Himalayan Lavi Mela 2025: जानिए हिमाचल प्रदेश में आयोजित होने वाले लवी मेले का इतिहास; पहली बार होगी यहां चामुर्थी घोड़ों की प्रदर्शनी
Himalayan Lavi Mela 2025: अभी तक आपने कई व्यापारिक मेलों के बारे में सुना होगा परंतु हिमाचल प्रदेश में आयोजित होने वाला यह लवी मेला कुछ खास है। आइए जानते हैं.

Himalayan Lavi Mela 2025: अभी तक आपने कई व्यापारिक मेलों के बारे में सुना होगा परंतु हिमाचल प्रदेश में आयोजित होने वाला यह लवी मेला कुछ खास है। इस बार इस मेले में चामुर्थी घोड़े की प्रदर्शनी लगने वाली है। यह हर साल कार्तिक माह मे आयोजित होता है। रामपुर बुशहर में आयोजित होने वाला अंतरराष्ट्रीय लवी मेल हिमालयी संस्कृति और व्यापारिक परंपराओं का प्रतीक है। इस वर्ष यह मेला 11 से 14 नवंबर के बीच आयोजित होगा।
लवी मेले का इतिहास
यह मेला तकरीबन 400 साल पुराना है, जो एक व्यापारिक संबंध का प्रतीक है। 17वीं शताब्दी में जब बुशहर राज्य के राजा केहरी सिंह का शासन था तो उन्होंने उस दौर में तिब्बत के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित किए। सन 1679 से 1684 के बीच बुशहर राज्य और तिब्बत की सरकार के बीच एक ऐतिहासिक संधि हुई। इस संधि की सबसे खास बात यह थी कि दोनों पक्षों के व्यापारियों को एक-दूसरे के क्षेत्र में कर मुक्त व्यापार करने की सुविधा मिली। इसी संधि के फलस्वरूप रामपुर में व्यापारियों का जमावड़ा शुरू हुआ और धीरे-धीरे यह एक नियमित मेले का रूप ले गया। यह शहर सतलज नदी के किनारे बसा हुआ है।
मेले का शुभारंभ और समापन
इस साल के मेले की शुरुआत बेहद खास होने वाली है। 11 नवंबर को हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल इस ऐतिहासिक मेले का शुभारंभ करेंगे। चार दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव का समापन 14 नवंबर को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के हाथों होगा।
पहली बार होगी चामुर्थी घोड़े की प्रदर्शनी
इस बार लवी मेले में पहली बार चामुर्थी घोड़े की प्रदर्शनी लगने वाली है, जो 1 से 3 नवंबर तक चलेगी, परंतु यह अश्व प्रदर्शनी लवी मेले के आरंभ होने के पहले ही आयोजित की जा रही है। जिसमें 1 नवंबर को घोड़ों का पंजीकरण होगा। दूसरे दिन अश्वपालकों की एक विशेष मीटिंग आयोजित की जाएगी जहां वे अपने अनुभव साझा करेंगे और घोड़ों की देखभाल, प्रजनन और संरक्षण से जुड़े विषयों पर चर्चा करेंगे। तीसरे दिन सबसे रोमांचक कार्यक्रम होंगे। उत्तम घोड़ों का चयन होगा और 400 व 800 मीटर की घुड़दौड़ का आयोजन किया जाएगा। जिसके लिए पंजाब, हरियाणा व अन्य राज्यों से अश्वपालकों को आमंत्रित किया गया है।
चामुर्थी घोड़े है खास
इस अश्व प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण हिमाचल प्रदेश की अपनी मूल नस्ल चामुर्थी घोड़ा होगा। चामुर्थी घोड़े को लोग पहाड़ों का ऊंट भी कहते हैं। हिमाचल प्रदेश में यह एकमात्र पंजीकृत घोड़े की नस्ल है। इस नस्ल की उत्पत्ति तिब्बत क्षेत्र में हुई थी। मुख्य रूप से स्पीति की पीन वैली और किन्नौर की भाभा घाटी में इन घोड़ों की अच्छी संख्या है। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि ये घोड़े –30 डिग्री तापमान में भी काम करने की क्षमता रखते हैं।
