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Itihas ke Famous Guru-Shishya ki jodi: इतिहास के प्रसिद्ध गुरु–शिष्य की जोड़ी, पढ़िए इन महान व्यक्तियों और उनके गुरुओं की कहानियाँ

Itihas ke Famous Guru-Shishya ki jodi: मानव इतिहास में कुछ व्यक्तियों ने अपने असाधारण कार्यों और विचारों से समाज को नई दिशा दी है। इन महान व्यक्तियों के पीछे उनके गुरुओं का मार्गदर्शन और प्रेरणा छिपी है, जिन्होंने उनकी प्रतिभा को निखारा और उन्हें महानता के शिखर तक पहुँचाया। आज हम इस लेख माध्यम से इतिहास में प्रसिद्ध शिष्य और उन्हें बनाने वाले उनके गुरुओं के बारे में जानेंगे।

Itihas ke Famous Guru-Shishya ki jodi: इतिहास के प्रसिद्ध गुरु–शिष्य की जोड़ी, पढ़िए इन महान व्यक्तियों और उनके गुरुओं की कहानियाँ
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By Chirag Sahu

Itihas ke Famous Guru-Shishya ki jodi: मानव इतिहास में कुछ व्यक्तियों ने अपने असाधारण कार्यों और विचारों से समाज को नई दिशा दी है। इन महान व्यक्तियों के पीछे उनके गुरुओं का मार्गदर्शन और प्रेरणा छिपी है, जिन्होंने उनकी प्रतिभा को निखारा और उन्हें महानता के शिखर तक पहुँचाया। आज हम इस लेख माध्यम से इतिहास में प्रसिद्ध शिष्य और उन्हें बनाने वाले उनके गुरुओं के बारे में जानेंगे।

1. चन्द्रगुप्त मौर्य और चाणक्य

मौर्य साम्राज्य के संस्थापक के रूप में चंद्रगुप्त मौर्य का नाम सामने आता है। चंद्रगुप्त मौर्य, चाणक्य के शिष्य थे जिन्हें कौटिल्य के नाम से जाना जाता था। चाणक्य द्वारा लिखी गई अर्थशास्त्र नामक पुस्तक में राजनीति के ऐसे ऐसे पहलू लिखे गए हैं जो आज भी यथार्थ हैं। चाणक्य का असली नाम विष्णु गुप्त था। चंद्रगुप्त मौर्य को चाणक्य की कूटनीति से ही नंद वंश के राजा घनानंद को परास्त करने में मदद मिली।

2. सिकन्दर महान और अरस्तू

विश्व के सबसे बड़े विजेताओं में सिकंदर महान का नाम अवश्य लिया जाता है। सिकंदर के गुरु अरस्तु थे। अरस्तु द्वारा सिकंदर को दर्शन और विज्ञान जैसे विषयों की शिक्षा मिली थी। अरस्तू के मार्गदर्शन ने सिकन्दर को एक दूरदर्शी नेता बनाया, जिसने अपने साम्राज्य को एशिया से यूरोप तक विस्तारित किया।

3. अरस्तू और प्लेटो

अरस्तु एक प्रसिद्ध दर्शन शास्त्री थे। जिन्हें पश्चिमी दर्शन का जनक माना जाता है। अरस्तू के गुरु का नाम प्लेटो था। प्लेटो की अकादमी में अरस्तू ने दर्शन, तर्कशास्त्र, और विज्ञान की गहन शिक्षा प्राप्त की। यह गुरु-शिष्य संबंध पश्चिमी दर्शन के विकास में एक मील का पत्थर साबित हुआ।

4. प्लेटो और सुकरात

प्लेटो का नाम भी दर्शनशास्त्र को व्यवस्थित रूप प्रदान करने के लिए याद किया जाता है। प्लेटो के गुरु का नाम सुकरात था। सुकरात के प्रश्नोत्तर विधि (Socratic Method) ने प्लेटो के चिंतन को गहराई दी। सुकरात की मृत्यु के बाद प्लेटो ने अपने गुरु के विचारों को अपने लेखन में अमर कर दिया।

5. महात्मा गाँधी और गोपाल कृष्ण गोखले

महात्मा गांधी, जिन्हें पूरा देश बापू के नाम से जानता है। इन्होंने अपना राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले को बनाया था। गोखले की सलाह पर ही गाँधी ने भारत लौटकर स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी।

6. गोपाल कृष्ण गोखले और एम. जी. रानाडे

गोखले स्वयं एक महान समाज सुधारक और नेता थे, जिन्हें न्यायमूर्ति महादेव गोविंद रानाडे ने मार्गदर्शन प्रदान किया। रानाडे, एक समाज सुधारक और अर्थशास्त्री थे। इन्होंने गोखले को सामाजिक सुधार और राष्ट्रीय जागरूकता के महत्व को समझाया।

7. कबीर और रामानंद

संत कबीर को उनके द्वारा कहे गए दोहे के लिए आज भी याद किया जाता है। इनके गुरु का नाम रामानंद था। रामानंद ने कबीर को भक्ति और समानता का पाठ पढ़ाया। कबीर ने समाज में जातिगत भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में विशेष कार्य किया।

8. सूरदास और महाप्रभु वल्लभाचार्य

प्रसिद्ध कवि सूरदास, महाप्रभु वल्लभाचार्य के शिष्य थे। सूरदास को उनके प्रसिद्ध कृति सूरसागर की रचना के लिए याद किया जाता है। सूरदास की रचनाएँ आज भी भक्ति साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं।

9. मीराबाई और रैदास

मीराबाई का नाम भगवान कृष्ण के भक्तों में सबसे ऊपर लिया जाता है। मीरा बाई, संत रैदास की शिष्या थीं। मीराबाई ने अपने गुरु के विचारों को आत्मसात कर श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन होकर अमर भजनों की रचना की।

10. तुलसीदास और बाबा नरहरि

विश्व प्रसिद्ध कवि और लेखक तुलसीदास जी जिन्हें उनके प्रसिद्ध कृत रामचरितमानस के लिए जाना जाता है। इनके गुरु का नाम बाबा नरहरि था। नरहरि ने तुलसीदास को राम भक्ति और वैदिक ज्ञान का मार्ग दिखाया।

11. सुभाषचन्द्र बोस और चितरंजन दास

सुभाष चंद्र बोस, जिन्होंने देश को स्वतंत्रता दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनके गुरु का नाम चितरंजन दास था। इन्हें देशबंधु के नाम से भी जाना जाता है। चितरंजन दास के मार्गदर्शन में बोस ने आजाद हिंद फौज का गठन किया और भारत को स्वतंत्रता दिलाई।

12. शिवाजी और दादोजी कोंडदेव (राजनीतिक गुरु)

मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी को उनके राजनीतिक गुरु दादोजी कोंडदेव ने प्रशिक्षित किया। दादोजी ने शिवाजी को युद्धकला, प्रशासन, और रणनीति की शिक्षा दी, जिसके बल पर शिवाजी ने मराठा साम्राज्य की नींव रखी और मुगलों को चुनौती दी।

13. शिवाजी और गुरु रामदास (आध्यात्मिक गुरु)

शिवाजी के आध्यात्मिक गुरु संत रामदास ने उन्हें धर्म और नैतिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। रामदास के मार्गदर्शन ने शिवाजी को एक धर्मनिष्ठ और न्यायप्रिय शासक बनाया।

14. बिरसा मुंडा और आनन्द पाण्डेय

आदिवासी नेता बिरसा मुंडा, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ उलगुलान आंदोलन का नेतृत्व किया। बिरसा मुंडा के गुरु का नाम आनंद पाण्डेय था। पाण्डेय की शिक्षा के आधार पर बिरसा ने आदिवासी समुदाय को संगठित किया और उनके अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

15. स्वामी विवेकानंद और स्वामी रामकृष्ण परमहंस

स्वामी विवेकानंद को विश्व मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए जाना जाता है। स्वामी जी के गुरु का नाम रामकृष्ण परमहंस था। उनके मार्गदर्शन में विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की और विश्व धर्म संसद में भारत का गौरव बढ़ाया।

गुरु-शिष्य परंपरा भारतीय संस्कृति और विश्व इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। ऊपर के सभी जोड़ियां दर्शाते हैं कि एक गुरु का मार्गदर्शन कितना महत्वपूर्ण हो सकता है। गुरु न केवल अपने शिष्यों को ज्ञान और कौशल प्रदान करते हैं, बल्कि उन्हें जीवन के उच्च आदर्शों और मूल्यों से भी जोड़ते हैं। इन महान व्यक्तियों और उनके गुरुओं की कहानियाँ आज भी हमें प्रेरित करती हैं। इससे पता चलता है कि मार्गदर्शन के साथ कोई भी असंभव कार्य को संभव बनाया जा सकता है।

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