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Kilkila Shiv Mandir: छत्तीसगढ़ के इस मंदिर की हरिद्वार से की जाती है तुलना, जानिए किलकिलेश्वर महादेव धाम के बारे में...

Kilkila Shiv Mandir: छत्तीसगढ़ में ऐसा शिव मंदिर हैं जिसकी तुलना हरिद्वार से की जाती है। आइए जानते हैं किलकिलेश्वर महादेव धाम के बारे में,,,

Kilkila Shiv Mandir: छत्तीसगढ़ के इस मंदिर की हरिद्वार से की जाती है तुलना, जानिए किलकिलेश्वर महादेव धाम के बारे में...
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By Chirag Sahu

Kilkila Shiv Mandir: छत्तीसगढ़ राज्य, आध्यात्म की दृष्टि से काफी समृद्ध है। यहां स्थित प्राचीन मंदिर इसे और भी खास बनाते है। छत्तीसगढ़ में कई अनेक शिव मंदिर है जिनकी अपनी अलग-अलग महिमा है। आज हम ऐसे ही एक शिव मंदिर के बारे में बताने वाले हैं जिसकी तुलना हरिद्वार से की जाती है। छत्तीसगढ़ की यह धार्मिक विरासत - किलकिला शिव मंदिर, जशपुर जिले के पत्थलगांव विकासखंड में स्थित है। यह मंदिर किलकिला गांव में नदी के किनारे बसा है।

मंदिर का विस्तृत वर्णन

इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को किलकिलेश्वर महादेव धाम के नाम से जाना जाता है, यह एक शताब्दी से भी अधिक पुराना है। जिस प्रकार हरिद्वार में गंगा के घाट पर श्रद्धालु स्नान करके पुण्य कमाते हैं उसी प्रकार यहां की किलकिला नदी में स्नान करके भक्त अपने आप को पवित्र मानते हैं। सावन के महीना में कांवड़ियों द्वारा कावड़ में नदी का जल लाकर शिवलिंग में अर्पित किया जाता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां हजारों श्रद्धालु रात भर जागरण करते हुए भोलेनाथ की आराधना में लीन रहते हैं। महाशिवरात्रि में भव्य मेले का भी आयोजन किया जाता है।

यहां स्थित अन्य मंदिर

मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही आपको एक अलग ही सकारात्मक ऊर्जा महसूस होगी। यहां केवल शिव मंदिर ही नहीं बल्कि विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिरों का एक संपूर्ण समूह है। दक्षिण मुखी काली माता का मंदिर अपनी विशेष स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। रथ के आकार में निर्मित जगन्नाथ मंदिर अपनी अनोखी संरचना के कारण सबका ध्यान आकर्षित करता है। गणेश मंदिर, नवग्रह मंदिर में सभी नौ ग्रहों की मूर्तियां और साथ ही हनुमान जी की विशाल मूर्ति भी स्थापित है। मंदिर के पीछे बहती किलकिला नदी इस स्थान की प्राकृतिक सुंदरता को और बढ़ा देती है।

कैसे पहुंचे मंदिर

किलकिला शिव मंदिर तक पहुंचने के लिए NH43 से होकर जाना सही है, क्योंकि यह मंदिर नेशनल हाईवे से लगा हुआ है और 1 किलोमीटर की दूरी पर है। पत्थलगांव से मात्र 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह मंदिर आसानी से सड़क मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है।

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