Duniya ki Sabse purani company ka itihas: दुनिया की सबसे पुरानी कंपनी का अनोखा इतिहास, जानिए करोड़ों का कारोबार कैसे हो गया खत्म!
Duniya ki Sabse purani company ka itihas: आज के समय में जब कोई स्टार्टअप या नई कंपनी बनती है तो लोगों को लगता है कि यदि वह 20–30 साल तक चल जाती है तो बहुत बड़ी बात होगी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कोई कंपनी भी 1400 साल तक बिना रुके चल सकती है? जी हां! जापान की Kongo Gumi ऐसी ही एक अनोखी कंपनी थी जिसे दुनिया की सबसे पुरानी कंपनी माना जाता है।

Duniya ki Sabse purani company ka itihas: आज के समय में जब कोई स्टार्टअप या नई कंपनी बनती है तो लोगों को लगता है कि यदि वह 20–30 साल तक चल जाती है तो बहुत बड़ी बात होगी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कोई कंपनी भी 1400 साल तक बिना रुके चल सकती है? जी हां! जापान की Kongo Gumi ऐसी ही एक अनोखी कंपनी थी जिसे दुनिया की सबसे पुरानी कंपनी माना जाता है। यह कंपनी ब्रिटिश साम्राज्य से भी कई सौ सालों पहले दुनिया में आ चुकी थी। चलिए जानते हैं इसकी शुरुआत से लेकर अंत तक की पूरी कहानी।
कोंगो गुमी की शुरुआत कैसे हुई
कोंगो गुमी कंपनी की शुरूआत 578 ईस्वी में हुई थी। इस समय जापान के तत्कालीन राजकुमार शोटोकू तैशी चाहते थे कि ओसाका में एक भव्य बौद्ध मंदिर का निर्माण हो। लेकिन समस्या यह थी कि जापान में उस समय ऐसे कुशल कारीगर मौजूद ही नहीं थे जो बौद्ध मंदिरों का निर्माण कर सकें। इस चुनौती का हल निकालते हुए राजकुमार ने कोरिया से तीन अनुभवी कारीगरों को जापान बुलाया। इन तीन में से एक कारीगर थे शिगेमित्सु कोंगो, इन्हीं के वजह से ही ओसाका का प्रसिद्ध शितेनो-जी बौद्ध मंदिर बन पाया था। फिर यही से उन्होंने Kongo Gumi कंपनी की नींव रखी।
कंपनी की विशेषता और 41 पीढ़ियों का शासन
शुरुआत में यह कंपनी केवल बौद्ध मंदिरों का निर्माण और जीर्णोद्धार करती थी। लेकिन धीरे-धीरे इनकी कारीगरी इतनी मशहूर हो गई कि शाही महल और बड़े निर्माण कार्य भी इन्हें सौंपे जाने लगे। सबसे अनोखी बात यह थी कि कोंगो गुमी के कारीगर बिना कील (Nails) के लकड़ी को इंटरलॉकिंग तकनीक से जोड़ने में माहिर थे। भूकंप प्रभावित देश जापान में यह तकनीक किसी चमत्कार से कम नहीं थी। इसी वजह से इनके बनाए गए कई मंदिर आज भी सुरक्षित खड़े हैं।
कोंगो गुमी की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि इसे एक ही परिवार ने 1400 साल तक चलाया। शिगेमित्सु कोंगो से लेकर 41वीं पीढ़ी तक इस कंपनी का संचालन उनके ही वंशजों ने किया।
2006 में क्यों डूब गई यह पुरानी कंपनी
हर बड़ी कंपनी का एक ऐसा दौर आता है जब हालात उसके खिलाफ चले जाते हैं, कोंगो गुमी के साथ भी यही हुआ। 2006 में आई जापान की आर्थिक मंदी की वजह से सालाना करीब 600 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाली यह कंपनी दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई। इसके बाद जापान की ही कंपनी ताकामात्सु कंस्ट्रक्शन ग्रुप (Takamatsu Construction Group) ने कोंगो गुमी का अधिग्रहण कर लिया और इसे अपनी सब्सिडियरी बनाकर आज भी संचालित किया जा रहा है।
