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Maa Ganga Maiya Mandir Balod: अंग्रेजों से जुड़ी है इस मंदिर की कहानी, मछुआरे के जाल में फंसी थी माता की मूर्ति, जानिए मां गंगा मइया मंदिर का इतिहास

Maa Ganga Maiya Mandir Balod: मां गंगा मैया मंदिर छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में स्थित एक आध्यात्मिक केंद्र है। यहां देश-विदेश से भक्तों का तांता लगा रहता है।

Maa Ganga Maiya Mandir Balod: अंग्रेजों से जुड़ी है इस मंदिर की कहानी, मछुआरे के जाल में फंसी थी माता की मूर्ति, जानिए मां गंगा मइया मंदिर का इतिहास
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By Chirag Sahu

Maa Ganga Maiya Mandir Balod: मां गंगा मैया मंदिर छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में स्थित एक आध्यात्मिक केंद्र है। यहां देश-विदेश से भक्तों का तांता लगा रहता है। तांदुला नदी के तट पर स्थित यह मंदिर मां गंगा को समर्पित है। यह मंदिर छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस लेख में हम जानेंगे कि इस मंदिर में क्या है ऐसा खास।

मां गंगा मइया मंदिर का इतिहास

मां गंगा मइया मंदिर का इतिहास लगभग 135 वर्ष पुराना है, जो ब्रिटिश शासन काल से जुड़ा है। यह मंदिर छत्तीसगढ़ का एकमात्र प्रमुख मंदिर है, जो मां गंगा को समर्पित है। किंवदंती के अनुसार, 19वीं सदी के अंत में तांदुला नदी पर नहर निर्माण के दौरान अंग्रेजों द्वारा तालाब की खुदाई की जा रही थी। इस दौरान एक मछुआरे के जाल में मछलियों के साथ एक काले पत्थर की मूर्ति फंस गई। कई प्रयासों के बावजूद मूर्ति को पानी से बाहर नहीं निकाला जा सका।

उसी रात एक स्थानीय गोंड़ बैगा को स्वप्न में मां गंगा ने दर्शन दिए और कहा कि वह जल में विराजमान हैं और उनकी मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा कर मंदिर बनाया जाए। अंग्रेजों ने मूर्ति को हटाने की कोशिश की, लेकिन हर बार चमत्कारिक रूप से असफल रहे। अंततः, स्थानीय मालगुजार ने मूर्ति की स्थापना कर मंदिर निर्माण की नींव रखी।

मंदिर की संरचना

मां गंगा मइया मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक हिंदू शैली को दर्शाती है। मंदिर परिसर में एक भव्य घंटाघर, मंडप और परकोटा शामिल हैं। मुख्य गर्भगृह में मां गंगा की प्राचीन काले पत्थर की मूर्ति स्थापित है, जो बांधा तालाब से प्राप्त हुई थी। मंदिर के आसपास एक बगीचा है, जो इसे प्राकृतिक सुंदरता प्रदान करता है।

मंदिर का धार्मिक महत्व और मान्यताएं

मां गंगा मइया मंदिर को एक शक्तिपीठ के रूप में माना जाता है, जहां मां गंगा जल रूप में विराजमान हैं। भक्तों का विश्वास है कि यहां ज्योति कलश जलाने से संतान प्राप्ति और समृद्धि की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मंदिर का तांदुला नदी से जुड़ाव इसे गंगा नदी के प्रतीक के रूप में भी स्थापित करता है।

मां गंगा मइया मंदिर में साल भर भक्तों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन नवरात्रि का उत्सव यहां का सबसे बड़ा आकर्षण है। चैत्र नवरात्रि (मार्च-अप्रैल) और शारदीय नवरात्रि (सितंबर-अक्टूबर) के दौरान मंदिर में भव्य आयोजन होते हैं।मंदिर के आसपास सियादेवी मंदिर और राकसगंगा जलप्रपात जैसे अन्य पर्यटन स्थल भी हैं, जिन्हें यात्रा में शामिल किया जा सकता है।

कैसे पहुंचे मंदिर

मां गंगा मइया मंदिर बालोद जिले के झलमला गांव में स्थित है, जो बालोद शहर से केवल 5 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मंदिर बालोद-दुर्ग राष्ट्रीय राजमार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है और तांदुला नदी के किनारे होने के कारण प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। निकटतम रेलवे स्टेशन बालोद और दुर्ग जंक्शन हैं, जबकि रायपुर का स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा लगभग 125 किलोमीटर दूर है।

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