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Vishwa ka sabse mahanga school Le Rosey: दुनिया का सबसे महंगा स्कूल, सिर्फ राजाओं के बेटों को मिलता है एडमिशन! फीस जानकर पैरों तले खिसक जाएगी जमीन

Vishwa ka sabse mahanga school Le Rosey:आपने महंगे स्कूलों के नाम पर देहरादून के द दून स्कूल, ग्वालियर के सिंधिया स्कूल और मुंबई के धीरूभाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि विश्व का सबसे महंगा स्कूल कौन सा है? तो जानिए की सबसे महंगे स्कूल का नाम है इंस्टीट्यूट ले रोज़ी (Institute Le Rosey)। यह दुनिया का सबसे महंगा बोर्डिंग स्कूल है।

Vishwa ka sabse mahanga school Le Rosey: दुनिया का सबसे महंगा स्कूल, सिर्फ राजाओं के बेटों को मिलता है एडमिशन! फीस जानकर पैरों तले खिसक जाएगी जमीन
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By Chirag Sahu

Vishwa ka sabse mahanga school Le Rosey:आपने महंगे स्कूलों के नाम पर देहरादून के द दून स्कूल, ग्वालियर के सिंधिया स्कूल और मुंबई के धीरूभाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि विश्व का सबसे महंगा स्कूल कौन सा है? तो जानिए की सबसे महंगे स्कूल का नाम है इंस्टीट्यूट ले रोज़ी (Institute Le Rosey)। यह दुनिया का सबसे महंगा बोर्डिंग स्कूल है। यह आवासीय स्कूल स्विट्जरलैंड की खूबसूरत पहाड़ियों और झीलों के बीच बसा है, जहाँ दुनिया के सबसे अमीर परिवारों के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। इस विद्यालय को "स्कूल ऑफ किंग्स" के नाम से भी जाना जाता हैं। आइए जानते है इस स्कूल के इतने महंगे होने का राज़...

इंस्टीट्यूट ले रोज़ी की स्थापना

ले रोज़ी स्कूल की स्थापना पॉल-एमिल कार्नेल के द्वारा सन 1880 में की गई थी। वे एक शिक्षाविद थे और वे चाहते थे कि एक ऐसा स्कूल बने जहाँ बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान न मिले बल्कि बच्चे जीवन के हर पहलू को गहराई से सीखे। फिर कुछ समय बीतने के बाद पॉल एमिल के बेटे हेनरी-पॉल कार्नेल ने 1911 में स्कूल को संभाला और 1916 में एक ऐसा निर्णय लिया जो आज भी चला आ रहा है। उन्होंने स्कूल के कैंपस को सर्दियों में बचने के लिए दो भागों में बांट दिया। अर्थात गर्मी और बरसात के मौसम में बच्चे रोले परिसर में रहते हैं जो जिनेवा झील के किनारे स्थित है और फिर जनवरी से मार्च तक सर्दियों में पूरा विद्यालय गस्ताद चला जाता है जो एक मशहूर पर्वतीय स्थल है, अर्थात यह ऐसा बोर्डिंग स्कूल है जिसके दो कैंपस है। इस तरह यह परंपरा 1917 से चली आ रही है और अब यह विद्यालय की पहचान का हिस्सा बन चुकी है।

इंस्टीट्यूट ले रोज़ी में कितने बच्चे पढ़ते है?

ले रोज़ी का एडमिशन नियम सबसे खास है। यहाँ किसी भी एक देश से 10 प्रतिशत से अधिक विद्यार्थी को एडमिशन नहीं दिया जाता भले ही आप कितने ही अमीर क्यों न हो। यह नियम इसलिए बनाया गया ताकि विद्यालय में एक संतुलित अंतरराष्ट्रीय माहौल बना रहे और कोई एक देश के बच्चे बहुमत में न हो जाएं। विद्यालय में 7 से 18 वर्ष तक के बच्चों को एडमिशन दिया जाता है।

आज विद्यालय में लगभग 450 विद्यार्थी हैं जो 60 से भी अधिक देशों से आए हैं। 1967 में विद्यालय ने पहली बार लड़कियों को प्रवेश दिया और ला कोम्ब नाम का एक अलग लड़कियों का परिसर खोला गया। इससे पहले 87 वर्षों तक यह केवल लड़कों का ही विद्यालय था। इस स्कूल में फ्रांसीसी और अंग्रेज़ी दोनों भाषा में शिक्षा प्रदान की जाती है। यहां 120 शिक्षक कार्यरत है, जिससे हर 3 से 4 बच्चों के लिए एक शिक्षक की उपलब्धता होती है। इस स्कूल की 30 सीटें यहां पढ़ाने वाले टीचर्स के बच्चों के लिए रिजर्व होती है।

ले रोज़ी स्कूल की फीस है करोड़ों में

ले रोज़ी को दुनिया का सबसे महंगा आवासीय विद्यालय माना जाता है। बड़ी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए सालाना आवास और पढ़ाई का फीस लगभग 1 लाख 30 हजार स्विस फ्रैंक है जो भारतीय मुद्रा में 1.4 करोड़ रुपये से भी ज्यादा बैठता है। छोटे बच्चों के लिए यह शुल्क कुछ कम है। एक महत्वपूर्ण बात यह है कि ले रोज़ी स्कूल कभी भी विद्यालय के विकास और एडमिशन के लिए दान की मांग नहीं करता जो इसकी नीति और गरिमा को दिखती है। यहां बच्चों को पढ़ाई के साथ साथ भाषा, वैज्ञानिक प्रयोग, फुटबॉल, बैडमिंटन, टेनिस, घुड़सवारी, आइस हॉकी, व्यायाम, तैराकी, नृत्य, संगीत, अभिनय, मूर्तिकला, चित्रकला और पर्वतारोहण जैसी चीजें सिखाई जाती है। यहां 4 अरब की लागत से बना हुआ एक कॉन्सर्ट हॉल भी है, जहां बड़े बड़े सेलिब्रिटी परफॉर्मेंस देने आते है।

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