छत्तीसगढ़ के इस पहाड़ में है विश्व की सबसे प्राचीनतम नाट्यशाला, जानिए रामगढ़ पहाड़ी का इतिहास
Surguja Ramgarh Hill: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में बसी रामगढ़ पहाड़ी एक ऐसी जगह है, जो इतिहास, पौराणिकता और प्राकृतिक सौंदर्य का अनोखा मिश्रण है। यह स्थान न केवल भगवान राम के वनवास काल से जुड़ा है, बल्कि प्राचीन सभ्यता और साहित्य का भी गवाह रहा है। सरगुजा का यह रत्न, जो अम्बिकापुर से कुछ ही दूरी पर स्थित है। इस लेख में रामगढ़ पहाड़ी के इतिहास और सांस्कृतिक वैभव के बारे में विस्तार से जानेंगे।

Surguja Ramgarh Hill: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में बसी रामगढ़ पहाड़ी एक ऐसी जगह है, जो इतिहास, पौराणिकता और प्राकृतिक सौंदर्य का अनोखा मिश्रण है। यह स्थान न केवल भगवान राम के वनवास काल से जुड़ा है, बल्कि प्राचीन सभ्यता और साहित्य का भी गवाह रहा है। सरगुजा का यह रत्न, जो अम्बिकापुर से कुछ ही दूरी पर स्थित है। इस लेख में रामगढ़ पहाड़ी के इतिहास और सांस्कृतिक वैभव के बारे में विस्तार से जानेंगे।
रामगढ़ पहाड़ी का ऐतिहासिक महत्व
रामगढ़ पहाड़ी का इतिहास अत्यंत प्राचीन है और मौर्य काल तक जाता है। यहाँ की गुफाएँ भारत की सबसे पुरानी थिएटर संरचनाओं में से एक हैं, जो तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व की हैं। इन गुफाओं में मिले शिलालेख और चित्रकारी प्राचीन भारतीय कला और साहित्य की समृद्धि को दर्शाते हैं। माना जाता है कि मौर्य सम्राट अशोक के समय यहाँ बौद्ध प्रभाव था और चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने अपने यात्रा वृत्तांत में इस क्षेत्र का उल्लेख किया है। इसके अलावा, रामगढ़ का संबंध महाकवि कालिदास के प्रसिद्ध काव्य "मेघदूत" से भी है। यह माना जाता है कि कालिदास ने इस पहाड़ी पर समय बिताया और यहाँ से प्रेरणा ली।
प्रमुख पर्यटन स्थल
रामगढ़ पहाड़ी अपने प्राचीन और प्राकृतिक आकर्षणों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की दो प्रमुख गुफाएँ – जोगीमारा और सीताबेंगरा, पर्यटकों का ध्यान खींचती हैं।
सीताबेंगरा गुफा
इस गुफा को सबसे प्राचीनतम नाट्यशाला माना जाता है। यहां गुप्त काल के शिलालेख भी प्राप्त हुए हैं। यह गुफा 44 फीट लंबी और 15 फीट चौड़ी है। गुफा के अंदर एक कमरा और चबूतरा बनाया गया है। माना जाता है कि यह गुफा माता सीता का निवास स्थान था। इसके अलावा, सीता कुंड एक प्राकृतिक जलाशय है, जो अपनी शांति और सुंदरता के लिए जाना जाता है। पहाड़ी पर एक प्राचीन मंदिर और एक गड्ढा भी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि राम ने इसे शत्रुओं पर नजर रखने के लिए बनवाया था। प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग द्वारा प्रतिवर्ष आषाढ़ के पहले दिन से दो दिवसीय रामगढ़ महोत्सव का आयोजन होता है, जिसमें स्थानीय संस्कृति, नृत्य और संगीत की झलक देखने को मिलती है।
जोगीमारा गुफा
इस गुफा की लंबाई 15 फीट और चौड़ाई 12 फिट है। इस गुफा में मौर्य कालीन साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। यहां ब्राह्मी लिपि में लिखित प्राप्त शिलालेख से पता चलता है कि यहां गुफा देवदत्त और देवदासी सूतनुका की प्रेम गाथा का वर्णन है। ऐसा माना जाता है कि महाकवि कालिदास ने मेघदूत की रचना इसी गुफा में की थी। यहां भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान समय व्यतीत किए थे। इस गुफा में विभिन्न प्रकार के भित्तिय चित्र भी उकेरे गए हैं। इसकी भीतरी दीवारे बहुत चिकनी वज्रलेप से प्लास्टर की हुई हैं।
इन गुफाओं की तुलना अजंता एलोरा की गुफाओं से की जाती है। यहां लक्ष्मण बेंगरा नाम की भी गुफा है जहां लक्ष्मण जी निवास करते थे। यहाँ की गुफाएँ और मंदिर भक्तों के लिए आध्यात्मिक महत्व रखते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे "राम वन गमन पथ" का हिस्सा बनाया है, जो राम के वनवास मार्ग को पर्यटन के माध्यम से जीवंत करता है। रामगढ़ की पहाड़ी के सबसे ऊपरी हिस्से में प्राचीन राम जानकी मंदिर स्थित है साथ ही यहां तीन अन्य गुफाएं भी मौजूद हैं।
कैसे पहुंचे यहां
रामगढ़ पहाड़ी सरगुजा जिले के उत्तरी-पूर्वी भाग में, अम्बिकापुर से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह पहाड़ी अपनी अनोखी हाथी जैसी आकृति के लिए जानी जाती है, जो इसे आसपास की अन्य पहाड़ियों से अलग करती है। यह विंध्याचल और बघेलखंड की पहाड़ियों का हिस्सा है, और इसकी ऊँचाई समुद्र तल से लगभग 700 मीटर है। रामगढ़ पहाड़ का मौसम साल भर सुखद रहता है, लेकिन यहां घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक माना जाता है।
