हमारी शादी को 5 साल हो गए हैं. मेरी बीबी बहुत जिद्दी है. छोटी-छोटी बातों पर भी 2, 3 दिन तक लड़ती रहती है. मेरे माता-पिता से भी उल्टी-सीधी बात करती है. मेरा 3 साल का बच्चा भी है. क्या ये सब ठीक करने का कोई उपाय है?
उपाय बिलकुल है। जांचा परखा और काम करने वाला उपाय है। लेकिन पहले आपको अपनी कमर की पेटी बांध के मुझे एयर होस्टेस समझना पड़ेगा।
उपाय बिलकुल है। जांचा परखा और काम करने वाला उपाय है। लेकिन पहले आपको अपनी कमर की पेटी बांध के मुझे एयर होस्टेस समझना पड़ेगा। जो वो कहती है वो सब सुनते हैं ना! मतलब ये कि जो भी मैं कहने वाला हूं, उसे बिना किंतु परंतु, अरे! मगर को किनारे रखकर पढ़ना और समझना पड़ेगा! ठीक? बांधी कुर्सी की पेटी?
आपकी पत्नी, जो आपके बच्चे की मां है, आपके माता पिता की बहु है, अपने मां बाप की बेटी है, उसे कुछ पलों के लिए इन सब रिश्तों से आजाद करके देखो और सोचो कि उसके अलावा वो इंसान कैसी है?
देखो मित्र, रिश्ते डिमांडिंग होते हैं। बहुत कुछ मांगते हैं। हम हर इंसान को रिश्तों में बांधकर ही सोचते हैं कभी उससे अलग सिर्फ उसके बारे में नहीं सोचते। उसे एक सामान्य महिला की तरह सोचकर देखो। फर्ज़ करो, अगर वो इन सब रिश्तों में नहीं बंधी होती तो वो कैसी होती? होती कैसी?
मतलब.. बड़ी बदतमीज होती, लापरवाह या मतलबी होती, लालची किस्म की या क्लेश करने वाली होती? उसका बाकी लोगों से व्यवहार कैसा है? क्या वो आत्ममुग्ध है? सिर्फ अपनी चलाती है?
मेरा दावा है कि आपकी अर्धांगिनी ऐसी नही ही हो सकती। वरना आपका ३ साल का बच्चा ना होता। ५ साल का साथ ना होता। अबतक आप निपट चुके होते। मतलब सावधान इंडिया का एपिसोड होते।
अगर ऐसी नहीं तो फिर कैसी है वो?
बात बात पर कुढ़ती है? झगड़ा करके रोती है? आपसे दो दिन झगड़ कर आपको खाने को भी नहीं पूछती? बच्चे को लिपटा कर अलग बैठ जाती है और खुद भी खाती पीती नहीं? फिर दो दिन बाद अपने आप आपके पास आती है और आपसे बात करने की कोशिश करती है? जला कटा जैसा तैसा बनाती है और परोसने की बजाय डाल जाती है? सास ससुर की इज्जत नहीं करती?
यहां.. दिक्कत दो तरफा है दोस्त।
एक तो आप हो, आपका परिवार है और दूसरी तरफ वो खुद है। आपको अंदाजा है कि इसके भयंकर परिणाम आपके बच्चे को झेलने होंगे?
इस अवस्था को सामान्य पारिवारिक संताप रोग कहते हैं।
हो सकता है कि आप "मर्दानगी" नामक बीमारी से पीड़ित हो, वो पीड़ित बहु नाम की बीमारी से और माताजी पिताजी "हमारे यहां ऐसा" नामक बीमारी से।
देखो, हर इंसान एक मानस, सोच और पसंद ना पसंद के साथ पलता बढ़ता है। तुमने उसका मूल स्वभाव, पसंद ना- पसंद जानने की कोशिश की? अगर की तो क्या सम्मान किया उसका?
दिक्कत शुरू होती है तब, जब बदलाव लाने के नाम पर बहुमत से बहु विपक्ष में आ जाती है। हमारा घर है, हमारे हिसाब से चलेगा। और विडंबना ये है कि बहू जिसपर घर चलाने का दारोमदार है, उसकी कोई नहीं सुनेगा और उसी से उम्मीद की जायेगी की अपना मन मारकर वो सबकी सुने, सबका करे और वो कुछ कह दे तो घर संसद भवन हो जावे।
परंपराओं और इच्छाओं की रेल चलाने वाली चालक ही अगर तन मन से स्वस्थ ना हो तो जीवन की गाड़ी पटरी पर चलेगी कैसे?
तुम जिस भी धर्म के हो, जिस भी जाति के हो.. हर धर्म में कन्या का दान मांगा जाता है। प्रोमिस के बाद यू में किस द ब्राइड या वचन देने पर मैं तुम्हारे वामांग में आऊंगी, एक ही बात है। कुबूल करो!
कन्या के विचारों, उसके व्यक्तित्व का कितना सम्मान है?
क्या यहां तुम सही हो या गलत हो? तुम जानो!
एक मानसिक अवस्था होती है। जिसे नर्सिसिज्म (स्वयं से अत्यधिक प्रेम करना) कहते हैं।
इससे पीड़ित व्यक्ति केवल अपने ऊपर ध्यान चाहता है, हर बात पर नियंत्रण चाहता है। ऐसा केवल एक व्यक्ति पूरे परिवार की खुशहाली पर ग्रहण बन जाता है। ऐसे में जीवन बहुत दुष्कर है।
१. क्या आपकी धर्मपत्नी अपनी हर इच्छा आप पर थोपने की कोशिश करती है?
२. अगर जरा सा भी उसके मन का ना हो तो वो बात का बतंगड़ बनाती है?
३. क्या वो आपको अपने परिवार से दूर रहने के लिए उकसाती है? और बात ना मानने पर सबका जीना हराम कर देती है?
४. दिखावे के लिए वो सबकी सेवा करती है, लेकिन हर जगह, समाज और शेष परिवार जनों (चाचा मामा ताऊ) के यहां अपना दुखड़ा रोती है और अपने आप को बेचारी साबित करने का प्रयास करती है?
५. क्या वो अंतरंग क्षणों में आपको मजबूर करती है कि उसकी किसी विशेष बात को माना जाए? वरना वो आपको नजदीक नहीं आने देगी? लेकिन आपकी हर जरूरत पर आपके साथ होने का पूरा प्रयास करती है?
अगर ऐसा है तो आपकी धर्मपत्नी को गंभीरता से एक मानसिक रोग विशेषज्ञ से मिलने की जरूरत है। उनके पिछले अनुभव, उनके लालन पालन और उनके माता पिता के व्यवहार के बारे में जानिए। हो सकता है वो ऐसे ही किसी बीमार माहोल में पली बढ़ी हों।
ये मैं यूं ही नहीं कह रहा। मैं अनुभव लिखता हूं।
देखो, बात करने से सब संभव होता है।
बात करके देखो ना..
मेरी श्री मेरी जीवन रेखा है, मेरा प्रारंभ, मेरा वर्तमान, मेरा भविष्य और जीवन भी वही है। लड़ती वो भी है। बात करना वो भी बंद करती है लेकिन हमसे १५ मिनट के ऊपर झगड़ा नहीं होता।
स्त्रोत : Quora अभिषेक (पगला पाण्डेय)