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हिन्दी दिवस 2024 विशेष : अलग ही "स्वर" निकले युवाओं के... "व्यंजन" की तो बना दी एक अलग ही खिचड़ी

Hindi Divas 2024 : 1949 में 14 सितंबर को ही भारत की संविधान सभा में हिंदी को देश की औपचारिक भाषा का दर्जा दिया गया था (Hindi Day). इस दिन को खास बनाने के लिए हर साल इसी तारीख को हिंदी दिवस मनाया जाता है.

हिन्दी दिवस 2024 विशेष : अलग ही स्वर निकले युवाओं के... व्यंजन की तो बना दी एक अलग ही खिचड़ी
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By Meenu

Hindi divas 2024 : आज दिन भर सब के मोबाइल पर हिंदी दिवस पर ढेरों संदेश, शेरों शायरी नजर आई। पूरा सोशल मीडिया हिंदी दिवस के रील्स, मैसेज और फोटो मैसेज से भरा पड़ा है। हर कोई एक दूसरे को बधाई दे रहा.

इस विषय पर जब npg news ने सोचा चलो आज जिस भारत देश में हिंदी को लेकर इतना समर्पण प्रेम है. हिंदी के प्रति इतना जज्बा लगाव है तो वहा के नागरिको से हिंदी की बेसिक चीजों के बारे में सिर्फ पूछ लिया जाए और हमने अलग-अलग आयु समूह से बात की. नतीजा क्या रहा ये रहा आपके सामने....


पूरे स्वर व्यंजन का ज्ञान नहीं

हिंदी दिवस पर जब शहर के युवाओं से बात की गई तो उनहोने हिंदी को लेकर एक से बढ़कर एक बातें की... फिर हमने सोचा चलो इनसे पूछ ही लिया जाए इन्हें इतना ज्ञान है तो स्वर-व्यंजन तो पता ही होगा, पता चला की स्वर तो जुबान से ठीक से निकला ही नहीं... वही व्यंजनों की एक अलग ही व्यंजन बना दी गई।




बुज़ुर्गो को कुछ हद तक ज्ञान


जब घर के बड़े बुज़ुर्गों से हमने हिंदी दिवस पर स्वर-व्यंजन पूछा तो वे कुछ हद तक एक लाइन से और सही बताया। आज के युवाओं से तो भले रहें।


इन्हें अभी याद पर बड़े होकर यह भी भूल ना जाए

इस विषय पर क्लास एलकेजी से लेकर 3 तक के बच्चों से स्वर व्यंजन पूछा गया तो वे धडल्ले से बता दिया... पर अफ़सोस और डर इस बात का है कि वो भी बड़े होकर भूल ना जाए।


शिक्षाविद क्या कहते हैं




शहर के शिक्षाविद से इस बारे में जब बात की गई तो उनका कहना रहा कि आज कल युवा आगे पाठ पिछले सपाट की राह पर चले जा रहे हैं। हिंदी दिवस पर सिर्फ संदेश और रील्स बनाने से या फिर शेरो शायरी से कुछ नही होगा. हिंदी के प्रति सम्मान और प्रेम होना जरूरी होगा, जो आजकल के युवाओं में खत्म हो रही है। वे अंग्रेजी को अपना मानक समझते हैं वही हिंदी से शर्माते हैं। बोलने से कतराते हैं. इसके पीछे जिम्मेदार हमारी शिक्षा प्रणाली और स्कूल-कॉलेज जिम्मेदार है।


14 सितंबर को ही भारत की संविधान सभा में हिंदी को देश की औपचारिक भाषा का दर्जा दिया


1949 में 14 सितंबर को ही भारत की संविधान सभा में हिंदी को देश की औपचारिक भाषा का दर्जा दिया गया था (Hindi Day). इस दिन को खास बनाने के लिए हर साल इसी तारीख को हिंदी दिवस मनाया जाता है. भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया था.


आईये जाने स्वर और व्यंजन को लेकर सब कुछ


स्वर कितने प्रकार के होते है?

स्वर एक प्रकार की ध्वनि है जो बिना किसी रुकावट के निकलती है। स्वर वर्णमाला के वे वर्ण हैं जिनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है। हिंदी वर्णमाला में मूल रूप से ग्यारह स्वर होते हैं, जिन्हें निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है:

दीर्घ स्वर: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ

ह्रस्व स्वर: अ, इ, उ

अर्धस्वर: ऋ

दीर्घ स्वर के उच्चारण में मात्राओं की संख्या दो होती है, जबकि ह्रस्व स्वर के उच्चारण में मात्र एक मात्रा होती है। अर्धस्वर को स्वर और व्यंजन दोनों के बीच माना जाता है।

स्वर के प्रकारों को निम्नलिखित आधारों पर भी वर्गीकृत किया जा सकता है:

उच्चता के आधार पर: उच्च, मध्य, निम्न

खुलेपन के आधार पर: खुले, मध्य, बंद

उच्चारण के स्थान के आधार पर: अग्र, मध्य, पश्च

उच्चता के आधार पर स्वर तीन प्रकार के होते हैं:

उच्च स्वर: इ, ई, उ, ऊ

मध्य स्वर: अ, आ

निम्न स्वर: अ

खुलेपन के आधार पर स्वर तीन प्रकार के होते हैं:

खुले स्वर: अ, आ, इ

मध्य स्वर: ई, उ, ऊ

बंद स्वर: ऋ

उच्चारण के स्थान के आधार पर स्वर तीन प्रकार के होते हैं:

अग्र स्वर: इ, ई

मध्य स्वर: अ, आ, ऋ

पश्च स्वर: उ, ऊ

इस प्रकार, स्वर के प्रकारों को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है।


व्यंजन कितने होते हैं?/ व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं ?


“स्वर की सहायता से बोले जाने वाले वर्णों को ‘व्यंजन’ कहते हैं।”

स्वरों के बिना व्यंजनों का उच्चारण संभव नहीं है। बिना स्वर वाले व्यंजन में हल () लगा होता है, जिसे आधा व्यंजन भी कहते हैं।

हल () लगे व्यंजन को हलन्त तथा स्वर लगे व्यंजन को अजन्त कहते हैं।

हिन्दी व्यंजनों की संख्या 39 [ 25 स्पर्श व्यंजन, 4 अन्तःस्थ व्यंजन, 4 ऊष्म व्यंजन, 4 संयुक्त व्यंजन, 2 द्विगुण व्यंजन ।] होती है।

परंपरागत रूप से व्यंजनों की संख्या 33 (क् से ह् तक) मानी गई है।

हल () लगे व्यंजन को हलन्त तथा स्वर लगे व्यंजन को अजन्त कहते हैं।

क, ख, ग , घ, ङ

च, छ, ज, झ, ञ

ट, ठ, ड, ढ, ण

त, थ, द, ध, न

प, फ, ब, भ, म

य, र, ल, व,

श, ष, स, ह

क्ष, त्र, ज्ञ, श्र = ये संयुक्ताक्षर कहलाते हैं।

क्+ ष = क्ष ( यहाँ क् स्वर रहित है क्योंकि क् में स्वर अ की मात्रा नहीं है)

त् + र = त्र ( त् स्वर रहित है)

ज् + ञ = ज्ञ ( ज् स्वर रहित है)

श् + र = श्र ( श् स्वर रहित है)

ड़ और ढ़ दोनों द्विगुण व्यंजन कहलाते हैं, क्योंकि इस व्यंजन के नीचे बिंदु(नुक्ता) के प्रयोग से एक नए अक्षर का उच्चारण होता है।

ड के नीचे बिंदु( नुक्ता) लगाकर ड़ बनता है और पकड़ कड़ी, लकड़ी, घड़ा, खड़ा जैसे शब्दों को लिखा जाता है।

ढ़ के नीचे बिंदु( नुक्ता) लगाकर चढ़ाई, कढ़ाई, कढ़ी जैसे शब्दों को लिखा जाता है।

इस तरह 11 स्वर + 2 आयोगवाह + 33 व्यंजन + 4 संयुक्ताक्षर + 2 द्विगुण व्यंजन सब मिलाकर 52 वर्ण होते हैं।

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