Ramsar Sthal kya hota hai: इन आर्द्रभूमियों में होता है अनोखे और विभिन्न जीवों का संरक्षण, जानिए रामसर स्थल के बारे पूरी जानकारी
Ramsar Sthal kya hota hai: पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से रामसर स्थलों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। रामसर स्थल एक आर्द्र भूमि होती है जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विशेष दर्जा प्राप्त है।

Ramsar Sthal kya hota hai: पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से रामसर स्थलों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। रामसर स्थल एक आर्द्र भूमि होती है जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विशेष दर्जा प्राप्त है। इन जगहों की पहचान और संरक्षण एक वैश्विक समझौते के तहत होता है जिसे रामसर कन्वेंशन कहते हैं। इस संधि पर 2 फरवरी 1971 में ईरान के एक शहर रामसर में दुनिया भर के कई देशों ने हस्ताक्षर किए थे और तभी से इसे रामसर कन्वेंशन के नाम से जाना जाता है।
भारत भी है इसमें शामिल
सन् 1982 से भारत भी इस महत्वपूर्ण पर्यावरणीय समझौते में शामिल है। हमारे देश में 93 रामसर स्थल थे, परंतु बिहार के कटिहार ज़िले की गोगाबील झील को रामसर साइट घोषित किया गया है, जिससे अब भारत में कुल 94 रामसर साइट्स हो गई हैं। हाल ही में बक्सर जिले की गोकुल जलाशय और पश्चिम चंपारण जिले की उदयपुर झील को भी शामिल किया गया था। अब बिहार में कुल 6 रामसर साइट्स हैं।भारत की पहली रामसर साइट चिल्का झील (ओडिशा) और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान) को बनाया गया था। सबसे अधिक साइट्स वाला राज्य तमिलनाडु (20 साइट्स) है। पूरे विश्व में रामसर स्थलों की संख्या में भारत तीसरे स्थान पर हैं, सिर्फ यूनाइटेड किंगडम और मेक्सिको ही हमारे आगे हैं।
आर्द्रभूमि (Wetlands) क्या होती है?
हमारे आसपास ऐसे कई इलाके हैं जहां पानी जमा रहता है या बहता रहता है। रामसर कन्वेंशन के मुताबिक ऐसी कोई भी जगह चाहे वह कृत्रिम हो या प्राकृतिक, यदि वहां पानी या दलदल हो, तो उसे आर्द्रभूमि की श्रेणी में रखा जा सकता है। यहां तक कि समुद्र के वे हिस्से भी जहां कम ज्वार पर पानी की गहराई 6 मीटर से कम हो, उन्हें भी आर्द्रभूमि माना जाता है।
पृथ्वी पर पाई जाने वाली करीब 40 प्रतिशत प्रजातियां इन्हीं आर्द्रभूमियों में रहती हैं या अपना प्रजनन करती हैं। ये जगहें पक्षियों के लिए तो खासतौर पर महत्वपूर्ण हैं खासकर उन प्रवासी पक्षियों के लिए जो हजारों किलोमीटर का सफर तय करके इन जगहों पर आते हैं। मछलियों की कई प्रजातियों के लिए ये स्थान प्रजनन का केंद्र होते हैं।
प्रमुख आर्द्रभूमि और उनकी विशेषता
भारत के रामसर स्थलों में कुछ ऐसे स्थान हैं जो अपनी खास विशेषताओं के कारण अलग पहचान रखते हैं। पश्चिम बंगाल की सुंदरबन आर्द्रभूमि हमारे देश का सबसे विशाल रामसर स्थल है जो 4230 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव क्षेत्र है और रॉयल बंगाल टाइगर का प्राकृतिक आवास है। सबसे छोटे रामसर स्थल के रूप में हिमाचल प्रदेश की रेणुका झील का नाम लिया जाता है जो केवल 0.2 वर्ग किलोमीटर में फैली है लेकिन इसका महत्व इसके आकार से कहीं ज्यादा है। लद्दाख में स्थित त्सो मोरीरी झील विश्व की सबसे ऊंची रामसर साइट है।
रामसर स्थल बनाने के मानदंड
- पहले यह देखा जाता है कि वह आर्द्रभूमि अपने इलाके में किसी खास प्रकार की प्राकृतिक जैव विविधता का संरक्षण करती है या नहीं।
- उन जगहों को महत्व दिया जाता है जहां लुप्त होने के कगार पर या गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजातियां पाई जाती हैं।
- यह देखा जाता है कि वह स्थान कितनी प्रजातियों को आश्रय देता है।
- अगर कोई जगह नियमित रूप से 20 हजार से ज्यादा प्रजातियों को आश्रय देती है या किसी एक प्रजाति की वैश्विक आबादी का 1 प्रतिशत हिस्सा वहां पाया जाता है तो वह इस मानदंड को पूरा करती है।
- यह मछलियों से भी जुड़ा है जो देखता है कि वह स्थान मछलियों की विविधता और उनके प्रजनन के लिए कितना महत्वपूर्ण है।
