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Rajshree Pan Masala Ki Kahani: राजश्री पान मसाला की कहानी, जानिए कौन है इसका मालिक और कैसे बनी यह अरबों की कंपनी

Rajshree Pan Masala Ki Kahani: आपने घर के आस पास किसी दीवार पर या कोई पान ठेले के किनारे लाल रंग के छींटे देखे है? यदि हां! तो आपको पता चल ही गया होगा कि ये लाल रंग कुछ और नहीं बल्कि राजश्री गुटके का कमाल है, आज राजश्री गुटके का मार्केट कई हजार करोड़ का हो चुका है। आईए जानते हैं राजश्री पान मसाला के इतने बड़े ब्रांड बनने का राज़।

Rajshree Pan Masala Ki Kahani: राजश्री पान मसाला की कहानी, जानिए कौन है इसका मालिक और कैसे बनी यह अरबों की कंपनी
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By Chirag Sahu

Rajshree Pan Masala Ki Kahani: क्या आपने घर के आस पास किसी दीवार पर या कोई पान ठेले के किनारे लाल रंग के छींटे देखे है? यदि हां! तो आपको पता चल ही गया होगा कि ये लाल रंग कुछ और नहीं बल्कि राजश्री गुटके का कमाल है, जिसे लोग ऐसे खाकर थूकते है जैसे वह उनकी प्राईवेट प्रापर्टी है। इसका दाग इतना गहरा होता है कि कई बार तेजाब डालने से भी नहीं निकलता। एक आंकड़े बताते है कि भारत के लगभग 30 करोड़ से भी अधिक लोग इसका सेवन करते है। आज राजश्री गुटके का मार्केट कई हजार करोड़ का हो चुका है। आईए जानते हैं राजश्री पान मसाला के इतने बड़े ब्रांड बनने का राज़।

कौन है राजश्री पान मसाला के मालिक

गुटका प्रेमियों की पहली पसंद राजश्री एक छोटे ठेले से शुरू हुई थी। राजश्री गुटका को एक छोटे ठेले से उठाकर इतनी बड़ी कंपनी बनाने में दो भाइयों का बहुत बड़ा योगदान है कमल कांत चौरसिया और कमल किशोर चौरसिया। ये दोनों उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले हैं। यह दोनों भाई कमलकांत एंड कंपनी LLP और KP ग्रुप के संस्थापक हैं। राजश्री के साथ-साथ एक फेमस पान मसाला ’कमला पसंद’ भी इन्हीं का है। इनकी शुरुआत एक साधारण पानठेले वाले की तरह ही हुई थी।

1985 के आसपास ये दोनों भाई अपने घर में ही हाथों से पान मसाला तैयार करते थे और कानपुर में ही गुमटी लगाकर बेचा करते थे। धीरे-धीरे लोगों ने इनके पान मसाले को काफी पसंद किया और इनका व्यापार बढ़ता गया। सन 2000 के बाद दोनों भाइयों की मेहनत रंग लाई और इन्होंने राजश्री गुटका ब्रांड लॉन्च किया। इस पान मसाले की क्वालिटी और पैकेजिंग ने लोगों को अपना इस कदर दीवाना बना दिया कि लोग इसको खाने के लिए आज भी मजबूर है।

KP ग्रुप की हुई स्थापना

राजश्री का व्यापार काफी सफल होने के बाद कमल किशोर चौरसिया ने केपी ग्रुप की स्थापना की और यह ग्रुप आज के कई मशहूर ब्रांड का मालिक है। गांवों में आज भी फेमस केपी सुरती और मधुबन इसी ग्रुप का हिस्सा है। इस कंपनी का मुख्यालय कानपुर में है। इसके अलावा भी इस कंपनी का रीयल एस्टेट और आयरन उद्योग में भी अच्छा खासा निवेश है आज KP ग्रुप 46,000 हजार करोड़ की एक विशाल कंपनी बन गई है।

भारत का पानमसाला सिटी: कानपुर (Pan Masala City)

वर्तमान में जितने भी पान मसाले के बड़े-बड़े ब्रांड्स जैसे राजश्री, पान पराग, कमला पसंद यह सभी कानपुर से ही शुरु हुए है। वर्ष 1973 में कानपुर के मशहूर व्यापारी मनसुखभाई कोठारी ने पान पराग की शुरुआत की थी। उत्तर प्रदेश के केवल कानपुर में ही रोजाना 50 करोड़ से भी अधिक की सुपारी केवल पान मसाला बनाने में इस्तेमाल होती है।

पान मसाला खाने के नुकसान

अक्सर लोग राजश्री पानमसाला खाते तो है पर उसके साथ ही एक छोटी सी पैकेट में तंबाकू भी दी जाती है, जिसे राजश्री में मिलकर सेवन किया जाता है, ताकि थोड़ा नशा बना रहे। इसके साथ ही राजश्री में सुपारी के साथ कई कैमिकल भी मिलाए जाते हैं, जिससे मुंह के अंदर छोटे-छोटे सफेद धब्बे दिखने लगते हैं और अगर इस स्थिति में भी आप राजश्री का सेवन करते हैं तो आपको ओरल कैंसर होने की संभावना काफी ज्यादा बढ़ जाती है।

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