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Kinnar Bachhe kaise paida hote h: किन्नर बच्चे कैसे पैदा होते है? जानिए इनके लिंग निर्धारण के पीछे की साइंस

Kinnar Bachhe kaise paida hote h: जब कोई महिला गर्भावस्था के शुरुआती तीसरे महीने में होती है तो इसी समय ही बच्चे का लिंग निर्धारण और विकसित होना शुरू हो जाता है। शुरुआत में सभी भ्रूणों के जननांग एक जैसे होते हैं। फिर हार्मोन की कमी या अधिकता के आधार पर ये पुरुष या महिला जननांगों में विकसित होते हैं।

Kinnar Bachhe kaise paida hote h: किन्नर बच्चे कैसे पैदा होते है? जानिए इनके लिंग निर्धारण के पीछे की साइंस
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By Chirag Sahu

Kinnar Bachhe kaise paida hote h: जब कोई महिला गर्भावस्था के शुरुआती तीसरे महीने में होती है तो इसी समय ही बच्चे का लिंग निर्धारण और विकसित होना शुरू हो जाता है। शुरुआत में सभी भ्रूणों के जननांग एक जैसे होते हैं। फिर हार्मोन की कमी या अधिकता के आधार पर ये पुरुष या महिला जननांगों में विकसित होते हैं।

टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की वजह से पुरुषों में पेनिस और वृषण विकसित होते हैं। यदि महिलाओं में यह हार्मोन कम है या बिल्कुल नहीं है तो क्लिटोरिस और वजाइना विकसित हो जाते हैं। अब जब इस प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी आती है तो जननांग न तो पूरी तरह पुरुष होते हैं न महिला, जिन्हें ट्रांसजेंडर कहा जाता है। ये विकार क्रोमोसोम की संख्या में कमी या अधिकता की वजह से आता है और बच्चा ट्रांसजेंडर पैदा होता है।

क्रोमोसोम: जेंडर निर्धारण में आवश्यक

हमारे शरीर की हर कोशिका में क्रोमोसोम मौजूद होते हैं जो हमारी आनुवंशिक जानकारी को संग्रहित करते हैं। आमतौर पर महिलाओं में दो x क्रोमोसोम होते हैं जिन्हें XX लिखा जाता है। पुरुषों में एक x और एक y क्रोमोसोम होता है जिसे XY लिखते हैं। जब गर्भधारण होता है तो मां का अंडा हमेशा x क्रोमोसोम देता है। अब यदि पिता का शुक्राणु x क्रोमोसोम लेकर आता है तो बच्ची (female) होगी और यदि y क्रोमोसोम आता है तो बच्चा (Male) पैदा होगा।

यह प्रक्रिया सुनने में बहुत सरल लगती है लेकिन प्रकृति में कभी-कभी इस व्यवस्था में कुछ बदलाव आ जाते हैं। ये बदलाव क्रोमोसोमल विकार कहलाते हैं। जब ऐसा होता है तो बच्चे का शारीरिक विकास सामान्य से अलग हो सकता है। इन्हीं विकारों की वजह से शरीर में जैविक बदलाव आ जाते है।कुछ विकार इस तरह से है–

1. टर्नर सिंड्रोम

टर्नर सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जो केवल लड़कियों में होती है। इसमें बच्ची के पास दो x क्रोमोसोम की जगह सिर्फ एक x क्रोमोसोम होता है। इसे चिकित्सा भाषा में 45,X लिखते हैं। जब ऐसा होता है तो लड़की का शारीरिक विकास प्रभावित होता है। इन लड़कियों में कई बार बाहरी जननांग पुरुषों जैसे विकसित हो सकते हैं। उनमें स्तन का विकास नहीं होता और वे संतान उत्पन्न करने में असमर्थ रहती हैं।

2. क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम

क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम पुरुषों में होने वाली एक स्थिति है। इसमें लड़के के पास सामान्य XY की जगह एक अतिरिक्त x क्रोमोसोम होता है यानी XXY। जब किसी लड़के में यह सिंड्रोम होता है तो उसके वृषण छोटे रहते हैं और शरीर में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का उत्पादन कम होता है। टेस्टोस्टेरोन की कमी का मतलब है कि इन लड़कों में कई बार महिलाओं जैसी शारीरिक विशेषताएं विकसित होने लगती हैं। उनकी आवाज भारी नहीं होती, दाढ़ी मूंछ कम आती है, और कभी-कभी स्तन भी विकसित हो सकते हैं।

3. इंटरसेक्स की स्थितियां

इंटरसेक्स कई अलग-अलग स्थितियों का समूह है। इनमें से एक है 46,XX इंटरसेक्स जिसमें बच्ची के पास महिला क्रोमोसोम और आंतरिक अंग तो महिला जैसे होते हैं लेकिन बाहरी जननांग पुरुष जैसे दिखाई देते हैं। यह मुख्य रूप से गर्भावस्था के दौरान बच्ची के शरीर में अतिरिक्त पुरुष हार्मोन के संपर्क में आने से होता है। दूसरी स्थिति है 46,XY इंटरसेक्स जिसमें बच्चे के पास पुरुष क्रोमोसोम होते हैं लेकिन बाहरी जननांग या तो अस्पष्ट होते हैं या पूरी तरह महिला जैसे दिखते हैं। यह तब होता है जब गर्भ में बच्चे के शरीर में टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन नहीं होता।

FAQ:

प्रश्न: किन्नरों के प्राइवेट पार्ट्स कैसे होते हैं?

उत्तर: किन्नर जैविक रूप से पुरुष या स्त्री दोनों हो सकते हैं। जननांगों की बात करें तो पेनिस और वजाइना दोनों के साथ जन्म लेना संभव है।

प्रश्न: इंटरसेक्स क्या होता है?

उत्तर: जब शिशु के प्राइवेट पार्ट्स स्पष्ट रूप से पुरुष या स्त्री जैसे नहीं दिखते, तो इसे इंटरसेक्स कहते हैं। इसे समझने में थोड़ी मुश्किल होती है।

प्रश्न: इंटरसेक्स में अंदरूनी भाग कैसे होते हैं?

उत्तर: इस कंडीशन में ओवरी और टेस्टिस दोनों मौजूद हो सकते हैं या दोनों में से कोई भी नहीं हो सकता।

प्रश्न: इंटरसेक्स का वैज्ञानिक नाम क्या है?

उत्तर: इस कंडीशन को pseudo-hermaphrodites कहा जाता है।

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