Marhi Mata Mandir: छत्तीसगढ़ की इस जगह में धीमी हो जाती है ट्रेन की गति, जानिए क्या है मरही माता मंदिर का रहस्य
Marhi Mata Mandir: छत्तीसगढ़ के गौरेला–पेंड्रा–मरवाही जिले का भनवारटंक रेलवे स्टेशन के पास स्थित मरही माता का मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि इतिहास और आस्था का अद्भुत संगम है। आइए जानते हैं यहां का रहस्य..

Marhi Mata Mandir: छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में आज भी कई ऐसे रहस्य छिपे हुए हैं जो समय-समय पर लोगों को आश्चर्य में डाल देते हैं। यहां स्थित कई ऐसे धार्मिक स्थल अपनी प्राकृतिक सुंदरता और भौगोलिक स्थिति के कारण लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध है। गौरेला–पेंड्रा–मरवाही जिले का भनवारटंक रेलवे स्टेशन भी ऐसी ही एक जगह है जहां स्थित मरही माता का मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि इतिहास और आस्था का अद्भुत संगम है। यह मंदिर अचानकमार अमरकंटक बायोस्फीयर रिजर्व के मैकाल पर्वत श्रृंखला में बसा है।
मंदिर की स्थापना
मरही माता मंदिर की स्थापना के पीछे एक दर्दनाक घटना जुड़ी हुई है। सन 1984 में यहां एक भीषण रेल दुर्घटना हुई थी जिसमें इंदौर से बिलासपुर जा रही नर्मदा एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी आपस में टकरा गई थी। उस हादसे में बहुत सारे लोगों की जान चली गई और यह इलाका शोक में डूब गया था। दुर्घटना की जांच करते हुए अधिकारियों को दुर्घटना स्थल के पास में ही एक पेड़ पर चुनरी बंधी हुई दिखाई दी फिर अधिकारियों ने स्थानीय आदिवासियों से बात किया और उन्हें पता चला कि ये आदिवासियों की कुलदेवी है, उस दुर्घटना के बाद रेलवे के कर्मचारियों और वन विभाग के लोगों ने मिलकर यहां माता की मूर्ति स्थापित करने का फैसला लिया। आज भी अगर आप ध्यान से देखें तो रेलवे ट्रैक के आसपास उस मालगाड़ी के कुछ पुराने हिस्से बिखरे पड़े मिल जाएंगे।
कुछ स्थानीय लोगों की मानें तो मरही माता की पूजा यहां बहुत पहले से होती आ रही है। पहले माता का चौरा था जहां नीम के पेड़ के नीचे मूर्ति विराजमान थी। अंग्रेजों के जमाने में जब यहां रेलवे लाइन बिछाई गई तो रेलवे कर्मचारी इस जगह को बहुत पवित्र मानने लगे। उनका विश्वास था कि मरही माता उनकी रक्षा करती हैं। धीरे-धीरे यह जगह एक धार्मिक केंद्र बन गई और आज यहां दूर-दूर से लोग माता के दर्शन करने आते हैं। इस रास्ते से गुजरने वाली सभी रेल गाड़ियां धीमी हो जाती हैं जिससे मंदिर के दर्शन आसानी से हो जाते हैं।
मंदिर की संरचना
मंदिर की संरचना काफी खुबसूरत है। रेलवे ट्रैक से बिल्कुल सटा हुआ यह मंदिर पहली नजर में छोटा लग सकता है, लेकिन जब आप अंदर कदम रखते हैं तो एक शांति महसूस होती है। मुख्य मंदिर में मरही माता की मूर्ति विराजमान है जिसे लाल चुनरी और फूलों से सजाया जाता है। मंदिर के परिसर में चारों तरफ नारियल चूड़ियां और रक्षासूत्र बंधे हुए देखे जा सकते हैं। मुख्य मंदिर के अलावा परिसर में भैरव बाबा का स्थान है, एक शिवलिंग स्थापित है और हनुमान जी की छोटी सी मूर्ति भी है। इस मंदिर में रात को कोई नहीं रहता क्योंकि जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है।
मंदिर में नारियल का विशेष महत्व है। यहां आने वाले लगभग सभी श्रद्धालु लाल कपड़े में बंधा हुआ नारियल लाते हैं। पूरा मंदिर इन नारियलों से भरा रहता है। कुछ लोग तो सैकड़ों नारियल एक साथ चढ़ा देते हैं जब उनकी कोई बड़ी मन्नत पूरी होती है। यह दृश्य बहुत ही अनोखा लगता है। चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के दौरान मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है। बिलासपुर से भनवारटंक की दूरी तकरीबन 90 किलोमीटर के आसपास है।
