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Gardening season Start : आया बागवानी का मौसम, पर करने से पहले यहाँ जाने "बागवानी" को लेकर सब कुछ

अगर बाग़ीचा छत या बालकनी में है और पौधे गमले में लगे हैं या नए लगाने हैं, तो चंद बातों पर ध्यान देना होगा।

Gardening season Start : आया बागवानी का मौसम, पर करने से पहले यहाँ जाने बागवानी को लेकर सब कुछ
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By Meenu

छत्तीसगढ़ में भी बारिश शुरू हो गई है और ये मौसम बागवानी के लिए सबसे अच्छा होता है।

बारिश का मौसम प्रकृति के लिए अमृत-सा होता है। बाग़ीचे की सार-संभाल का उत्तम समय। अगर बाग़ीचा छत या बालकनी में है और पौधे गमले में लगे हैं या नए लगाने हैं, तो चंद बातों पर ध्यान देना होगा।

पौधों को सेहतमंद बनाए रखने में एक अच्छे गमले की बड़ी भूमिका होती है, इसका चयन कैसे हो, इसके साथ रीपॉटिंग कैसे करें, गमलों का ख़्याल कैसे रखें- इन सबके बारे में जानना ज़रूरी है, ताकि पौधों की देखरेख बेहतर तरीक़े से हो सके.

गमले की रीपॉटिंग



ये समय पौधों को संभालने का है। अगर आपके पौधे को गमले में लगे एक-दो साल हो गए हैं, उसकी जड़ें ऊपर की ओर दिखाई देने लगी हैं या नीचे छेद से निकलने लगी हैं तब समझ लीजिए रीपॉटिंग का समय आ गया है।

दो तगाड़ी काली मिट्‌टी, आधी तगाड़ी गोबर खाद, आधी से थोड़ी कम तगाड़ी रेत को मिलाकर गमले के लिए मिट्‌टी-खाद का मिश्रण तैयार करें। अगर 500 ग्राम केंचुए की खाद मिल जाए तो उसे भी मिला दें। रेत मिलाने से मिट्‌टी भुरभुरी हो जाती है जिससे पानी की निकासी अच्छी होती है और पौधे की बढ़त भी काफ़ी अच्छी होती है।

मिश्रण को इस तरह समझें

20% कोकोपीट, 30% काली मिट्टी, 20% गोबर की खाद, 20% केंचुए की खाद, 10% नीम की खली लेकर मिश्रण बनाकर गमले में भरें।

बारिश में गमले की देखभाल



बारिश में गमलों की देखभाल ज़रूरी है। गमले बाहर रखें हैं तो मुमकिन हैं कि उनमें बारिश का पानी भर जाए। पानी निकालने के लिए गमलों को तिरछा करके लिटा दें। कुछ समय तक इसी स्थिति में छोड़ दें। इससे अतिरिक्त पानी निकल जाएगा और पौधा सड़ने से बच जाएगा। बारिश में गमले नीचे की ओर से गंदे हो जाते हैं और उन पर दाग़ लग जाते हैं। इसलिए कोई पुराना कपड़ा लेकर इन्हें पोंछते रहें, कपड़ा बहुत मुलायम न हो वरना जमी गंदगी साफ़ नहीं होगी। इसके साथ ही गमलों को पेंट भी कर सकते हैं, इससे फंगस और काई नहीं लगती।

बारिश में पौधों की देखभाल

बरसात के समय पौधों और लकड़ी के गमलों पर भी फंगस लग जाती है। ऐसे में जला हुआ तेल (गाड़ी का इंजन ऑयल) फंगस वाले पौधे, लकड़ी के स्टैंड जिन पर पौधे रखें हो या लकड़ी के गमले आदि पर लगा दें। इससे फंगस नहीं लगेगी। अगर फंगस लग चुकी है तो डिटर्जेंट पाउडर को पानी में घोलकर फंगस वाली जगह पर छिड़काव करें। इसके अलावा 100 ग्राम चावल को रातभर पानी में भिगो दें। इस पानी से सुबह फंगस पर छिड़काव करें। ऐसा लगातार 2-3 दिन करें। फंगस ख़त्म हो जाएगी।

गमले कैसे-कैसे, तो चुनें कैसे?



मिट्‌टी के गमले —

इनमें पानी की निकासी की समस्या नहीं आती। ये सभी प्रकार के पौधों के लिए उपयोगी होते हैं। इनमें पौधा आसानी से बढ़ता है और उसकी जड़ों को ठंडक मिलती है। इस कारण पौधा सूखता नहीं है।

सीमेंट के गमले —

इन गमलों में मिट्‌टी के गमलों की अपेक्षा पानी की निकासी कम होती है। ये गमले पानी का संग्रह करके रखते हैं, इसलिए एक-दो दिन पानी न दे पाएं तो पौधा सूखता नहीं है। भारी होते हैं इसलिए इन्हें उठाना और शिफ्ट करना मुश्किल हो सकता है। ये गुड़हल, क्रिसमस ट्री जैसे बड़े पौधों के लिए अच्छे होते हैं।

प्लास्टिक के गमले —

इनको ख़ास देखभाल की ज़रूरत नहीं पड़ती और आसानी से कहीं भी रख सकते हैं। ये मौसमी फूलों के लिए अच्छे होते हैं। वहीं गुलाब, गुलदाउदी जैसे पौधों के लिए उपयुक्त नहीं होते। इनमें पीस लिली, स्पाइडर प्लांट, पोइनसेटिया लगा सकते हैं। इनमें हैंगिंग गमले भी आते हैं। लताओं वाले पौधे या बेल आदि इनमें लगाकर दीवारों या बालकनी में लटका सकते हैं।


गमले को लेते समय उसमें नीचे की ओर छेद ज़रूर देखें।

इससे पौधे में पानी की निकासी भी होती है और हवा भी मिलती है जिससे जड़ें सड़ती नहीं हैं। फिर पॉटिंग करने से पहले इस छेद पर ऐसा ईंट का टुकड़ा या पत्थर रखें, जो छेद को थोड़ा ढक ले और कुछ हिस्सा खुला रहे, जिससे अतिरिक्त पानी निकल जाए और छेद इतना खुला भी ना रहे कि ज़रा भी पानी ना टिके। प्लास्टिक के ऐसे गमलों को ना लें, जिनमें कई छेद होते हैं।

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