्दर और आकर्षक है उतनी ही बेहद खतरनाक भी है. तीखे मोड़ और अंधे रास्ते आपके रोंगटे खड़े कर देगी. अगर इनके नजारों को अपनी आँखों और कैमरे में कैद करना है, तो जरूर जाये पर थोड़ी सावधानी के साथ और संभलकर.
उन्हीं में से एक है बैताल रानी घाटी. यह छत्तीसगढ़ की सबसे खतरनाक घाटी मानी जाती है. यहां अनेक खतरनाक मोड़ हैं. ऊंचे पहाड़ तक जाने वाली ये घाटी कई सड़क हादसों की साक्षी है. खतरनाक होने के साथ ही यह खूबसूरत भी है. यहां से दिखने वाले नजारे मनमोहक होते हैं. बैताल रानी घाटी खैरागढ़ से लगभग 35-40 किलोमीटर दूर है.
बैताल रानी घाटी खैरागढ़ छुईखदान में अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक महत्व से आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। प्रकृति प्रेमियों, ट्रेकर्स और रोमांच चाहने वालों को समान रूप से आकर्षित करती है। घाटी की तुलना अक्सर प्रसिद्ध केशकाल घाट से की जाती है.
इस घाटी का नाम देवी माँ बैताल रानी के नाम पर पड़ा
बैताल रानी घाटी एक शांत जगह है। घाटी से होकर गुज़रने वाली घुमावदार सड़कें यात्रियों को हमेशा बदलते नज़ारों का आनंद देती हैं। हर मोड़ पर नए नज़ारे दिखते हैं, जिनमें घने जंगल से लेकर खुले घास के मैदान और आसपास की पहाड़ियों के मनोरम दृश्य शामिल हैं। इस घाटी का नाम देवी माँ बैताल रानी के नाम पर पड़ा है, जिनका मंदिर घाटी के शीर्ष पर भव्य रूप से स्थित है। पर्यटक अक्सर मंदिर में आते हैं और शिखर से लुभावने दृश्यों का आनंद लेते हुए आशीर्वाद मांगते हैं।
कैंपिंग और पिकनिक के लिए एकदम सही
बैताल रानी घाटी के रास्ते में, कई जगहें कैंपिंग और पिकनिक के लिए एकदम सही हैं. घाटी की ओर जाने वाली खूबसूरत ड्राइव में कई ऐसे नज़ारे हैं, जहाँ से आप शानदार तस्वीरें खींच सकते हैं। अगर आप शहर की भागदौड़ भरी ज़िंदगी से दूर जाना चाहते हैं, तो बैताल रानी घाटी प्रकृति के करीब जाने के लिए एक बेहतरीन जगह है।
ऐसी है इस अनोखे घाटी की कहानी
किवदंती के अनुसार लांजी (मध्यप्रदेश) की राजकुमारी बैतल का विवाह धमधा (दुर्ग) के राजा हरिचंद्र के साथ हुआ था। धमधा उन दिनों गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र था। हरिचंद्र का राजकाज में मन कम ही लगता था। उनकी मित्रता ठाकुरटोला के राजा से थी। वे अकसर ठाकुरटोला चले जाते और वहीं प्राकृतिक दृश्यों में रमे रहते। इधर बैतल रानी अकेले-अकेले ही घूमती फिरती रही। ऐसे ही एक दिन उसकी मुलाकात एक चरवाहे से हो गई और दोनों में बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया। जल्द ही यह प्रेम में तब्दील हो गया। अपने नीरस जीवन से ऊब चुकी बैतल रानी ने चरवाहे को कहीं भाग चलने के लिए मना लिया। फिर एक दिन दोनों ने योजना बनाई और महल से भागकर बसन्तपुर की पहाड़ियों में जा छिपे। इधर राजा को रानी की बेवफाई की भनक थी। उसने गुप्तचरों से दोनों के प्रेम प्रसंग का पहले ही पता लगा लिया था। जैसे ही वह महल से भागी, हरिचन्द्र कुछ सैनिकों को लेकर बसन्तपुर की पहाड़ियों में जा पहुंचे और दोनों को पकड़ कर मौत के घाट उतार दिया। बैतलरानी के उन्होंने तीन टुकड़े कर दिये। तीन टुकड़ों में विभक्त बैतल रानी की प्रतिमा आज एक अस्थाई मंदिर में स्थापित है। पहाड़ी पर उनकी समाधि है। इसके पास ही उनके प्रेमी की समाधि भी नजर आती है। किंवदंतियों के अनुसार उन दिनों कुछ लोगों का खून सफेद होता था। जिनका खून सफेद होता था मरने पर वे पत्थर के बन जाते थे। बैतलरानी का खून भी सफेद था। हालांकि, इस पर यकीन कर पाना कठिन है। यह पहाड़ी लंबी सर्पीली सड़कों और मनोरम दृश्य के लिए प्रसिद्ध है। इस अंचल को बैतलरानी घाटी भी कहा जाता है।
बैतालरानी घाटी कैसे पहुंचें –
– यह स्थान छुईखदान से लगभग 25 किलोमीटर और साल्हेवारा से लगभग 30 किलोमीटर दूर है।
– दुर्ग से जालबांधा-खैरागढ़ मार्ग होते हुए सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। कुल दूरी है 88 किलोमीटर।
– राजनांदगांव से खैरागढ़ मार्ग होते हुए सड़क मार्ग से। कुल दूरी 77 किलोमीटर।