Raipur Kankali Mata Mandir: साल में एक दिन ही खुलता है ये मंदिर, यहां तालाब में नहाने से दूर होते हैं सारे चर्म रोग, जानिए कंकाली मंदिर का रहस्य
Raipur Kankali Mata Mandir: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक ऐसा मंदिर स्थित है जो शमशान घाट के ऊपर बना है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर 750 साल पुराना है, जिसे स्थानीय लोग कंकाली माता मंदिर के नाम से जानते हैं।

Raipur Kankali Mata Mandir: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक ऐसा मंदिर स्थित है जो शमशान घाट के ऊपर बना है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर 750 साल पुराना है, जिसे स्थानीय लोग कंकाली माता मंदिर के नाम से जानते हैं। यह मंदिर माँ काली के तांत्रिक रूप को समर्पित एक प्राचीन शक्तिपीठ है। कंकाली तालाब के किनारे स्थित यह मंदिर रायपुर के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परिदृश्य का एक अभिन्न हिस्सा है। नवरात्रि के समय भक्तों की बड़ी भीड़ यहां उमड़ती है।
मंदिर का निर्माण
कंकाली माता मंदिर का इतिहास लगभग 750 वर्ष पुराना माना जाता है, जो इसे रायपुर के सबसे प्राचीन धार्मिक स्थलों में से एक बनाता है। 17वीं शताब्दी में इस मंदिर को इसका वर्तमान भव्य स्वरूप प्राप्त हुआ। कथाओं के अनुसार, मंदिर के प्रथम महंत कृपाल गिरी को माता ने स्वप्न में दर्शन दिए और कंकाली तालाब के बीच डूबी हुई माँ दुर्गा की अष्टभुजी प्रतिमा को स्थापित करने का आदेश दिया। इस प्रतिमा के नीचे एक प्राचीन शिवलिंग भी पाया गया है, जो तालाब के जल में डूबा रहता है। मंदिर का तांत्रिक महत्व इसे और भी विशेष बनाता है, क्योंकि यहाँ नागा साधुओं की साधना और तंत्र-मंत्र की प्राचीन परंपराएँ आज भी जीवित हैं।
किवदंतियों के अनुसार महंत कृपाल गिरी को माता ने प्रतिमा स्थापित होने के बाद एक बालिका के रूप में दर्शन दिए परंतु महंत ने उन्हें पहचान नहीं और उनका उपवास कर दिया इसके कुछ समय बाद बालिका अंतर ध्यान हो गई, फिर महंत जी को समझ आया कि स्वयं माता ने दर्शन दिए हैं और वह उन्हें पहचान नहीं पाए तो इस दुख में उन्होंने यहीं पर समाधि ले ली जिनका समाधि स्थल मंदिर के पास ही स्थित है।
मंदिर से जुड़ी प्राचीन मान्यताएं
मंदिर काफी रहस्यों से भरा हुआ है। ऐसा माना जाता है की माता की मूर्ति के पास में ही काफी मात्रा में अस्त्र-शस्त्र प्राप्त हुए थे जिसे यहां एक मंदिर में रखा गया है। यहां स्थित अस्त्र शस्त्रों का दर्शन भक्तों को केवल दशहरे के दिन ही होता है फिर यह पूरे 1 साल के लिए बंद कर दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री राम ने माता कंकाली की पूजा की थी और माता ने भगवान श्री राम को रावण के वध के लिए अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए थे इसलिए यह अस्त्र शस्त्र का मंदिर केवल एक दिन के लिए ही खुलता है। इस मंदिर में नागा साधुओं के प्राचीन अस्त्र-शस्त्र और कमंडल रखे हुए हैं।
जानिए कंकाली तालाब का रहस्य
यह तालाब काफी अनोखा है, इस तालाब पर गर्मी के मौसम का कोई असर नहीं होता। जहां गर्मी में सभी तालाब में सूखने लगते हैं वहां यह तालाब पूरी तरह से लबालब भरा रहता है। यही कारण है कि तालाब के बीच में स्थित प्राचीन शिव मंदिर आज तक लोगों को दिखाई नहीं दिया है केवल इसके गुंबद ही दिखाई देते हैं। कंकाली तालाब के नाम के पीछे भी एक कहानी छिपी हुई है खुदाई के वक्त यहां कई नर कंकाल पाए गए थे जिसकी वजह से कंकाली तालाब नाम दिया गया। इस तालाब की एक और खास बात है कि यहां नहाने से किसी प्रकार के चर्म रोग और भूत-प्रेत की समस्या दूर होती है। प्राचीन काल में यह स्थान एक श्मशान के रूप में जाना जाता था, जहां दाह संस्कार के बाद हड्डियां तालाब में प्रवाहित की जाती थीं।
तालाब के बीच स्थित प्राचीन शिव मंदिर
यह प्राचीन शिव मंदिर लोगों के लिए आज भी रहस्य का विषय बना हुआ है। लोग आज भी इंतजार कर रहे हैं इस मंदिर के दर्शन का। ऐसा माना जाता है कि आज जिस जगह पर यह मंदिर स्थित है यह पहले जंगल हुआ करता था जहां नागा साधु अपने तंत्र-मंत्र की विद्या सिद्ध किया करते थे। नागा साधुओं ने ही यहां माता कंकाली की उपासना की थी और भगवान शिव कोई स्थापित किया था और जहां भगवान शिव की स्थापना हुई थी वहां से जल प्रवाह होना शुरू हो गया था जिस वजह से यह 20 फीट ऊंचा शिव मंदिर आज भी पानी में डूबा रहता है और केवल इसका गुंबद ही लोगों को दिखाई देता है। अभी तक केवल तालाब को चार बार ही साफ करने के लिए खाली किया गया है केवल इसी समय ही लोगों को भगवान शिव के दर्शन हुए हैं। तब से अब तक लोग केवल इंतजार ही कर रहे हैं। यह मंदिर रायपुर रेलवे स्टेशन से महज 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
