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Jashpur Madheshwar Shivling: यहां है विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग, नागमणि के रहस्यों से जुड़ी है प्राचीन गुफा, जनिए मधेश्वर शिवलिंग के बारे में

Jashpur Madheshwar Shivling: मधेश्वर शिवलिंग, जो कि छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में स्थित है। मधेश्वर पहाड़ियों में बसा यह विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग है। यह एक विशाल चट्टानी संरचना है जिसे शिवलिंग की तरह पूजा जाता है।

Jashpur Madheshwar Shivling: यहां है विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग, नागमणि के रहस्यों से जुड़ी है प्राचीन गुफा, जनिए मधेश्वर शिवलिंग के बारे में
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By Chirag Sahu

Jashpur Madheshwar Shivling: मधेश्वर शिवलिंग, जो कि छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में स्थित है। मधेश्वर पहाड़ियों में बसा यह विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग है। यह एक विशाल चट्टानी संरचना है जिसे शिवलिंग की तरह पूजा जाता है। यह स्थान अपनी विशालता और रहस्यमयी आकर्षण के कारण 17 नवंबर 2024 में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज हो चुका है, जिसमें इसे विश्व के सबसे बड़े प्राकृतिक शिवलिंग होने का गौरव प्राप्त हुआ है। इस पर्वत पर अनेक औषधियां भी प्राप्त होती है जिसका उपयोग आज भी स्थानीय आदिवासियों द्वारा किया जाता है। आइए इस पवित्र स्थल के बारे में और विस्तार से जाने।

मधेश्वर शिवलिंग की भव्यता

यह शिवलिंग जशपुर के कुनकुरी ब्लॉक के अंतर्गत आने वाली मयाली गांव में स्थित है। यह एक विशाल प्राकृतिक चट्टान है, जिसका आकार भगवान शिव के शिवलिंग की तरह है। इसकी ऊँचाई लगभग 275 मीटर और आधार की परिधि 1183 मीटर है, जो इसे विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग बनाता है। इस चट्टान के आधार पर एक प्राकृतिक जलधारी भी मौजूद है, जो इसे और भी पवित्र बनाती है।

पहाड़ी की चोटी पर एक छोटा सा मंदिर भी है, जहाँ श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं और चारों ओर फैली हरियाली और घाटियों का मनोरम दृश्य देखते हैं। इस शिवलिंग को कैलाश मानसरोवर की यात्रा से भी जोड़ा जाता है। लोग मानते हैं कि अगर कैलाश मानसरोवर की यात्रा न कर पाए तो मधेश्वर शिवलिंग के दर्शन जरूर करें।

मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथाएं

मधेश्वर शिवलिंग का आध्यात्मिक महत्व स्थानीय जनजातियों और आसपास के निवासियों के लिए अत्यंत गहरा है। किंवदंतियों के अनुसार, इस स्थान पर प्राचीन काल से पूजा होती आ रही है, जब स्थानीय जमींदारों और आदिवासियों ने इसे एक पवित्र स्थल के रूप में मान्यता दी थी। ऐसी भी मान्यता है कि इस पर्वत में भगवान शिव तपस्या करते थे तब उनके लिए राजा सिकरिया देवता द्वारा यहां नीचे से जल प्रतिदिन लाया जाता था।

एक दिन सिकरिया देवता द्वारा जल लाने में देरी हुई तो भगवान शिव ने गुस्से में उन्हें ऊपर चढ़ने से मना कर दिया। उसी समय से अभी तक यहां कोई पुजारी टीक नहीं पाया है। केवल जल भरने वाले लोग ही यहां पूजा करते हैं। पहाड़ में एक गुफा भी है जिसमें शिवलिंग स्थापित है। इस गुफा के अंतिम छोर तक किसी के द्वारा अभी तक नहीं पहुंचा गया है। ऐसा माना जाता है कि इस गुफा के अंतिम छोर में नागो और नागमणि से संबंधित रहस्य छिपे हुए हैं।

प्राकृतिक सौंदर्य और आसपास का क्षेत्र

मधेश्वर शिवलिंग घने जंगलों और पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जो इसे प्रकृति प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग बनाता है। इसके सामने एक सुंदर जलाशय है, जो इसकी शोभा को और बढ़ाता है। आसपास के क्षेत्र में रानीदाह जलप्रपात, कैलाश गुफा और बादलखोल वन्यजीव अभयारण्य जैसे आकर्षण हैं, जो इस स्थान को एक समग्र पर्यटन स्थल बनाते हैं। मयाली नेचर कैंप जैसे इको-कैंप भी पर्यटकों के लिए एक शानदार विकल्प हैं। मधेश्वर शिवलिंग जशपुर नगर से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर मयाली गांव में स्थित है।

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