Sugar Factories in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में शक्कर कारखाने; जानिए शक्कर कारखानों का इतिहास और वर्तमान की स्थिति।
Sugar Factories in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान राज्य है, जहाँ गन्ना खेती का विशेष महत्व है। गन्ने से शक्कर उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने सहकारी मॉडल पर कई शक्कर कारखाने स्थापित किए। इन कारखानों का उद्देश्य केवल गन्ना किसानों को उचित मूल्य और रोजगार उपलब्ध कराना ही नहीं था, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देना भी था। समय के साथ इन कारखानों ने ऊर्जा उत्पादन, इथेनॉल निर्माण और सह-उत्पादों के बेहतर उपयोग में भी कदम बढ़ाए। आइए, छत्तीसगढ़ के शक्कर कारखानों के इतिहास और वर्तमान स्थिति को विस्तार से समझते हैं।

Sugar Factories in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान राज्य है, जहाँ गन्ना खेती का विशेष महत्व है। गन्ने से शक्कर उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने सहकारी मॉडल पर कई शक्कर कारखाने स्थापित किए। इन कारखानों का उद्देश्य केवल गन्ना किसानों को उचित मूल्य और रोजगार उपलब्ध कराना ही नहीं था, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देना भी था। समय के साथ इन कारखानों ने ऊर्जा उत्पादन, इथेनॉल निर्माण और सह-उत्पादों के बेहतर उपयोग में भी कदम बढ़ाए। आइए, छत्तीसगढ़ के शक्कर कारखानों के इतिहास और वर्तमान स्थिति को विस्तार से समझते हैं।
भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना, राम्हेपुर (कबीरधाम)
राज्य का पहला शक्कर कारखाना भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना है, जिसे मार्च 2003 में कवर्धा जिले के राम्हेपुर में स्थापित किया गया। भोरमदेव मंदिर के नाम पर रखा गया यह कारखाना न केवल शक्कर उत्पादन करता है बल्कि सह-उत्पादों से 6 मेगावॉट बिजली और 80 KLPD क्षमता का इथेनॉल भी बनाता है। यह देश का पहला इथेनॉल प्लांट है। इस कारखाने की स्थापना ने किसानों को गन्ने की स्थिर खपत और आय का भरोसा दिलाया।
मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाना, केरता (सूरजपुर)
इस कारखाने की नींव 2007 में रखी गई और 2010 से उत्पादन शुरू हुआ। इसकी पहचान भी सह-उत्पाद आधारित बिजली उत्पादन से है। यहाँ 6 मेगावॉट बिजली को-जनरेशन प्लांट संचालित है। यहां भी सह-उत्पादों से 6 मेगावॉट बिजली और 20 KLPD (किलो लीटर प्रति दिन) क्षमता का इथेनॉल भी बनाता है।
दंतेश्वरी सहकारी शक्कर कारखाना, करकाभाठा (बालोद)
दिसंबर 2009 में स्थापित यह कारखाना अपनी क्षमता के बावजूद गन्ना आपूर्ति की कमी से जूझता रहा। यहाँ लगभग दो लाख मीट्रिक टन गन्ना पेराई की क्षमता है, लेकिन व्यवहार में उत्पादन इससे कम रहा। फिर भी यह कारखाना क्षेत्र के किसानों के लिए रोजगार और आय का साधन बना। यहां 3MW बिजली उत्पादन की क्षमता है।
सरदार वल्लभ भाई पटेल सहकारी शक्कर कारखाना, पंडरिया (कबीरधाम)
यह कारखाना राज्य का चौथा (2016 में निर्माण) प्रमुख शक्कर उद्योग है। सत्र 2016-17 में उत्पादन प्रारंभ हुआ है। अपनी रिकवरी दर के कारण इसने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। गन्ने से शक्कर निकालने की उच्च रिकवरी दर ने किसानों की आमदनी बढ़ाई और कारखाने की उत्पादकता को मजबूती दी। यहाँ 14 मेगावॉट बिजली को-जनरेशन प्लांट संचालित है।
एक और शक्कर कारखाना चंदनु, बेमेतरा में 2019 से निर्माणाधीन है।
वर्तमान स्थिति और भविष्य
आज छत्तीसगढ़ के शक्कर कारखाने केवल उत्पादन केंद्र नहीं बल्कि ग्रामीण विकास और ऊर्जा सुरक्षा के साधन बन चुके हैं। सरकार इन कारखानों को घाटे से निकालने और किसानों को अधिकतम लाभ पहुँचाने के लिए नई योजनाएँ बना रही है। गन्ना उत्पादन बढ़ाने, आधुनिक किस्मों के बीज उपलब्ध कराने और इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
