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Satyanarayan Baba Raigarh: छत्तीसगढ़ में एक ऐसे बाबा जो 27 सालों से बिना भोजन के कर रहे तपस्या, जानिए रहस्मयी बाबा की अद्भुत कहानी

Chhattisgarh Satyanarayan Baba Raigarh: छत्तीसगढ़ ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने वाले हैं जो अपने तप व साधना की वजह से पूरी दुनिया में फेमस है।

Satyanarayan Baba Raigarh: छत्तीसगढ़ में एक ऐसे बाबा जो 27 सालों से बिना भोजन के कर रहे तपस्या, जानिए रहस्मयी बाबा की अद्भुत कहानी
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By Chirag Sahu

Chhattisgarh Satyanarayan Baba Raigarh: छत्तीसगढ़ में कई ऐसी शख्सियत पहले भी मौजूद थे और आज भी मौजूद है, जिन्होंने छत्तीसगढ़ की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। आज हम ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने वाले हैं जो अपने तप व साधना की वजह से पूरी दुनिया में फेमस है। हम बात कर रहे हैं रायगढ़, छत्तीसगढ़ के कोसमनारा गाँव में स्थित श्री श्री 108 श्री सत्यनारायण बाबा धाम के बारे में। यहां खुले आकाश के नीचे तपस्या करते सत्यनारायण बाबा के बारे में मान्यता है कि वे भगवान शिव की साधना में हमेशा लीन रहते हैं।

जानिए बाबा का जीवन परिचय

स्थानीय रूप से सत्यनारायण बाबा को एक तपस्वी संत के रूप में जाना जाता है, जिनका धाम सत्यनारायण बाबा धाम, कोसमनारा के नाम से विख्यात है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार उनका जन्म 12 जुलाई 1984 को हुआ। उनका मूल निवास देवरी‑डूमरपाली, जिला रायगढ़ बताया जाता है। इनके बचपन का नाम हलधर है और परिवार व स्थानीय जनों के अनुसार वे प्रारम्भ से ही शिवभक्त रहे हैं।

बचपन से जुड़ी अनोखी कहानी

बाबा हर दिन की तरह 16 फ़रवरी 1998 को भी पढ़ाई के उद्देश्य से घर से निकले, किंतु कोसमनारा पहुँचकर साधना में लीन हो गए। इसी समय से धाम की कथा शुरू होती है। अब तक 27 वर्षों से अधिक समय से, वे आश्रम में एक ही स्थान पर विराजमान है। स्थानीय मान्यता यह भी बताती है कि उन्होंने पत्थरों से शिवलिंग की रूपरेखा बनाकर अपनी जीभ अर्पित कर दी और तब से वे निरंतर तपस्या में लीन हैं। धाम का पूरा वातावरण इसी श्रद्धा में डूबा दिखाई देता है।

कैसी रहती है बाबा की दिनचर्या

बाबा की दिनचर्या हर दिन मौनव्रत के गुजराती है। बताया जाता है कि बाबा दिनभर गहन ध्यान में रहते हैं। वे 24 घंटों में केवल एक बार अपनी आंखें खोलते हैं। बाकी समय वे गहन ध्यान में लीन रहते हैं। प्रायः मध्यरात्रि के आसपास वे कुछ फल और दूध ग्रहण करते हैं तथा संकेतों के माध्यम से श्रद्धालुओं से बात करते हैं। यह काफी आश्चर्य की बात है कि किसी मनुष्य का कठोर मौसम में बिना छाया या आश्रय के रहना, उनके पूर्ण समर्पण को दर्शाता है।

कैसे पहुंचे

कोसमनारा गांव में स्थित यह आश्रम अब एक विस्तृत धार्मिक स्थल में बदल चुका है। यहां मंदिरों का निर्माण हुआ है जिसमें हाल ही में उद्घाटित माता कर्मा-कृष्ण मंदिर प्रमुख है। यह रायगढ़ शहर से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर है। राजधानी रायपुर से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी तय कर पहुंचा जा सकता है।

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