Mithaiyon me Chandi ka work kyu lgaya jata hai: मिठाइयों में चांदी की परत क्यों लगाई जाती है? जानिए इसके पीछे का इतिहास..
Mithaiyon me Chandi ka work kyo lgaya jata hai: भारतीय संस्कृति में खुशियों के मौके पर मिठाइयां बांटना बहुत आम बात है और घर पर जब कोई मेहमान आता है तो उसे खाने के बाद मिठाई जरूर खिलाई जाती है। चलिए आज आपको बताते हैं मिठाईयों में चांदी का वर्क करने के पीछे का रहस्य.

Mithaiyon me Chandi ka work kyo lgaya jata hai: भारतीय संस्कृति में खुशियों के मौके पर मिठाइयां बांटना बहुत आम बात है और घर पर जब कोई मेहमान आता है तो उसे खाने के बाद मिठाई जरूर खिलाई जाती है। सभी लोगों ने कभी ना कभी मिठाई तो खाई ही होगी, पर आपने कई ऐसी भी मिठाई टेस्ट किया होगा जिस पर चांदी का वर्क लगा होता है, जो मिठाई की सुंदरता को चार चांद लगा देता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि चांदी का वर्क मिठाई पर आखिर क्यों लगाया गया है, क्या इसका सिर्फ मिठाई की सुंदरता से ही रिलेशन है या फिर कुछ और। इस लेख में हम चांदी के वर्क को बनाने और उसके फायदे के बारे में जानेंगे।
मिठाइयों में चांदी के वर्क का प्रचलन (The prevalence of silver work in sweets)
चांदी के वर्क को मिठाइयों पर लगाने की प्रथा सदियों पुरानी मानी जाती है। कुछ लोग मानते हैं कि यह मुगल काल से चली आ रही है जहां राजा महाराजाओं के लिए काफी सुसज्जित भोजन तैयार किया जाता था। पुराने समय में मिठाइयों पर चांदी का वर्क लगाना बड़े सम्मान की बात हुआ करती थी, उस समय सभी लोगों तक इसकी पहुंच बहुत कम थी। धीरे धीरे लोग इसके बारे में जानने लगे और इसका चलन बढ़ता गया।
मिठाइयों पर चांदी का वर्क क्यों लगाया जाता है (Why is silver work applied on sweets?)
आपको अब तक लगता रहा होगा कि यह चांदी का वर्क केवल मिठाइयों की सुंदरता बढ़ाने के लिए है और जिसे लगा देने के बाद मिठाइयों के रेट भी बढ़ जाते हैं तो इसके पीछे कई साइंटिफिक रीजन छिपे हुए हैं। चांदी एक ऐसी धातु है जिसमें प्राकृतिक रूप से बैक्टीरिया और सूक्ष्म जीवों को मारने की क्षमता होती है। जब भी कोई बैक्टीरिया चांदी के संपर्क में आता है तो वह नष्ट हो जाता है।
खासकर गर्मियों के मौसम में मिठाइयां अक्सर जल्दी खराब हो जाया करती है और साथ ही इनमें फफूंद लगने का भी डर बना रहता है। चांदी के वर्क में मौजूद एंटीमाइक्रोबायल तत्व मिठाइयों को सुरक्षित रखता है। कई भारतीय आयुर्वेद शास्त्र में चांदी को खाने के कई फायदे बताए गए हैं यह हमारे शरीर में पित्त दोषों का निवारण करता है और संतुलन बनाए रखता है।
चांदी के वर्क को बनाने की प्रक्रिया (Process of making silver work)
पुराने समय में इसे बनाना काफी जटिल और मेहनत भरा काम हुआ करता था। इसके एक छोटे टुकडे को भी तैयार करने के लिए कई घंटों की मेहनत लग जाती थी। इस पक्रिया की शुरुआत के लिए सबसे पहले एक शुद्ध चांदी के छोटे टुकडे लिए जाते थे फिर इन टुकड़ों को खास परतो (जानवरों के आंत) के बीच रखा जाता था और भारी हथौड़ों से लगातार पांच से छः घंटो तक पीट पीटकर इसे इतना पतला बनाया जाता था कि एक फूंक में भी उड़ जाया करती थी।
वर्तमान समय में इस चांदी के वर्क को बनाने में जानवरों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है। अभी के समय में मोटी बुकलेट के पन्नों का इस्तेमाल किया जाता है। पन्नों के बीच चांदी के टुकडे को रखकर पिटते हुए पतला कर लिया जाता है। साथ ही ऐसी मशीनों का भी आविष्कार किया जा चुका है जो इसे बिना मेहनत के आसानी से बना देती है। हालाकि प्राचीन तरीकों से बनाने पर इसमें गुणवत्ता अधिक मात्रा में प्राप्त होती थी।
कुछ सावधानियो का रखे ध्यान (some precautions, while using silver work)
- कई जगहों पर चांदी की जगह एल्युमिनियम का वर्क लगा दिया जाता है। यह देखने में बिल्कुल चांदी की तरह ही लगता है। फॉइल को छूने पर यदि आपके हाथों में न चिपके तो समझ जाइए की यह असली नहीं है।
- अधिक मात्रा में चांदी के वर्क वाली मिठाई का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे पेट दर्द और फेफड़ों की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
- गर्भवती महिलाओं और बच्चों को इस तरह की मिठाइयां चिकित्सकीय सलाह के बाद लेनी चाहिए।
- असली सिल्वर फॉइल (silver foil) जलने पर गोल आकार में सिकुड़ जाता है परंतु यदि यह जलने के बाद काले/भूरे राख में बदल जाए तो समझ जाइए कि यह नकली है।
