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Famous Bastar Madai Melas: बस्तर के प्रमुख मड़ई मेले; परंपराओं और आस्थाओं के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध

Famous Bastar Madai Melas: छत्तीसगढ़ का बस्तर अंचल अपनी समृद्ध आदिवासी संस्कृति, परंपराओं और आस्थाओं के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। यहाँ के मेले केवल व्यापार या मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि आस्था और सामाजिक एकता का प्रतीक हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं मड़ई मेले। यह आयोजन धार्मिक अनुष्ठानों से शुरू होकर सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और सामाजिक मेलजोल तक फैला होता है।

Famous Bastar Madai Melas: बस्तर के प्रमुख मड़ई मेले; परंपराओं और आस्थाओं के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध
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By Chirag Sahu

Famous Bastar Madai Melas: छत्तीसगढ़ का बस्तर अंचल अपनी समृद्ध आदिवासी संस्कृति, परंपराओं और आस्थाओं के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। यहाँ के मेले केवल व्यापार या मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि आस्था और सामाजिक एकता का प्रतीक हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं मड़ई मेले। यह आयोजन धार्मिक अनुष्ठानों से शुरू होकर सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और सामाजिक मेलजोल तक फैला होता है।

स्थानीय गोंडी और हल्बी बोली में “मड़ई” का अर्थ होता है – “देव मिलन” या “देवों का सामूहिक आयोजन”। यानी ऐसा पर्व जिसमें गाँव-गाँव के देवी-देवताओं को एक स्थान पर आमंत्रित किया जाता है और उनकी सामूहिक पूजा की जाती है। आइए बस्तर में होने वाले प्रमुख मड़ई मेलों और उनकी विशेषताओं पर विस्तृत दृष्टि डालते हैं।

Phagun Madai – फागुन मड़ई, दंतेवाड़ा

फागुन मड़ई बस्तर का सबसे बड़ा और प्राचीन मेला माना जाता है। यह होली से पूर्व, फागुन महीने में दस दिनों तक चलता है। मेले का उद्घाटन बस्तर राज परिवार की परंपरा के अनुसार होता है। यह आयोजन देवी दंतेश्वरी को समर्पित है और इसमें दूर-दराज़ के गाँवों से श्रद्धालु देवी की आराधना के लिए आते हैं। फागुन मड़ई का महत्त्व केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक भी है, क्योंकि इसमें आदिवासी लोकनृत्य, गीत और पारंपरिक वाद्ययंत्रों की गूंज वातावरण को जीवंत कर देती है।

Narayanpur Madai – नारायणपुर मड़ई

नारायणपुर मेला फरवरी के अंतिम सप्ताह में आयोजित होता है। इस मेले में आसपास के गाँवों के देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ और डोलियाँ सजधज कर लाई जाती हैं। गुना और बैगा पुजारियों द्वारा विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। लोकनृत्य, विशेषकर कोकरंग नृत्य, और मांदर की थाप पर थिरकते कलाकार इस आयोजन को और आकर्षक बना देते हैं। नारायणपुर मड़ई धार्मिक श्रद्धा और सांस्कृतिक विविधता का संगम है।

Regional Madai Festival – क्षेत्रीय मड़ई उत्सव

दिसंबर से मार्च के बीच बस्तर और कंकेर क्षेत्र के अलग-अलग जिलों में क्षेत्रीय मड़ई मेलों का आयोजन होता है। हर गाँव और कस्बा अपनी परंपरा और देव-पूजा के अनुसार इस उत्सव का हिस्सा बनता है। यह मेलों की श्रृंखला सामाजिक एकता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रतीक है। इसमें न केवल देवी-पूजा होती है, बल्कि स्थानीय हस्तशिल्प, कृषि उत्पाद और पारंपरिक वस्तुओं का बड़ा व्यापार भी होता है।

Sukma Madai – सुकमा मड़ई

सुकमा का मड़ई मेला विशिष्ट है क्योंकि यह बारह वर्ष में एक बार आयोजित होता है। इस मेले में देवी-देवताओं की छतरियाँ और डोलियाँ विशेष शोभायात्रा के रूप में लाई जाती हैं। यह आयोजन ऐतिहासिक स्मृतियों और सामूहिक विजय के उत्सव से भी जुड़ा हुआ है। श्रद्धालु और पर्यटक इस अवसर पर बड़ी संख्या में उपस्थित होते हैं।

Ghotpal Madai – घोटपाल मड़ई, गीदम

घोटपाल मेला गीदम क्षेत्र में हर साल आयोजित किया जाता है। इसमें ढोल-नगाड़ों की थाप के साथ देवजात्रा निकाली जाती है और संध्या पूजा के बाद धार्मिक अनुष्ठान पूरे किए जाते हैं। यह मेला अपेक्षाकृत छोटा होते हुए भी स्थानीय स्तर पर बड़ी आस्था और उत्साह का केंद्र है।

Chhetriya Saras Mela – क्षेत्रीय सरस मेला, जगदलपुर

जगदलपुर के लालबाग मैदान में आयोजित यह मेला सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों का संगम है। हाल के वर्षों में इसे स्वच्छ भारत मिशन और जिला प्रशासन की पहल से पर्यावरणीय जागरूकता और सतत विकास से भी जोड़ा गया है। यहाँ शिल्पकारों, कारीगरों और किसानों को अपने उत्पाद प्रदर्शित करने और बेचने का अवसर मिलता है।

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